Thursday, November 21, 2024
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युवा ही लाएंगे हिंदी समय!

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

अब लडाई अंग्रेजी को हटाने की नहीं हिंदी को बचाने की है

सरकारों के भरोसे हिंदी का विकास और विस्तार सोचने वालों को अब मान लेना चाहिए कि राजनीति और सत्ता से हिंदी का भला नहीं हो सकता। हिंदी एक ऐसी सूली पर चढ़ा दी गयी है, जहां उसे रहना तो अंग्रेजी की अनुगामी ही है। आत्मदैन्य से घिरा हिंदी समाज खुद ही भाषा की दुर्गति के लिए जिम्मेदार है।

विकास को नए नजरिए से देखे मीडिया

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

मीडिया की ताकत आज सर्वव्यापी है और कई मायनों में सर्वग्रासी भी। ऐसे में विकास के सवालों और उसके लोकव्यापीकरण में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो उठी है। यह एक ऐसा समय है, जबकि विकास और सुशासन के सवालों पर हमारी राजनीति में बात होने लगी है, तब मीडिया में यह चर्चाएँ न हों यह संभव नहीं है।

ग्रामोदय से भारत उदयः कितना संकल्प, कितनी राजनीति

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : :

क्या नरेंद्र मोदी ने भारत के विकास महामार्ग को पहचान लिया है या वे उन्हीं राजनीतिक नारों में उलझ रहे हैं, जिनमें भारत की राजनीति अरसे से उलझी हुयी है। गाँव, गरीब, किसान इस देश के राजनीतिक विमर्श का मुख्य एजेंडा रहे हैं। इन समूहों को राहत देने के प्रयासों से सात दशकों का राजनीतिक इतिहास भरा पड़ा है। कर्ज माफी से ले कर अनेक उपाय किए गये, किंतु हालात यह हैं कि किसानों की आत्महत्याएँ एक कड़वे सच की तरह सामने हैं।

ऐसी दिखती है 2016 की तस्वीर!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार : 

तो साल बदल गया। जैसा हर साल होता है, हर साल कुछ बदलता है, लेकिन बहुत-कुछ नहीं भी बदलता। जो कभी नहीं बदलता, उस पर बात भी कभी नहीं होती। आखिर यथावत पर क्या बात की जाये? वह तो जैसा है, वैसा ही रहेगा। गरीब हैं तो हैं, गरीबी है तो है, करोड़ों लोग बेघर हैं तो हैं, वह तो वैसे ही रहेंगे और विकास का सिनेमा देखते रहेंगे, रैलियों में भीड़ बनते रहेंगे, भाषणों पर तालियाँ बजाते रहेंगे, वोट देते रहेंगे, जिन्दगी बदलने की आस में सरकारें बदलते रहेंगे और यथावत जीते रहेंगे, यथावत मरते रहेंगे।

बिहार चुनाव : विकास, गोकसी और आरक्षण का मुद्दा है भारी

संदीप त्रिपाठी :

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान होने में एक हफ्ते हैं। बीते महीने में विश्लेषक यह आकलन करते रहे कि दोनों प्रमुख चुनावी गठबंधनों, राजद + जदयू + कांग्रेस के महागठबंधन और भाजपा + लोजपा + रालोसपा + हम के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच बाजी किसके हाथ रहेगी। और यह भी कि तारिक अनवर के नेतृत्व में सपा + राकांपा + जन अधिकार पार्टी (पप्पू यादव) + समरस समाज पार्टी (नागमणि) + समाजवादी जनता पार्टी (देवेंद्र यादव) + नेशनल पीपुल्स पार्टी (पीए संगमा) का गठबंधन धर्मनिरपेक्ष समाजवादी मोर्चा इन दोनों प्रमुख गठबंधनों में कहाँ किसके वोटबैंक में सेंध लगायेगा। और यह भी कि हैदराबाद की राजनीतिक पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी बिहार के सीमांचल क्षेत्र में क्या गुल खिला पायेंगे और इससे किसको नुकसान और किसको फायदा होगा और इनके पीछे कौन है।

हिन्दी की जरूरत किसे है?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

अब जबकि भोपाल में 10 सितंबर से विश्व हिन्दी सम्मेलन प्रारंभ हो रहा है, तो यह जरूरी है कि हम हिन्दी की विकास बाधाओं पर बात जरूर करें। यह भी पहचानें कि हिन्दी किसकी है और हिन्दी की जरूरत किसे है?

नैतिक पतन

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मेरे एक परिचित ने पासपोर्ट बनने के लिए आवेदन किया। यह तो आप जानते ही होंगे कि पासपोर्ट बनने के क्रम में पुलिस वाले आपके घर आकर यह जाँचते हैं कि पासपोर्ट में दी गयी जानकारी सही है या नहीं। तो मेरे परिचित के घर भी पुलिस यह जाँच करने पहुँची कि उनका पता सही है या नहीं।

भाजपा : वाणी को कर्म में बदलने की चुनौती

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय  :

भारतीय जनता पार्टी की बेंगलूरू कार्यकारिणी के संदेश आखिर क्या हैं? क्या पार्टी नई चुनौतियों से जूझने के लिए तैयार है? बदलते देश की बड़ी उम्मीदों पर सवार भाजपा सरकार के लिए वास्तव में कुछ कर दिखाने का समय है।

धन्य किहिन विक्टोरिया जिन्ह चलाईस रेल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

धन्य किहिन विक्टोरिया जिन्ह चलाईस रेल, मानो जादू किहिस दिखाइस खेल...

राष्ट्र के बौद्धिक विकास में भूमिका निभाए मीडिया

संजय द्विवेदी :

राष्ट्र के बौद्धिक विकास में मीडिया एक खास भूमिका निभा सकता है। वह अपनी सकारात्मक भूमिका से राष्ट्र के सम्मुख उपस्थित अनेक चुनौतियों के समाधान खोजने की दिशा में वह एक अभियान चला सकता है। दुनिया के अनेक विकसित देशों में वहाँ के मीडिया ने सामुदायिक विकास में अपना खास योगदान दिया है।

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