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सर्वोच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी के बीच बुलडोजर कार्रवाई जारी
कांग्रेस मुख-पत्र ने तो हद कर दी, सीधी अवमानना सर्वोच्च न्यायालय की
राजीव रंजन झा :
श्रीराम जन्मभूमि विवाद पर इस देश में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से पहले वैसे तो सबने कसमें खायीं कि जो भी अदालत का फैसला होगा, उसे ही मानेंगे। लेकिन फैसला सामने आने के कुछ लोगों ने इसमें मीन-मेख निकालना भी शुरू कर दिया है।
गले पड़ गया 100 दिनों का वादा
राजीव रंजन झा :
एनडीए सरकार के लिए 100 दिनों में विदेशों से काला धन वापस लाने का वादा उसी तरह गले पड़ गया है, जैसे यूपीए सरकार के लिए 100 दिनों में महँगाई घटाने का वादा गले पड़ गया था। अब 100 दिनों के बदले 150 से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं और लोग पूछ रहे हैं कि सरकार बतायें, विदेशों से वापस लाया हुआ काला धन कहाँ है?
यही सब होगा तो साख कहाँ से आयेगी?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
बच्चे थे, तब से सुन रहे हैं! शायद तब से अब तक हजारों बार सुन-पढ़ चुके हैं! न्याय न सिर्फ होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए! तो बाकी बातें छोड़ दीजिए, बस जी कर रहा है कि यही एक सवाल माननीय पी. सदाशिवम जी से पूछूँ।
अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध
डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
इंटरनेट पर चलने वाली अश्लील दृश्यावलियों के बारे में भारत सरकार का रवैया काफी अजीब है। सरकार के अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने बहस करते हुए कहा कि अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो देश को भारी नुकसान हो जायेगा।