Sunday, October 6, 2024
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इन चार परिवारवादी दलों का भविष्य है अंधकार में

इन सभी पार्टियों के वर्तमान नेतृत्व को ऐसा लगता था कि हमारे साथ विरासत (लीगेसी) है, हमारा कोई क्या बिगाड सकता है। मगर पहले जनता, फिर कार्यकर्ताओं ने साथ छोड़ दिया। राजीव गांधी के समय से यह ग्राफ घटता जा रहा है। ऐसी सभी पार्टियों में अलग-अलग स्तरों पर असंतोष है। पार्टी और सत्ता का शीर्ष पद परिवार के लिए आरक्षित हो, तो बगावत तय होती है।

आरएसएस पर नेहरू का वह अभियान, जिसे मोदी ने पलट दिया

देश में आरएसएस पर 18 महीने तक प्रतिबंध रहा और इस दौरान नेहरू की सरकार में नियोजित तरीके से समाज में आरएसएस का दानवीकरण करने का अभियान चला। उस समय महज दो शब्द कहने से लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा चली जाती थी, सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों की नौकरी चली जाती थी, व्यापारियों पर मुकदमे हो जाते थे। वे दो शब्द थे - आरएसएस एजेंट।

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार की अजब-गजब!

महाराष्ट्र में न जाने कितने किसान आत्महत्या कर चुके हैं और वहाँ की कानून व्यवस्था पर बड़े प्रश्न उठ रहे हैं। परंतु फिर भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में घटित हिंसा में मारे गये किसानों की हत्या के विरोध में अपने ही प्रदेश में बंद करवाया, और वह भी ऐसा बंद जिसमें उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आम लोगों पर हिंसा की।

लखीमपुर खीरी : विपक्ष की विभाजक राजनीति या फिर प्रियंका गांधी के लिए लॉन्च-पैड?

ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश के बाहर यह आंदोलन राहुल गांधी के कंधों पर है, तो वहीं उत्तर प्रदेश में यह आंदोलन प्रियंका गांधी को लॉन्च करने के लिए है। मगर इन सबके बीच एक बड़ी रोचक बात हो रही है – वह है वरुण गांधी का भाजपा से दूर जाना।

राकेश टिकैत का ढोल उनके घर में फट गया

जिन राजनीतिक दलों ने इसमें बढ़-चढ़ कर पीछे से हिस्सा लिया, पैसा दिया, खाने-पीने और आने-जाने का इंतजाम कराया, उन्हें लग रहा है कि यह सारी मेहनत बेकार गयी। यह जो सारा इंतजाम किया गया था, इसका मकसद था उत्तर प्रदेश के चुनाव को प्रभावित करना।

मुकुल रॉय के जाने से भाजपा के लिए सबक

पश्चिम बंगाल के घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय पार्टी छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में वापस चले गये। कांग्रेस से निकले, तृणमूल कांग्रेस बनायी। तृणमूल कांग्रेस से निकले, भारतीय जनता पार्टी में आये। भाजपा से निकले, फिर तृणमूल कांग्रेस में चले गये। तृणमूल कांग्रेस में उनका वापस जाना क्या बताता है तृणमूल कांग्रेस के लिए, भाजपा के लिए और सामान्य तौर पर राजनीति के लिए?

कोरोना की लड़ाई तो हम तभी हार गये थे जब…

एक हारी हुई लड़ाई के लिए कोई तो दोषी ठहराया ही जायेगा। तो वह दोषी खोज निकाला गया है। वह दोषी है हिंदू मध्यम वर्ग, जो सेक्युलिबरलों के अनुसार नफरती बन गया है।

क्या नेहरू ने चीन की मदद की सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने में?

राजीव रंजन झा : 

वित्त मंत्री अरुण जेटली के एक बयान से यह विवाद खड़ा हो गया है कि क्या चीन को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता दिलवाने में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मदद की थी? 

आपको नहीं पता होगा मध्य प्रदेश में भाजपा की हार का यह कारण

राजीव रंजन झा : 

कल शाम रीवा के भँवर सिंह से बात होने लगी। उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण और दिलचस्प बात बतायी, वह इस टिप्पणी के अंत में है। वे यहाँ दिल्ली में चौकीदार का काम करते हैं। मैंने पूछा, वोट देने गये थे? 

क्यों फिर उल्टा पड़ गया कांग्रेस का दाँव

कांग्रेस अध्यक्षों की सूची 1947 से नहीं, 1978 से देखें...

राजीव रंजन झा : 

शशि थरूर कांग्रेस के नये मणिशंकर अय्यर बन गये हैं। वे अपनी समझ से तो भाजपा पर बहुत धारदार हमला करते हैं, पर भाजपा उनका फेंका हुआ हथगोला लपक कर वापस कांग्रेसी खेमे पर ही उछाल दे रही हैं।

विपक्षी महागठबंधन पर कांग्रेस की दबाव की रणनीति

संदीप त्रिपाठी :

केंद्र की एनडीए सरकार के खिलाफ देशभर में विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने की कल्पना को खुद कांग्रेस खारिज करती दिख रही है। एक तरफ दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ‘महागठबंधन’ का प्रयास आसान नहीं होगा।

बहुत कुछ कहता है आशुतोष और आशीष का इस्तीफा

संदीप त्रिपाठी स्वतंत्रता दिवस पर आम आदमी पार्टी (आआपा) से दो स्तंभाकार नेता स्वतंत्र हुए। एक आशुतोष और दूसरे आशीष खेतान। इनमें आशुतोष ने...
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सर्वोच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी के बीच बुलडोजर कार्रवाई जारी

देश में बुलडोजर कार्रवाई (bulldozer action) को लेकर पिछले दिनों सियासत गरमायी रही थी। खास कर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम समेत भाजपा...

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हमारी व्यस्त दिनचर्या का असर आँखों पर भी पड़ता है और इसकी वजह यह है कि हम सभी मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं।...

कृषि कानूनों पर कंगना रनावत के बयान से बढ़ा भाजपा का सिरदर्द, बयान वापस

कृषि कानूनों को लेकर ताजा बयान पर कंगना रनावत के माफी माँगने के बाद भी विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। कंगना ने इसके पहले किसान आंदोलन को लेकर भी एक बयान दिया था, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें हिदायत भी दी थी।

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