नैतिक पतन

0
216

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मेरे एक परिचित ने पासपोर्ट बनने के लिए आवेदन किया। यह तो आप जानते ही होंगे कि पासपोर्ट बनने के क्रम में पुलिस वाले आपके घर आकर यह जाँचते हैं कि पासपोर्ट में दी गयी जानकारी सही है या नहीं। तो मेरे परिचित के घर भी पुलिस यह जाँच करने पहुँची कि उनका पता सही है या नहीं।

वो मुझे बता रहे थे कि उनका पासपोर्ट बहुत आसानी से बन गया। पुलिस वाले ने ज्यादा जाँच पड़ताल नहीं की। आते ही उन्होंने उससे खर्चा-पानी पूछ लिया और पुलिस वाले ने बिना लज्जा या भय के बता दिया कि इसमें ऊपर तक कट बँधा हुआ है, इसलिए दो हजार रुपये प्रति पासपोर्ट लगेंगे। आपका और आपकी पत्नी दोनों का पासपोर्ट है, तो चार हजार रुपये हुए। 

मेरे परिचित ने तुरंत चार हजार रुपये दे दिए। उनकी जाँच हो गई पासपोर्ट आ गया।

मुझे यह बात वो बहुत खुशी से बता रहे थे। 

मैंने उनसे कहा कि आपको पैसे नहीं देने चाहिए थे। इस पर उन्होंने मुझे बताया कि उनके पड़ोस में ही एक सज्जन ने ऐसी गलती की थी, उनका पासपोर्ट आजतक नहीं बना। पुलिस वाले उनकी इतनी जाँच कर रहे हैं कि दो साल पहले वो कहाँ थे, उनकी पत्नी जिस दूसरे शहर में थीं, उसका पता दीजिए, वहाँ अलग से पुलिस जाएगी और इस तरह पुलिस क्लीयरेंस नहीं मिलने के कारण उनका पासपोर्ट लटका हुआ है। 

मैंने उनसे कहा कि मुझे नहीं लगता कि अगर आपके सारे पेपर सही हों, सारी जानकारी सही भरी गयी हो, तो आपका पासपोर्ट बनने से कोई रोक सकता है और आप अगर इस तरह पैसे खिलाते रहेंगे, तो देश से भ्रष्टाचार कैसे खत्म होगा। आपको उस पुलिस वाले की शिकायत करनी चाहिए। 

इस पर मेरे परिचित ने कहा कि मैं उस गरीब की शिकायत क्यों करूँ? भ्रष्टाचार तो ऊपर तक है। उस दो हजार में से तो उसके पल्ले सौ रुपये ही आते होंगे। बाकी तो ऊपर तक बंट जाते हैं। 

***

मेरी एक परिचित, जो शिक्षा विभाग में काम करती हैं उन पर इस बात के लिए दबाव डाला जा रहा है कि वो फलाँ अधिकारी पर शारीरिक शोषण का आरोप लगा दें। अगर वो ऐसा कर देंगी, तो उन्हें प्रमोशन मिल जाएगा। वो ऐसा आरोप कैसे लगाएँ, जब वो अधिकारी सचमुच ऐसा नहीं कर रहा। लेकिन ऐसा करने के लिए उनकी इमीडिएट बॉस इतना दबाव डाल रही है कि बेचारी मेरी परिचित अब अपनी अच्छी भली सरकारी नौकरी छोड़ने का मन बना बैठी है। उसका जमीर उसे इजाजत नहीं दे रहा कि वो इस तरह के झूठे आरोप लगा कर किसी को फंसाए। 

मैंने पूछा कि तुम्हारी बॉस ऐसा करने को क्यों कह रही है? तो उसने तुरंत कहा कि मेरे ऐसा आरोप लगाते ही ऊपर वाले की नौकरी चली जाएगी और उसके बॉस को प्रमोशन मिल जाएगा।

***

एक व्यक्ति ने मुझे बताया कि उसके विभाग में सारे बड़े फैसले रुके हुए हैं। उस विभाग की मन्त्री महोदया ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि उनके पति की कंपनी को ही ठेका मिला तो काम होगा, वर्ना बैठे रहो। 

***

आज मैं बहुत छोटी पोस्ट लिख रहा हूँ। आज मैं सिर्फ यह सोचने की जहमत उठा रहा हूँ कि क्या सचमुच हमारा इतना नैतिक पतन हो गया है कि अब दुनिया की कोई शक्ति हमें नहीं सुधार सकती?

जब-जब मैं ऐसी घटनाओं से रूबरू होता हूँ, मुझे माँ की बहुत याद आती है। माँ कहती थी कि जब आदमी का नैतिक पतन हो जाये, तो उसका विकास रुक जाता है। मैं मीडिया में हूँ। मेरे पास ऐसी खबरें रोज आती हैं। 

तो क्या मुझे अब ऐसा सोचना चाहिए कि हमारा विकास रुक गया है? 

(देश मंथन, 08 सितंबर 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें