Friday, March 29, 2024
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जिन्दगी अनमोल है, पर असीमित नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

कर्मचारी बॉस के आगे गिड़गिड़ा रहा था। 

“सर, अब आप मुझे शाम सात बजे के बाद मत रोका कीजिए। मुझे रोज शाम सात बजे यहाँ से जाने दिया कीजिए।”

‘आप’ की झाड़ू, ‘आप’ पर!

क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :

आम आदमी पार्टी का बनना देश की राजनीति में एक अलग घटना थी। वह दूसरी पार्टियों की तरह नहीं बनी थी। बल्कि वह मौजूदा तमाम पार्टियों के बरअक्स एक अकेली और इकलौती पार्टी थी, जो इन तमाम पार्टियों के तौर-तरीकों के बिलकुल खिलाफ, बिलकुल उलट होने का दावा कर रही थी। उसका दावा था कि वह ईमानदारी और स्वच्छ राजनीतिक आचरण की मिसाल पेश करेगी। इसलिए 'आप' के प्रयोग को जनता बड़ी उत्सुकता देख रही थी कि क्या वाकई 'आप' राजनीति में आदर्शों की एक ऐसी लकीर खींच पायेगी कि सारी पार्टियों को मजबूर हो कर उसी लकीर पर चलना पड़े।

उड़ता पंजाब : एक गंभीर विषय का सत्यानाश

संदीप त्रिपाठी :

अनुराग कश्यप द्वारा निर्मित और अभिषेक चौबे द्वारा निर्देशित फिल्म उड़ता पंजाब पर मचे विवाद के बाद अवश्यंभावी था कि लोग यह फिल्म देखने जाते कि ऐसा क्या है जिस पर इतना विवाद है। उड़ता पंजाब देख लीजिये, फिर यही लगेगा कि इसे देखने के लिए ढाई घंटे खर्च करना वैसा ही है जैसे बर्फ देखने कोई गर्मियों में नैनीताल शहर या शिमला शहर चला जाये।

तुम्हारी गलती नहीं अफरीदी, विष के पेड़ में आम नहीं फलते

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

शाहिद अफरीदी एक बार फिर विवादों में घिर गये हैं। पहले तो उन्होनें टी-20 विश्वकप में भाग लेने के लिए भारतीय धरती पर कदम रखते ही यह बयान दे कर कि उनको तो अपने देश से भी ज्यादा प्यार भारत में मिलता है, पाकिस्तानियों के कोप भजन बने और फिर न्यूजीलैंड के साथ 22 मार्च को हुए मैच के पहले यह बयान दे कर कि उनको कोलकाता में काफी समर्थन मिला था और मोहाली में काफी कश्मीरी हमारे समर्थन में यहाँ पहुँचे हैं, अपनी आवाम के गुस्से को कम करने की कोशिश की। लेकिन इससे वो भारतीयों के निशाने पर फिर आ गये।

शिक्षा परिसर राजनीति मुक्त नहीं, संस्कार युक्त हों

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :  

हमारे कुछ शिक्षा परिसर इन दिनों विवादों में हैं। ये विवाद कुछ प्रायोजित भी हैं, तो कुछ वास्तविक भी। विचारधाराएँ परिसरों को आक्रांत कर रही हैं और राजनीति भयभीत। जैसी राजनीति हो रही है, उससे लगता है कि ये परिसर देश का प्रतिपक्ष हैं। जबकि यह पूरा सच नहीं है।

जाति रे जाति, तू कहाँ से आयी?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :  

भारत में जाति कहाँ से आयी? किसकी देन है? बहस बड़ी पुरानी है। और यह बहस भी बड़ी पुरानी है कि आर्य कहाँ से आये? इतिहास खोदिए, तो जवाब के बजाय विवाद मिलता है। सबके अपने-अपने इतिहास हैं, अपने-अपने तर्क और अपने-अपने साक्ष्य और अपने-अपने लक्ष्य! जैसा लक्ष्य, वैसा इतिहास। लेकिन अब मामला दिलचस्प होता जा रहा है। इतिहास के बजाय विज्ञान इन सवालों के जवाब ढूँढने में लगा है। और वह भी प्रामाणिक, साक्ष्य-सिद्ध, अकाट्य और वैज्ञानिक जवाब। हो सकता है कि अगले कुछ बरसों में ये सारे सवाल और विवाद खत्म हो जायें। वह दिन ज्यादा दूर नहीं।

मदरसों को अब बदलना चाहिए

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :  

मदरसे एक बार फिर विवादों में हैं! इस बार बवाल इस सवाल पर है कि मदरसे स्कूल हैं या नहीं? महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि वह उन मदरसों को स्कूल नहीं मानेगी, जहाँ अँगरेजी, गणित, विज्ञान और समाज शास्त्र जैसे विषय नहीं पढ़ाये जाते। इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार 'स्कूल न जानेवाले' बच्चों में गिनेगी।

विराट की बदतमीजियों पर बीसीसीआई मजबूर क्यों

पवन कुमार नाहर

भारतीय टीम के उपकप्तान और रॉयल चैलेंजर्स के कप्तान विराट कोहली हमेशा सुर्खियों में रहते हैं।

‘आप’ का क्या होगा जनाब-ए-आली?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

 ‘आप’ बड़े ताप में है! पारा गरम है। पार्टी तप रही है। तलवारें फिर तनी हैं।

बॉलीवुड के पोर्न-कारोबारियों को रेपिस्टों जैसी सजा मिले

अभिरंजन कुमार :

इंटरनेट, टीवी और फिल्मों के जरिए बेलगाम फैलाई जा रही अश्लीलता हमारे लिए बड़ी चिंता का मसला है, लेकिन AIB विवाद ने हमारी चेतना को झकझोर कर रख दिया है, इसलिये इसे लेकर मैं तल्खतम टिप्पणी करना चाहता हूं।

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