राज कुंद्रा को लेकर लिबरल समाज की उदारता के मायने

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Raj Kundra
(चित्र राज कुंद्रा के ट्विटर खाते से)

बॉलीवुड और लिबरल जमात का सुशांत सिंह राजपूत की हत्या पर मौन रहना और न्याय की मांग न करना एवं राज कुंद्रा के अपराधों पर चुप्पी साध कर अपराधों के पक्ष में खड़े हो जाना, कहीं-न-कहीं उसके आपराधिक चरित्र को ही दिखाता है। लिबरल समाज तो दिनों-दिन नीचे गिर रहा है।

पिछले दिनों अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति और उद्योगपति राजकुंद्रा को अश्लील (पोर्न) फ़िल्में बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। शिल्पा शेट्टी भारतीय लिबरल जमात की बड़ी पसंद मानी जाती हैं। उन्हें ऐसी भारतीय सुंदरी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसने योग के माध्यम से खुद को इतना फिट रखा है। वैसे देखा जाये तो शिल्पा और उनकी बहन के खाते में अकेले अपने दम पर कोई भी बड़ी हिट फिल्म नहीं है, फिर भी उनकी जीवनशैली उनके उद्योगपति पति राज कुंद्रा के कारण किसी के भी लिए ईर्ष्या का विषय थी।
जब से राज कुंद्रा की गिरफ्तारी हुई है, तब से आम लोग अपनी इस बात की पुष्टि के लिए प्रसन्न हैं कि वाकई फिल्म इंडस्ट्री के विषय में वे जो सोचते थे वही सच है। वहीं रवि किशन द्वारा पिछले वर्ष फिल्म जगत की असलियत बताये जाने पर संसद में जिस थाली में खाते हैं, उसमे छेद करते शर्म नहीं आयी का वक्तव्य देने वाली जया बच्चन एकदम मौन हैं। वे कुछ बोल नहीं रही हैं कि राज कुंद्रा ने जिस बॉलीवुड की अभिनेत्री से शादी की और जिस बॉलीवुड ने उन्हें पहचान दी, उन्होंने उसी बॉलीवुड को धोखा दे दिया।
हर मामले में अपनी टाँग अड़ाने वाला बॉलीवुड आज मौन है। आखिर बॉलीवुड राज कुंद्रा पर मौन क्यों है? कठुआ कांड में अदालत का फैसला आये बिना हिंदू धर्म पर शर्मिंदा होने वाला और हिंदू धर्म को बदनाम करने वाला बॉलीवुड आज मौन है। फर्जी सेक्युलरिज्म फैलाने से लेकर केवल हिंदू धर्म पर उंगली उठा कर बदनाम करने वाला बॉलीवुड आज मौन है। हिंदू धर्म में सुधार करने को लेकर कई फिल्में बनाने वाला बॉलीवुड आज खुद में सुधार पर कोई आवाज क्यों नहीं उठा रहा? यह एक बड़ा प्रश्न है।
सबसे रोचक तो शिल्पा शेट्टी का वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके पति इरोटिक (कामोत्तेजक) फ़िल्में बनाते हैं, पोर्न (अश्लील) नहीं और ऐसा कंटेंट तो ऑनलाइन हर जगह मिल जायेगा। राज कुंद्रा के वकील का भी यही कहना है कि कुंद्रा ने जो भी सामग्री बनायी है, वह इरोटिक है, पोर्न नहीं, क्योंकि उसमें संबंध बनाते हुए नहीं दिखाये गये।
शमिता शेट्टी ने कहा है कि यह वक्त भी गुजर जायेगा! अर्थात् बॉलीवुड एक ऐसे मामले पर एकजुट बड़े परिवार के रूप में नजर आ रहा है, जब वह जनता की नजरों में गिर रहा है। अब लिबरल जमात के लोग एक नया शिगूफा लेकर आये हैं कि वही लोग राज कुंद्रा के बारे में बुराई कर सकते हैं, जिन्होंने आज तक पोर्न न देखा हो! यह बेहद ही बचकानी बात है। इसका मतलब है कि आप गैरकानूनी काम को मान्यता प्रदान कर रहे हैं।
और जिस तरह से उन लड़कियों को ही चरित्रहीन ठहराने की एक मुहिम आरम्भ हो गयी है, जिन्होंने राज कुंद्रा के खिलाफ गवाही दी, वह बेहद शर्मनाक है। ऐसा करके बॉलीवुड आम जनता की निगाहों में अपनी शेष इज्जत भी उतार रहा रहा है। जिस प्रकार बॉलीवुड आज एक बड़ा खुशहाल परिवार बनकर राज कुंद्रा के साथ खड़ा है, वह पिछले वर्ष सुशांत सिंह राजपूत के मामले में बड़ा खलनायक बनकर उभरा था, जिसने अपने ही एक बच्चे की हत्या को सुलझाने में मदद नहीं की थी।
वह मामला अभी अनसुलझा है, और पता नहीं है कि कभी सुलझेगा या नहीं। पर बॉलीवुड और लिबरल जमात का सुशांत सिंह राजपूत की हत्या पर मौन रहना और न्याय की मांग न करना एवं राज कुंद्रा के अपराधों पर चुप्पी साध कर अपराधों के पक्ष में खड़े हो जाना, कहीं-न-कहीं उसके आपराधिक चरित्र को ही दिखाता है। लिबरल समाज तो दिनों-दिन नीचे गिर रहा है। अब तो शायद आम जनता यह देखती है कि आखिर ये लोग और कितना नीचे गिरेंगे।
(देश मंथन, 25 जुलाई 2021)

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