बॉलीवुड के पोर्न-कारोबारियों को रेपिस्टों जैसी सजा मिले

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अभिरंजन कुमार :

इंटरनेट, टीवी और फिल्मों के जरिए बेलगाम फैलाई जा रही अश्लीलता हमारे लिए बड़ी चिंता का मसला है, लेकिन AIB विवाद ने हमारी चेतना को झकझोर कर रख दिया है, इसलिये इसे लेकर मैं तल्खतम टिप्पणी करना चाहता हूं।

 

“बॉलीवुड से जुड़े कुछ लोग (पुरुष और महिलाएं दोनों) अब तक छिपी हुई वेश्यावृत्ति में लिप्त रहे हैं, अब वे इसे खुलेआम करना चाहते हैं। ये जानवर बन जाने की हद तक यौन-आजादी चाहने वाले उच्छृंखल, आवारा, अनुशासनहीन, बिगड़ैल, धंधेबाज, स्वार्थी, अय्याश और लालची अमानुष-अमानव हैं। मुझे संदेह है कि इनमें कई उस राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पोर्न रैकेट का भी हिस्सा बन चुके हैं, जो भारत को एक वृहत् देह-मंडी में तब्दील कर देना चाहता है।

अक्सर स्त्रियों की आज़ादी की वकालत करते हुए दिखाई देने वाले ये लोग वास्तव में उन्हें सिर्फ भोगने वाला शरीर समझते हैं और उनकी आजादी की वकालत के पीछे उनकी मंशा मात्र इतनी होती है कि उनके भोग-विलास-अय्याशी में किसी तरह का कोई व्यवधान उत्पन्न न हो। बॉलीवुड की कई स्त्रियां भी स्त्रीजाति की गरिमा की परवाह न करते हुए अपने लालच, ईजी-मनी, स्वार्थ और अय्याशी के लिए उन धंधेबाजों और अय्याशों का टूल बन जाती हैं।

मैं करण जौहर, रनवीर सिंह और अर्जुन कपूर समेत उस अश्लील अभद्र कार्यक्रम में उपस्थित उन तमाम लोगों को पोर्न-कारोबारी, अय्याश और धंधेबाज मानते हुए उनकी निंदा करता हूं, जो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वहां मौजूद थे, लेकिन उनसे ज्यादा निंदा मैं करण जौहर की मां, सोनाक्षी सिन्हा और दीपिका पादुकोण की करता हूं, जो स्त्री होकर भी स्त्री-जाति की आबरू को कलंकित करने के उस कलुषित कार्यक्रम में (मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक) न सिर्फ़ मौजूद थीं, बल्कि ठहाके लगा रही थीं।

करन जौहर की मां के लिए मेरी टिप्पणी बस इतनी होगी कि धन्य होगी वह मां, जिसकी मौजूदगी में बेटा अलग-अलग औरतों को लेकर बेहूदी बातें कर रहा है, भद्दी-भद्दी गालियां और अश्लील फब्तियां कस रहा है और मां को इसपर कोई एतराज भी नहीं। सोनाक्षी सिन्हा और दीपिका पादुकोण न सिर्फ अच्छी अभिनेत्रियां हैं, बल्कि भले परिवारों और संस्कारवान मां-पिता की बेटियां हैं, इसलिये उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।

मीडिया-रिपोर्ट्स के मुताबिक आलिया भट्ट भी वहां मौजूद थी, लेकिन उसकी अधिक निंदा मैं इसलिए नहीं कर रहा, क्योंकि वह अच्छी अभिनेत्री जरूर हैं, लेकिन उसके साथ परवरिश की दिक्कत है। आलिया भट्ट के ऐसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए उससे अधिक जिम्मेदारी उसके पिता महेश भट्ट की है, जो भारत में पोर्न-प्रोमोटरों के अगुवा धंधेबाज हैं।

देश की मौजूदा सरकार से जुड़े लोग संस्कृति के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते रहे हैं। यह उनके इरादों और सच्चाई के इम्तिहान की घड़ी है। अगर वे सच्चे हैं और इन पोर्न-कारोबारियों और अश्लीलता फैलाने वाले अय्याश आवारा लालची धंधेबाजों से मिले हुए नहीं हैं, तो वे तत्काल भारत के अंदर तमाम पोर्न-साइटों और अलग-अलग मीडिया के जरिए परोसी जा रही अश्लील सामग्रियों पर पाबंदी लगाएं और अश्लीलता फैलाने वालों के ख़िलाफ सख्त से सख्त कानून बनाएं।

अश्लीलता फैलाने वालों के ख़िलाफ़ सख्त कानून बनाना उतना ही जरूरी है, जितना कि रेपिस्टों के खिलाफ सख्त कानून बनाना, क्योंकि ये धंधेबाज लोग अपने फायदे के लिए लोगों की यौन-कुंठाएं भड़काते हैं, लोगों की सोच को और समाज को गंदा करते हैं, जो रेप की घटनाओं में इजाफा होने का एक प्रमुख कारण है। ऐसे हर व्यक्ति को ढील देकर हम प्रतिदिन स्त्रियों को खतरे में डाल रहे हैं।

अभिव्यक्ति की आजादी का यह कतई मतलब नहीं है कि चार लोग अपनी अय्याशी और धंधे के लिए पूरे समाज, पूरे मुल्क और समूची स्त्री-जाति की अस्मिता की धज्जियां उड़ाते रहें और हम चुपचाप बैठकर तमाशा करते रहें। अभिव्यक्ति की आजादी का नाजायज फायदा उठाने वाले ऐसे अय्याशों और धंधेबाजों को तत्काल जेल में ठूंस दिया जाना चाहिए और वह सजा दी जानी चाहिए, जो रेपिस्टों को दी जाती है।”

(देश मंथन, 05 फरवरी 2015)

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