रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण के लिए बजट दोगुना हुआ
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
- किफायती सफर के कारण रेल मंत्री का विद्युतीकरण पर खास जोर
- 1600 किमी इलेक्ट्रिक लाइनों पर परिचालन शुरू होगा इस साल
‘काली खेती’ का गोरखधन्धा!
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
अगर यह बात सच हो तो शायद यह UPA सरकार के दिनों का सबसे बड़ा घोटाला होगा! 'काली खेती' का घोटाला! लाखों अरब रुपये का घोटाला होगा यह। इतना बड़ा कि आप कल्पना तक न कर सकें! गिनतियों में उलझ कर दिमाग घनचक्कर हो जाये! छह सालों में यह छब्बीस करोड़ करोड़ रुपये का गड़बड़झाला है।
किसकी जेब के आठ लाख करोड़?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
हंगामा है, न गुस्सा। न चिन्ता है, न क्षोभ। 'ग्रेट इंडियन बैंक डकैती' हो गयी तो हो गयी। लाखों करोड़ रुपये लुट गये, तो लुट गये। खबर आयी और चली गयी। न धरना, न प्रदर्शन, न नारे, न आन्दोलन। न फेसबुकिया रणबाँकुरे मैदान में उतरे। न किसी ने पूछा कि कर्ज़ों का यह महाघोटाला करनेवाले कौन हैं?
चुप हैं किसी सब्र से तो पत्थर न समझ हमें…
राजेश रपरिया :
मोदी सरकार के लगभग दो साल के राज में खेती और उससे जुड़े लोगों के आर्थिक हालात मनमोहन सिंह राज के अंतिम दो तीन सालों से ज्यादा खराब हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हताशा व्याप्त है प्राकृतिक आपदाओं की बेरहम मार तो खेती को झेलनी ही पड़ी है पर मोदी सरकार के रवैये ने खेती के संकट को खूंखार बना दिया है। अनेक राज्यों में किसानों की बढ़ती आत्महत्याएँ ग्रामीण भारत में बढ़ती हताशा और निराशा का द्योतक है।
कच्चा तेल पानी से सस्ता होने को बेताब
राजेश रपरिया :
सहसा विश्वास नहीं होता है कि कच्चे तेल के दाम पानी से कम हो जायेंगे। लेकिन गोल्डमैन सैक्स की मानें तो वह दिन अब दूर नहीं है। सच तो यह है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में यह करिश्मा अभी घट चुका है। एक बैरल में 158 लीटर होते हैं। यदि कच्चे तेल की कीमत 20 डॉलर प्रति बैरल हो जात है तो एक लीटर कच्चे तेल के दाम होंगे 8.50 रुपये यानि बोतलबंद पानी से भी कम। कुछ महीने पहले विश्व विख्यात निवेशक कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने कच्चे तेल के दाम 20 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने की भविष्यवाणी की थी। तब अधिकांश तेल विशेषज्ञों ने इसे हवा में उड़ा दिया था। यह तेल विशेषज्ञ मानने को तैयार नहीं थे कि कच्चे तेल के दाम 40-45 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जा सकते हैं। पर नये साल की शुरुआत से अचानक ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिन्हें अब गोल्डमैन सैक्स की भविष्यवाणी सच होती दिखायी दे रही है। असल में पिछले पाँच महीने काफी उठा-पटक के रहे हैं। कनेडियाई कच्चे तेल ने गोल्डमैन सैक्स की भविष्यवाणी को सच साबित कर दिया। समाप्त हफ्ते में बुधवार को इसके दाम 20 डॉलर से नीचे पहुँच गये।
रिटेल एफडीआई पर केन्द्र सरकार के यू-टर्न के मायने क्या हैं
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने खुदरा व्यापार में 51% एफडीआई के पूर्ववर्ती सरकार के निर्णय को जारी रखने का फैसला किया है।
भूमि अधिग्रहण बिल पर तथ्यहीन विरोध
राजीव रंजन झा :
राहुल गाँधी को भारतीय राजनीति में पुनर्स्थापित करने के प्रयास के तहत कांग्रेस ने बीते रविवार को दिल्ली में किसानों की रैली की और उसमें राहुल खूब गरजे-बरसे।
तो आखिर कब घटेगी आपकी ईएमआई
राजीव रंजन झा :
मंगलवार 7 अप्रैल को सुबह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति सामने आते ही समाचार चैनलों की सुर्खियाँ बताने लगीं कि नहीं बदलेगी आपकी ईएमआई, लेकिन क्या बैंकों को उस दिन अपनी ईएमआई घटानी थी, और उन्होंने वह फैसला टाल दिया?
कौशल विकास : भई क्या रखा है डिग्री में, कुछ काम सीख लो
राजीव रंजन झा :
कौशल विकास या स्किल डेवलपमेंट मोदी सरकार का मौलिक नारा नहीं है।
सेकंड सेक्स, प्लीज देखो सेंसेक्स
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है
POWER AND FREEDOM FLOWS FROM THE LAYERS OF PURSE-प्रोफेसर सैमुअल बायरन का यह स्टेटमेंट बहुत यथार्थवादी है। ताकत और स्वतंत्रता पर्स से बहती हैं।
न ड्रीम, न क्रीम बजट, बस बिजनेस थीम बजट!
कमर वहीद नकवी :
न ड्रीम बजट, न क्रीम बजट, यह ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ का थीम बजट है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कम से कम दस बार ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ की बात कही और बजट भाषण के ठीक बाद अपने इंटरव्यू में जेटली ने कहा कि जब हम उद्योगों से कमाई करेंगे, तभी तो गरीब की मदद हो पायेगी।
रेल बजट: 2015 – आइडिया पे आइडिया
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है
केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, पर रेल बजट 2015-16 पेश करने में उन्होने जो किसी कवि की कल्पनाशीलता दिखायी है। चार्टर्ड एकाउंटेंट का काम ठोस आंकड़ों की पुख्ता जमीन पर होता है। कवि को यह छूट होती है कि वह अपनी कल्पना के घोड़े कहीं भी दौड़ा ले।