Friday, May 17, 2024
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रोटी, कपड़ा और मकान

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

हमारे शहर में फिल्म लगी थी रोटी, कपड़ा और मकान। रिक्शा पर लाऊडस्पीकर लगा कर एक आदमी आता और माइक पर अनाउंस करता, आपके शहर के रूपम सिनेमा हॉल में लगातार पच्चीस हफ्तों से धूम मचा रहा है, ‘रोटी, कपड़ा और मकान’। वो इतना बोलता और फिर लाउडस्पीकर पर गाना बजता— “तेरी दो टकिए की नौकरी, मेरा लाखों का सावन जाए…।”

कांग्रेस में घबराहट

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

चापलूसी की इंतहा है। संसद में गला फाड़ने से कुछ नहीं होगा। देश अब जान चुका है कि हर घोटाले और भ्रष्टाचार के पीछे कौन सा राजनीतिक दल और उसका आला कमान है। इसलिए तर्क मत गढ़िए। एजेंसियों को अपना काम करने दीजिए।

तरक्की की राह

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

पता नहीं किसने, लेकिन संजय सिन्हा फेसबुक परिवार के ग्रुप में किसी ने इस कहानी को साझा किया था। कहानी किसने लिखी है, पता नहीं। पर मुझे बहुत जरूरत थी इस कहानी की।

मैंने अपने एक परिजन की बीमारी के बीच लगातार अस्पतालों के चक्कर काटते हुए तीन दिनों से प्राइवेट अस्पताल और डॉक्टरों के भ्रष्टाचार की कहानी आपको सुना रहा हूँ।

राजनीति भूल गये मोदी जी!

राजीव रंजन झा :

इतना भी काम मत कीजिए मोदी जी। काम में उलझ कर राजनीति भूल गये हैं नरेंद्र मोदी। 

जी हाँ। गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी ने काम भी जम कर किया, और राजनीति भी जम कर की। विरोधियों के फेंके पत्थरों को चुन-चुन कर अपना राजनीतिक महल बनाते रहे। मगर दिल्ली आ कर शायद यह कला भूल गये मोदी। 

‘बीमार’ मुख्यमंत्री की भाषा

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दु:साध्य ब्लड शुगर नें कहीं उनके दिमाग पर तो असर नहीं डाल दिया?

नैतिक पतन

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मेरे एक परिचित ने पासपोर्ट बनने के लिए आवेदन किया। यह तो आप जानते ही होंगे कि पासपोर्ट बनने के क्रम में पुलिस वाले आपके घर आकर यह जाँचते हैं कि पासपोर्ट में दी गयी जानकारी सही है या नहीं। तो मेरे परिचित के घर भी पुलिस यह जाँच करने पहुँची कि उनका पता सही है या नहीं।

तमाशों के बताशे खाइए!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :  

क्या तमाशा है? इधर तमाशा, उधर तमाशा, यह तमाशा, वह तमाशा! और पूरा देश व्यस्त है तमाशों के बताशों में! तेरा तमाशा सही या उसका तमाशा सही? तेरी गाली, उसकी गाली, तेरी ताली, उसकी ताली, तू गाल बजा, वह गाल बजाये, तेरी पोल, उसकी पोल, कुछ तू खोल, कुछ वह खोले! और देश बैठ कर बताशे तोले कि चीनी कहाँ कम है? कौन कम गलत है? है न अजब तमाशा! 

व्यापमं बाहर नहीं, अन्दर है!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :  

सब तरफ व्यापमं ही व्यापमं है! वह व्यापक है, यहाँ, वहाँ, जहाँ नजर डालो, वहाँ व्याप्त है! साहब, बीबी और सलाम, ले व्यापमं के नाम, दे व्यापमं के नाम! व्यापमं देश में भ्रष्टाचार का नया मुहावरा है, जिसमें कोई एक, दो, दस-बीस, सौ-पचास का भ्रष्टाचारी गिरोह नहीं, हजारों हजार भ्रष्टाचारी हैं।

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