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अरुणाचल प्रकरण : अपने खोदे गड्ढे में खुद गिरी भाजपा
संदीप त्रिपाठी :
अरुणाचल प्रदेश प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय जनता पार्टी की किरकिरी हुई है। भाजपा इस किरकिरी के ही लायक है। वैसे तो इस किरकिरी के लायक कांग्रेस समेत अन्य सभी राजनीतिक दल हैं लेकिन चूँकि कांग्रेस इस फैसले की लाभार्थी है, इसलिए वह अभी मस्त है।
सोनिया जी, यह न 1975 है, न 1986, इसलिए कोर्ट का सम्मान करें
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
सोनिया गाँधी सही कह रही हैं कि वह इंदिरा गाँधी की बहू हैं। वह इंदिरा गाँधी की बहू हैं, इसीलिए कोर्ट का भी आदर नहीं कर रही हैं। इंदिरा गाँधी ने भी 1975 में अपने निर्वाचन को अवैध करार देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को नहीं माना था और देश में इमरजेंसी लगा दी थी। उस वक्त उन्होंने विपक्ष के साथ जो किया था, राजनीतिक दुर्भावना और दुश्मनी उसे कहते हैं, न कि भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट समन कर दे तो उसे कहते हैं।
मदरसों को अब बदलना चाहिए
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
मदरसे एक बार फिर विवादों में हैं! इस बार बवाल इस सवाल पर है कि मदरसे स्कूल हैं या नहीं? महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि वह उन मदरसों को स्कूल नहीं मानेगी, जहाँ अँगरेजी, गणित, विज्ञान और समाज शास्त्र जैसे विषय नहीं पढ़ाये जाते। इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार 'स्कूल न जानेवाले' बच्चों में गिनेगी।
बिहार भाग्य-विधाता?
श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार
जनता परिवार का विलय का अधर में पड़ जाना और आरजेडी-जेडीयू के बीच गठबन्धन की संभावना का कमजोर होना, केवल लालू, नीतीश के लिए ही नहीं बल्कि बीजेपी के लिए और खासतौर पर बिहार की जनता के लिए भी एक बुरी खबर है।
कश्मीरी पंडितों की वापसी से कौन डरता है?
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने को लेकर अलगाववादी संगठनों की जैसी प्रतिक्रियायें हुयी हैं, वे बहुत स्वाभाविक हैं। यह बात साबित करती है कि कश्मीर घाटी में जो कुछ हुआ, उसमें इन अलगाववादियों की भूमिका और समर्थन रहा है।