लोक सभा चुनाव 2014
मतदान के अंदाजी घोड़े
डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
मतदान के अंदाजी घोड़े अभी से दौड़ने शुरू हो गये हैँ। नरेंद्र मोदी को अपना दुश्मन मानने वाले टीवी चैनल भी यह कहने को मजबूर हो गये हैं कि भाजपा को कम से कम 250 सीटें तो मिलेंगी ही।
मोदी विरोध का विकल्प मोदी
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
सोलह मई को मतगणना होने वाली है। अभी से सरकार को लेकर क़यास लगा रहे होंगे। यह एक सामान्य और स्वाभाविक लोकतांत्रिक उत्सुकता है।
हम सब एक हैं बस टीवी में नहीं हैं
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
मीडिया में जो चुनाव दिखता है वो चुनाव की हक़ीकत के बहुत करीब नहीं होता। हम तक जो पहुँचता है या परोसा जाता है वो मीडिया के पीछे होने वाली गतिविधियों का दशांश भी नहीं होता। जो सवाल होते हैं वो हवाई होते हैं और जो जवाब होते हैं वो करिश्माई।
मुलायम की बिसात पर क्या राहुल क्या मोदी
पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
नेताजी से ज्यादा यूपी की राजनीति कोई नहीं समझता। और सियासत की जो बिसात खुद को पूर्वांचल में खड़ा कर नेताजी ने बनायी है, उसे गुजरात से आये अमित शाह क्या समझे और पुराने खिलाड़ी राजनाथ क्या जाने।
शरद यादव का मोहभंग
डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
जनता दल (यू) के अध्यक्ष शरद यादव के मोह-भंग से कई सबक मिलते हैं। शरद यादव ने एक बार नहीं, दो बार सार्वजनिक-तौर पर कहा है कि जातिवादी राजनीति ने बिहार का नाश कर दिया है।
अमेठी का बदला बनारस में?
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
इसे अघोषित समझौता कहें। या एक राजनीतिक परिपाटी। पर कुछ अपवादों को छोड़ ऐसा होता आया है। बड़े नेता चाहे देश भर में घूम-घूम कर एक-दूसरे पर तीखे और करारे हमले करें, मगर एक-दूसरे के चुनाव क्षेत्रों में प्रचार करने नहीं जाते।
दादा, दीदी या मोदी?
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
भर दोपहर, सिर पर चढ़े सूरज का कहर। कोई छाता लिए, तो कोई सिर पर कपड़ा डाले हुए। उमस भरी गर्मी से निजात पाने के लिए हर कोई अपने हिसाब से तैयारी कर आया है।
मोदी पर एफआईआर के मायने
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग के आदेश के बाद गुजरात सरकार ने दो एफआईआर दर्ज कर ली हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि मोदी ने जनप्रतिनिधित्व कानून की दो धाराओं 126 (1)(a) और 126 (1)(b) के उल्लंघन किया है।
मोदी, सेल्फी और सोशल मीडिया
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
अहमदाबाद में वोट देने के बाद नरेंद्र मोदी ने लाखों युवाओं की ही तर्ज पर सेल्फी ली। सेल्फी यानी मोबाइल से अपनी ही फोटो खींचना और फिर इसे सोशल मीडिया जैसे ट्विटर या फेसबुक पर डालना। इस चुनाव में ये सबसे अधिक प्रचलन में आया है।
मनोरंजन या मनोभंजन?
डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
चुनाव के दौरान सभी दलों और सभी प्रमुख नेताओं के बयानों को पढ़-सुनकर आम आदमी मुँह में उंगली दबा रहा है।
बन जाने दीजिए ना मोदी को प्रधानमंत्री !
नदीम एस. अख्तर, शिक्षक, आईआईएमसी :
नरेंद्र मोदी के पीएम बनने पर इतनी हाय-तौबा क्यों??!! बन जाने दीजिए ना प्रधानमंत्री। ये जरूरी है।
बीजेपी-मुलायम ही सही मायने में मिले हुए
विकास मिश्रा, आजतक :
बात 1990 की है। इलाहाबाद के सलोरी मुहल्ले में सालाना उर्स था मजार पर। बहुत मजा आ रहा था। कव्वाल झूम झूमकर गा रहे थे।