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आरक्षण के खिलाफ हवाई घोड़े!
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
क्या यह महज संयोग ही है कि हार्दिक पटेल ने आरक्षण का मुद्दा तभी उठाया, जब जातिगत जनगणना के पूरे आँकड़े मोदी सरकार दबाये बैठी है? सवाल पर सोचिए जरा! जातिगत जनगणना के शहरी आँकड़े तो अभी बिलकुल गुप्त ही रखे गये हैं, और आरक्षण का बड़ा ताल्लुक शहरी आबादी से ही है। लेकिन केवल ग्रामीण आँकड़ों का भी जो जरा-सा टुकड़ा सरकार ने जाहिर किया है, उसमें भी ओबीसी के आँकड़े उसने पूरी तरह क्यों छिपा लिये? यह नहीं बताया कि कितने ओबीसी हैं? क्यों? ओबीसी के आँकड़े बिहार चुनाव में मुद्दा बन जाते? बनते तो क्यों? ओबीसी के आँकड़ों में ऐसा क्या है, जिसे सरकार अभी सामने नहीं आने देना चाहती! इसलिए क्या यह वाकई संयोग है कि ठीक इसी समय गुजरात से ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी जाती है?
क्यों ‘आरक्षण-मुक्त’ भारत का नारा?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
गुजरात के पाटीदार अनामत आन्दोलन (Patidar Anamat Andolan) के पहले हार्दिक पटेल को कोई नहीं जानता था। हालाँकि वह पिछले दो साल में छह हजार हिन्दू लड़कियों की 'रक्षा' कर चुके हैं! ऐसा उनका खुद का ही दावा है! बन्दूक-पिस्तौल का शौक हार्दिक के दिल से यों ही नहीं लगा है।