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सबसे अभागा वो आदमी जिसके पास रिश्ते नहीं
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे दफ्तर में काम करने वाली एक महिला ने कल अपना इस्तीफा सौंप दिया। वो मुझसे मिलने आयी थी और बता रही थी कि उसे बहुत अफसोस है कि वो नौकरी छोड़ कर जा रही है, पर मजबूरी है।
मैंने उससे पूछा कि ऐसी क्या मजबूरी है?
मन के विश्वास को जिन्दा करें, आपका हर काम बनेगा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
एक महिला ने मुझे बिलखते हुए फोन किया कि उसकी जिन्दगी में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा, क्या मैं उसे अपने चैनल पर भविष्य बताने वाले पंडित का नंबर दे सकता हूँ?
ईश्वर के यहाँ कुछ नहीं छिपता
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आज मैं जो कुछ लिखने जा रहा हूँ, उस पर मुझे पहले से पूरा यकीन था, लेकिन मैं तब तक इस पर कुछ कह नहीं सकता था, जब तक कि इसका कोई वैज्ञानिक आधार मेरे पास उपलब्ध नहीं होता। आज मेरे पास वैज्ञानिक आधार उपलब्ध है।
एक मराठी शादी में….बारी बरसी खटन गया सी…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
फरवरी 16 साल 2016 की सुबह हमारा पुणे जाना हुआ था शादी में शामिल होने के लिए। शादी किसकी। हमारी साली साहिबा की। वे रेडियोलॉजिस्ट हैं। पटना की हैं पर मुंबई में रहते हुए उन्होंने अपने लिए मराठी दूल्हा ढूँढा। तो शादी की सारी रश्में मराठी रीति रिवाज से होनी थी।
महिलाओं में ईश्वर का निवास है
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
जाती हुई सर्दी बहुत बुरी होती है। जाते-जाते छाती से चिपक गयी है।
बहन के साथ बिना इजाजत सेल्फी लेने वाले को आप सपोर्ट करेंगे?
अभिरंजन कुमार :
डीएम चंद्रकला ने क्या गलत कहा?
सचमुच इस देश के बुद्धि-विवेक को लकवा मार गया है। अगर हमारे काबिल दोस्त और पत्रकार भूपेंद्र चौबे सन्नी लियोनी से कुछ असहज करने वाले सवाल पूछ दें, तो हम उन्हें महिला की गरिमा के बारे में ज्ञान देने लगते हैं, लेकिन एक 18 साल का लड़का, जिसे नए कानूनों के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में किसी उम्रदराज जितनी ही सजा दी जा सकती है, अगर एक महिला डीएम के साथ बिना उनकी इजाजत सेल्फी बनाने लगे, उनके रोकने पर भी न रुके, फोटो डिलीट करने के लिए कहने पर भी डिलीट न करे और हीरोगीरी दिखाये, तो हम महिलाओं की गरिमा भूल कर उसके समर्थन में उतर आते हैं।
अपनी बचाऊँ कि ये सोचूँ कि सरकार क्या कर रही है
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज अपनी बात कहने के लिए मैं एक चुटकुले का सहारा ले रहा हूँ, लेकिन मैं जो लिखने जा रहा हूँ वो चुटकुला नहीं। वो बेहद संजीदा विषय है, इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आपमें से अगर किसी को चुटकुले पर आपत्ति हो, तो मुझे माफ कर दें।
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मन का भाव
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मुझे एकदम ठीक से याद है कि इस विषय पर मैं पहले भी लिख चुका हूँ। पर क्या करूँ, हर साल जब मैं ऐसी स्थिति में फंसता हूँ, तो मुझे एक-एक कर सारी घटनाएँ फिर से याद आने लगती हैं और मैं चाह कर भी अपने अफसोस को छुपा नहीं पाता।
हर महिला में माँ छुपी होती है
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
छोटा था तो मेरे स्कूल जाने से पहले माँ जाग जाती थी। चाहे रात को सोने में उसे कितनी भी देर हुई हो, पर वो मुझसे पहले उठ कर मेरे लिए नाश्ता तैयार करती, लंच बॉक्स सजाती, मेरी यूनिफॉर्म प्रेस करती और फिर मुझे प्यार से ऐसे जगाती कि कहीं अगर मैं कोई सपना देख रहा होऊँ तो उसमें भी खलल न पड़ जाए। मैं जागता, रजाई मुँह के ऊपर नीचे करता, फिर सोचता कि रोज सुबह क्यों होती है, रोज स्कूल क्यों जाना पड़ता है, रोज भरत मास्टर को वही-वही पाठ पढ़ कर क्यों सुनाना पड़ता है। मुझे लगता था कि स्कूल को मंदिर की तरह होना चाहिए, जिसकी जब श्रद्धा हो चला जाए।
सेकंड सेक्स, प्लीज देखो सेंसेक्स
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है
POWER AND FREEDOM FLOWS FROM THE LAYERS OF PURSE-प्रोफेसर सैमुअल बायरन का यह स्टेटमेंट बहुत यथार्थवादी है। ताकत और स्वतंत्रता पर्स से बहती हैं।