Wednesday, February 5, 2025
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अनपेक्षित नहीं हैं बिहार के नतीजे : महागठबंधन की हर रणनीति कामयाब

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

लालटेन की रोशनी में तीर के सारे निशाने कमल पर सही लगे। यह रिजल्ट अनपेक्षित नहीं था। लोकसभा चुनाव के बाद पिछले साल 10 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजों से ही इसका संकेत मिल गया था। इस चुनाव के लिए भी महागठबंधन की तैयारी हर स्तर पर बीजेपी से बेहतर थी। मोदी और बीजेपी का हर राज जानने वाले प्रशांत किशोर की चाणक्य-बुद्धि भी महागठबंधन के काम आ गयी।

अब फर्जी सेक्युलर सिखाएँगे सहिष्णुता का पाठ

अभिरंजन कुमार :

चीन में यह भी कम्युनिस्ट ही तय करते हैं कि लोग कितने बच्चे पैदा करें। वहाँ की कम्युनिस्ट सरकार ने 36 साल बाद अपने नागरिकों को दो बच्चे पैदा करने की इजाजत दी है। वहाँ पहले एक ही बच्चा पैदा करने की इजाजत थी। दंपति दूसरा बच्चा तभी पैदा कर सकते थे, जब पहली संतान लड़की हो।

बिहार में ‘हवा’ उसकी नहीं, जिसकी जीत होने वाली है!

अभिरंजन कुमार :

बिहार चुनाव एक पहेली की तरह बन गया है। अगड़े, पिछड़े, दलित, महादलित-कई जातियों/समूहों के लोगों से मेरी बात हुई। उनमें से ज्यादातर ने कहा कि उन्होंने बदलाव के लिए वोट दिया, लेकिन साथ ही वे इस आशंका से मायूस भी थे कि बदलाव की संभावना काफी कम है।

नयनतारा से मुनव्वर एक डूबते हुए वंश को बचाने के लिए हुए क्रांतिकारी

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

अब आप इसे सेक्युलरिज्म की लड़ाई कहें, अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले के खिलाफ सघर्ष कहें या बढ़ती असहिष्णुता का विरोध... नयनतारा सहगल से लेकर मुनव्वर राणा तक आते-आते यह साफ हो चुका है कि बिहार चुनाव के ठीक बीच लेखकों का “पुरस्कार लौटाओ अभियान” पूर्णतः सियासी है। जिन डिजर्विंग और नॉन-डिजर्विंग लेखकों पर अतीत में अहसान किये गये, आज एक डूबते हुए वंश को बचाने और देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है।

बिहार चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए पुरस्कार लौटा रहे हैं लेखक

अभिरंजन कुमार :

किसी दिन पुरस्कार लौटाने के लिए यह जरूरी है कि आज पुरस्कार बटोर लो। पुरस्कार मिले तो भी सुर्खियाँ मिलती हैं। मिला हुआ पुरस्कार लौटा दो तो और अधिक सुर्खियाँ मिलती हैं। समूह में पुरस्कार लौटाना चालू कर दो तो क्रांति आ जाती है। ऐसी महान क्रांति देखकर मन कचोटने लगा है। काश...

बलि के बकरों के लिए किसका काँपता है कलेजा?

अभिरंजन कुमार :

अखलाक को किसी हिन्दू ने नहीं मारा। हिन्दू इतने पागल नहीं होते हैं। उसे भारत की राजनीति ने मारा है, जिसके लिए वह बलि का एक बकरा मात्र था। सियासत कभी किसी हिन्दू को, तो कभी किसी मुस्लिम को बलि का बकरा बनाती रहती है। इसलिए जिन भी लोगों ने इस घटना को हिन्दू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की है, वे या तो शातिर हैं या मूर्ख हैं।

ध्रुवीकरण करने वाले नेताओं और एजेंट बुद्धिजीवियों से सावधान!

अभिरंजन कुमार :

मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस देश के आम, गरीब, अनपढ़, कम पढ़े-लिखे, ग्रामीण लोग धर्मनिरपेक्ष हैं, लेकिन प्रायः सभी राजनीतिक दल, नेता, बुद्धिजीवी, पढ़े-लिखे और शहरी लोग सांप्रदायिक हैं।

मांझी से मजबूत होगा एनडीए

अभिरंजन कुमार :

जीतनराम मांझी के शामिल होने का फायदा एनडीए को निश्चित रूप से होगा और नीतीश कुमार को नेता घोषित करने का नुकसान निश्चित रूप से कांग्रेस-आरजेडी-जेडीयू-एनसीपी-कम्युनिस्ट गठबंधन को होगा। 

क्या ब्लैकमेल हो गये लालू?

अभिरंजन कुमार :

पूरी तरह से मर चुकी कांग्रेस और अधमरे जेडीयू ने बिहार में लालू यादव को ब्लैकमेल कर लिया। सच्चाई यह है कि चारा घोटाले में सज़ायाफ़्ता होने और 15 साल तक जंगलराज चलाने के आरोपों के बावजूद लालू यादव का जनाधार नीतीश की तरह क्षीण नहीं हुआ है।

कृपया काम अधिक, छुट्टियाँ कम कीजिए जज साहब

अभिरंजन कुमार :

न्यायाधीशों की कांफ्रेंस का इस आधार पर विरोध करना कि वह गुड फ्राइडे के दिन क्यों रखी गयी, जस्टिस जोसेफ कुरियन की सांप्रदायिक, संकीर्ण और कुंठित सोच को दर्शाता है।

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