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कश्मीर में सरकार आपकी पर ‘राज’ किसका?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
कश्मीर में सुरक्षा बलों की दुर्दशा और अपमान के जो चित्र वायरल हो रहे हैं, उससे हर हिंदुस्तानी का मन व्यथित है। एक जमाने में कश्मीर को लेकर हुंकारे भरने वाले समूह भी खामोश हैं।
कैसे सुलझे गुत्थी पाकिस्तान की?

क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
जो सबसे आसान काम था, वही हमने अब तक नहीं किया। हमने पाकिस्तान को व्यापार के लिए 'एमएफएन' यानी 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा दे रखा है। इसे हमारी सरकार आसानी से वापस ले सकती है। लेकिन फिलहाल सरकार ने ऐसा नहीं किया।
सलमान खुर्शीद क्या पाकिस्तान के एजेंट हैं?

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
सलमान खुर्शीद ने पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान जाकर भारत विरोधी बयान दिया था। कहा था कि “भारत ने पाकिस्तान के अमन के पैगाम का उचित जवाब नहीं दिया। मोदी अभी नये हैं और स्टैट्समैन कैसे बना जाता है, यह उन्हें सीखना है।“ यानी मोदी से अदावत की आड़ में सलमान खुर्शीद ने अपने वतन भारत को ही अमन का दुश्मन और गुनहगार बना डाला।
काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा खतरे में, सरकार नींद से कब जागेगी?

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
मैं काशी विश्वनाथ मंदिर से बमुश्किल पचास मीटर की दूरी पर रहता हूँ, लाहौरी टोला मोहल्ले में। मेरे पैतृक आवास के बाँयीं ओर पचास मीटर की दूरी पर स्थित है ललिता घाट उसके बाएँ है महा श्मशान मणिकर्णिका और दाएँ है मीर घाट और ये तीनों ही गंगा घाट विश्वनाथ मंदिर से जुड़े हुए हैं, जिनमें ललिता घाट से तो सीधा और निकटतम रास्ता है बाबा के स्वर्ण मंदिर तक पहुँचने का।
सिर्फ बिरयानी और फिल्में

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
पाकिस्तान से खबरें आ रही हैं, जिनके मुताबिक पाकिस्तान सरकार का कहना है कि पठानकोट में आतंकीकांड भारत सरकार ने खुद ही कराया है। पाकिस्तानी बयान के कुछ अंश इस प्रकार हैं-
चुप हैं किसी सब्र से तो पत्थर न समझ हमें…

राजेश रपरिया :
मोदी सरकार के लगभग दो साल के राज में खेती और उससे जुड़े लोगों के आर्थिक हालात मनमोहन सिंह राज के अंतिम दो तीन सालों से ज्यादा खराब हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हताशा व्याप्त है प्राकृतिक आपदाओं की बेरहम मार तो खेती को झेलनी ही पड़ी है पर मोदी सरकार के रवैये ने खेती के संकट को खूंखार बना दिया है। अनेक राज्यों में किसानों की बढ़ती आत्महत्याएँ ग्रामीण भारत में बढ़ती हताशा और निराशा का द्योतक है।
तलवार के साथ बुद्धि पर भी भरोसा हो

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
इन दिनों व्हाट्सएप पर एक संदेश खूब चक्कर लगा रहा है-
“उन्होंने कंधार में प्लेन हाईजैक किया, हमने ‘जमीन’ मूवी में उसे छुड़ा लिया।
कच्चा तेल पानी से सस्ता होने को बेताब

राजेश रपरिया :
सहसा विश्वास नहीं होता है कि कच्चे तेल के दाम पानी से कम हो जायेंगे। लेकिन गोल्डमैन सैक्स की मानें तो वह दिन अब दूर नहीं है। सच तो यह है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में यह करिश्मा अभी घट चुका है। एक बैरल में 158 लीटर होते हैं। यदि कच्चे तेल की कीमत 20 डॉलर प्रति बैरल हो जात है तो एक लीटर कच्चे तेल के दाम होंगे 8.50 रुपये यानि बोतलबंद पानी से भी कम। कुछ महीने पहले विश्व विख्यात निवेशक कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने कच्चे तेल के दाम 20 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने की भविष्यवाणी की थी। तब अधिकांश तेल विशेषज्ञों ने इसे हवा में उड़ा दिया था। यह तेल विशेषज्ञ मानने को तैयार नहीं थे कि कच्चे तेल के दाम 40-45 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जा सकते हैं। पर नये साल की शुरुआत से अचानक ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिन्हें अब गोल्डमैन सैक्स की भविष्यवाणी सच होती दिखायी दे रही है। असल में पिछले पाँच महीने काफी उठा-पटक के रहे हैं। कनेडियाई कच्चे तेल ने गोल्डमैन सैक्स की भविष्यवाणी को सच साबित कर दिया। समाप्त हफ्ते में बुधवार को इसके दाम 20 डॉलर से नीचे पहुँच गये।
अपनी बचाऊँ कि ये सोचूँ कि सरकार क्या कर रही है

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज अपनी बात कहने के लिए मैं एक चुटकुले का सहारा ले रहा हूँ, लेकिन मैं जो लिखने जा रहा हूँ वो चुटकुला नहीं। वो बेहद संजीदा विषय है, इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आपमें से अगर किसी को चुटकुले पर आपत्ति हो, तो मुझे माफ कर दें।
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बिहार चुनाव : एक दृष्टिकोण

सुशांत झा, पत्रकार :
कई बार पोस्ट की टिप्पणियाँ पोस्ट की नानी साबित होती हैं! मेरे पिछले पोस्ट पर एक टिप्पणी आयी कि बिहार में जो भी सरकार बनेगी वो एक कमजोर सरकार होगी लेकिन विपक्ष मजबूत होगा। ऐसा हो सकता है।