Tag: Akbar
तुम घटिया, तुम्हारी साड़ी घटिया
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
निवेदन-यह व्यंग्य मूलत चालीस के उस पार की आदरणीयाओं के लिए है।
ऐसी कल्पना उभरती है कि जब परमात्मा ने पूरी सृष्टि बना ली होगी, तमाम रंग बना लिये होंगे, तो तब मिसेज परमात्मा को बुलाकर वे रंग दिखाये होंगे। परमात्मा ने मिसेज परमात्मा से कहा होगा बताओ इन रंगों का क्या करें। मिसेज परमात्मा ने निश्चित तौर पर कहा होगा-इतने सारे रंगों की साड़ियाँ होनी चाहिए। सिर्फ इतने ही रंगों की क्यों, इन रंगों को मिक्स कर दिया जाये, फिर जितने किस्म के शेड बनें, उन सबकी साड़ियाँ होनी चाहिए।
जोधा-अकबर पेरेंट्स – टीचर मीटिंग में
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
अभी लौटा हूँ एक पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर मीटिंग से।
जरा कल्पना कीजिये, शाहजादा सलीम की पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग चल रही है। क्राफ्ट मैडम शिकायत कर रही है- जरा भी इंटरेस्ट नहीं दिखाता। क्राफ्ट क्लास में नहीं आता। कला का जरा सा भी एलीमेंट नहीं इसमें।
मोह उम्र में ज्ञान से बड़ा है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
अब आज की पोस्ट पढ़ते हुए मुझे कोसने मत लगिएगा कि वो कहानी मैं कहाँ से लेकर आ गया हूँ, जिसे आप बचपन से सुनते चले आ रहे हैं। पर हर पुरानी कहानी का एक संदर्भ होता है। वजह होती है, पुरानी कहानी को नये मौके पर सुनाने की।
अकबर का होली-डे होमवर्क
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
बच्चों की आफत है, होली-डे में भी होमवर्क होता है।
ये वक्त गुजर जाएगा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
रोज सुबह जगना और फिर लिखना मेरे नियम में शुमार हो चुका है।
अकबर को क्या जरूरत पूजा करने की!
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कुछ दिन पहले मैं अमिताभ बच्चन से मिलने उनके दिल्ली वाले घर में गया था। पहले भी कई बार जा चुका हूँ, लेकिन इस बार जब मैं उनसे मिलने गया तो मुझे उनके साथ कहीं जाना था। मैं ड्राइंग रूम में बैठ कर चाय पी रहा था, अमिताभ बच्चन तैयार हो रहे थे।
हिंदी लेखक उर्फ बकरी
आलोक पुराणिक :
दिल्ली में इंटरनेशनल बुक फेयर शुरू होनेवाला है। पढ़ने-लिखने से जुड़ा विमर्श कई शैक्षिक संस्थानों में शुरू हुआ है।