Thursday, May 9, 2024
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अर्थ सार

मोदी देंगे 75,000 करोड़ रुपये का तोहफा?

राजेश रपरिया :

अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री मोदी देश के निम्न आय वर्ग के 7.5 करोड़ परिवारों को नायाब तोहफा देने की घोषणा करेंगे, जिनके अभी बैंकों में खाते नहीं हैं।

ब्रिक्स बैंक से मिली है विश्व बैंक को चुनौती

राजीव रंजन झा :

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका - इन पाँचों देशों के अंग्रेजी प्रथमाक्षरों को मिला कर बना एक शब्द ब्रिक्स इन दिनों सुर्खियों में है। भारत में एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की होगी, जिन्होंने हाल में ही यह शब्द पहली बार सुना होगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राजील यात्रा की खबरें सामने आयीं।

बजट 2014 : थोड़ी राहत, थोड़ा सुधार

राजीव रंजन झा :

अरुण जेटली ने आय कर में छूट की सीमा बढ़ा कर मध्यम वर्ग का दिल जीतने की कोशिश की है। अब ढाई लाख रुपये तक कर छूट, धारा 80सी के तहत एक लाख के बदले डेढ़ लाख रुपये तक की छूट और आवास ऋण के ब्याज पर डेढ़ लाख के बदले दो लाख रुपये की छूट को जोड़ कर देखें, तो कर छूट की सीमा छह लाख रुपये पर पहुँच गयी है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 : अर्थव्यवस्था सँभलने की उम्मीद और नसीहतें

राजीव रंजन झा :

केंद्रीय बजट से एक दिन पहले संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 ने देश की वित्तीय हालत का प्रतिबिंब सामने रखा है। इसमें एक तरफ जहाँ यह उम्मीद जतायी गयी है कि 5% से कम विकास दर के दौर से अर्थव्यवस्था उबरने वाली है, वहीं सरकार को अपने घाटे पर नियंत्रण पाने, महँगाई पर काबू रखने और निवेश के माहौल को सुधारने की सलाह दी गयी है।

घोषणाओं की रेल के आगे

राजीव रंजन झा : 

सदानंद गौड़ा के ब्रीफकेस से कोई भभूत नहीं निकला, कोई चमत्कार नहीं हुआ। बुलेट ट्रेन की घोषणा जरूर हो गयी, लेकिन रेल बजट का पूरा भाषण सुनने के बाद लोगों को लगा कि अरे, पहले के भाषण भी तो ऐसे ही होते थे!

राजनीति की मौकापरस्ती बनाम रेलवे का कायाकल्प

राजीव रंजन झा : 

लोकसभा चुनाव के नतीजों की गहमागहमी के बीच 16 मई को एक खबर कब आयी और किधर खो गयी, किसी को पता भी नहीं चला था। खबर यह थी कि आम चुनाव समाप्त होते ही रेलवे ने यात्री किरायों में 14.2 प्रतिशत और माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा कर दी और यह वृद्धि 20 मई से लागू होगी।

रेलवे को आधुनिक बनाना जरूरी : नरेंद्र तनेजा

नरेंद्र तनेजा, राष्ट्रीय संयोजक (ऊर्जा प्रकोष्ठ), भाजपा :

रेलवे के किराये-भाड़े आज से कुछ साल पहले बढ़ाये जाने चाहिए थे, लेकिन चुनाव और लोकप्रिय बजट आदि के मद्देनजर इसे लागू नहीं किया गया।

राहत देने के बदले महँगाई बढ़ाने वाला फैसला

राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक, निवेश मंथन :

रेलवे के किराये अभी बढ़ाने का कोई अर्थ नहीं था। पूत के पाँव पालने में दिख रहे हैं। जनता ने इन्हें महँगाई के खिलाफ वोट दिया है। पर यह सरकार कांग्रेस की उन नीतियों से, जिनकी नींव मनमोहन सिंह ने 1991 में रखी थी, मुक्त नहीं हो पा रही है।

लोक लुभावन योजनाएँ हों या कठोर निर्णय?

बृजेश श्रीवास्तव :

कल दो बड़ी खबरें आयीं, एक नयी दिल्ली से और दूसरी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से। नयी दिल्ली की खबर रेल मंत्री जी द्वारा रेल यात्री किराये और माल भाड़े में बढ़ोतरी की थी।

फिर जनता ने आपको क्यों कुर्सी पर बिठाया?

योगेश सिंह, उद्यमी :

रेल किराये में बढ़ोतरी के नाम पर क्या सुविधाएँ मिलेंगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है। परँतु आम जनता को तुरँत इस रिकॉर्ड बढ़ोतरी का क्या लाभ मिलेगा, जरा उसे भी समझ लेते हैं।

जरा सोचें कि बढ़े रेल किराये के बदले क्या-क्या मिलेगा

मोहक शर्मा, टेलीविजन पत्रकार :

मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक कांग्रेसी नेताओं से लेकर 'आप' वाले तक सब के सब आधा सच बता रहे है कि रेल किराया 14% बढ़ा।

क्या जेटली लायेंगे अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन!

राजीव रंजन झा : 

भारत के वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के पहले बयान की यह पंक्ति लोगों में भरोसा जगाती है कि “हमें विकास की गति को फिर से तेज करना है, महँगाई पर नियंत्रण करना है और सरकारी घाटे पर भी स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करना है।”

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