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लीलण एक्सप्रेस से सुनहले शहर जैसलमेर की ओर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
बीकानेर से जैसलमेर जाने वाली ट्रेन का नाम लीलण एक्सप्रेस (12468) है। नाम कुछ अनूठा लगा तो जानने की इच्छा हुई।
विरासत – पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय में दो लोकोमोटिव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
हाजीपुर में पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय है। यह एक नया जोन है। शहर के रामाशीष चौक पर इसका मुख्यालय बना है। मुख्यालय के अंदर दो स्टीम लोकोमोटिव को लोगों के दर्शन के लिए लगाया गया है।
इगतपुरी में महाराष्ट्र का बड़ा पाव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हमारी यात्रा का दूसरा दिन है। मंगला लक्षदीप एक्सप्रेस में सुबह हुई तो मनमाड और नासिक पीछे छूट गए थे। मनमाड शिरडी के साईं बाबा जाने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन है। इगतपुरी नामक रेलवे स्टेशन आता है। इगतपुरी में ट्रेन 20 मिनट रूकी। सुबह नास्ते में मिला महाराष्ट्र का प्रसिद्ध बड़ा पाव। 15 रुपये में दो बड़ा पाव। कहीं 20 रुपये का तीन तो कहीं सात रुपये का एक भी।
कब बजेगी शिलांग में रेल की सिटी
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
वह साल 2014 में 29 नवंबर का दिन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेघालय के लिए पहली ट्रेन को झंडी दिखा कर रवाना किया। इसके साथ ही आजादी के छह दशक से अधिक समय बाद मेघालय देश के रेल नक्शे पर आ गया।
ये है देश की सबसे लंबी लाइट रेलवे
विद्युत प्रकाश :
मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र में चलती है देश की सबसे कम चौड़ाई वाली पटरी की स्पेशल गेज ट्रेन। इसकी दूसरी खास बात ये है कि ये देश की सबसे लंबी दूरी की लाइट रेलवे है जो अभी संचालन में हैं।
काँगड़ा रेल – 933 पुल 484 मोड़ और 164 किलोमीटर का सफर
विद्युत प्रकाश :
काँगड़ा घाटी रेल लाइन की लंबाई 164 किलोमीटर है। काँगड़ा घाटी रेल रेल मार्ग में दो सुरंगें हैं। जिनमें से एक 250 फुट लंबी और दूसरी 1,000 फुट लंबी है। ट्रेन 2 फीट 6 इंच चौड़ाई वाले पटरियों पर कुलांचे भरती है। इस लाइन का सबसे ऊँचा प्वाइंट आहजू रेलवे स्टेशन पर है जो 3901 फीट ऊँचा है।
रेलवे को आधुनिक बनाना जरूरी : नरेंद्र तनेजा
नरेंद्र तनेजा, राष्ट्रीय संयोजक (ऊर्जा प्रकोष्ठ), भाजपा :
रेलवे के किराये-भाड़े आज से कुछ साल पहले बढ़ाये जाने चाहिए थे, लेकिन चुनाव और लोकप्रिय बजट आदि के मद्देनजर इसे लागू नहीं किया गया।
राहत देने के बदले महँगाई बढ़ाने वाला फैसला
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक, निवेश मंथन :
रेलवे के किराये अभी बढ़ाने का कोई अर्थ नहीं था। पूत के पाँव पालने में दिख रहे हैं। जनता ने इन्हें महँगाई के खिलाफ वोट दिया है। पर यह सरकार कांग्रेस की उन नीतियों से, जिनकी नींव मनमोहन सिंह ने 1991 में रखी थी, मुक्त नहीं हो पा रही है।
जरा सोचें कि बढ़े रेल किराये के बदले क्या-क्या मिलेगा
मोहक शर्मा, टेलीविजन पत्रकार :
मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक कांग्रेसी नेताओं से लेकर 'आप' वाले तक सब के सब आधा सच बता रहे है कि रेल किराया 14% बढ़ा।