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सोनिया जी, यह न 1975 है, न 1986, इसलिए कोर्ट का सम्मान करें

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
सोनिया गाँधी सही कह रही हैं कि वह इंदिरा गाँधी की बहू हैं। वह इंदिरा गाँधी की बहू हैं, इसीलिए कोर्ट का भी आदर नहीं कर रही हैं। इंदिरा गाँधी ने भी 1975 में अपने निर्वाचन को अवैध करार देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को नहीं माना था और देश में इमरजेंसी लगा दी थी। उस वक्त उन्होंने विपक्ष के साथ जो किया था, राजनीतिक दुर्भावना और दुश्मनी उसे कहते हैं, न कि भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट समन कर दे तो उसे कहते हैं।
तोते वही बोलें, जो संघ बुलवाये!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:
लोकतन्त्र सुरक्षित है! आडवाणी जी की बातों में बिलकुल न आइए! उन्हें वहम है! इमर्जेन्सी जैसी चीज अब नहीं आ सकती! क्योंकि नरेन्द्र भाई ने देश को ट्वीट कर बताया है कि जीवन्त और उदार लोकतन्त्र को मजबूत बनाना कितना जरूरी है! इसीलिए 'उदार लोकतंत्र' में आडवाणी जैसों की कोई जगह नहीं, जिन्हें लगता हो कि लोकतन्त्र को कुचलने वाली ताकतें आज पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं!
दिल्ली 1975 : मेरा खोया बचपन

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
जैसे ही घुमावदार रिहाइश गलियों के बीच से निकलते हुये मुख्य सड़क पर निकलने को हुआ वैसे ही सामने टैगौर गार्डन केन्द्रीय विद्यालय का लोहे का दरवाजा इतने नजदीक आ गया कि वह सारे अहसास झटके में काफूर हो गये, जिन्हें सहेज कर घर से निकला था।