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मनमोहक महाबलीपुरम की ओर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
दिन भर गोल्डेन बीच पर मस्ती करके हम थक चुके थे। बाहर निकल कर क्लाक रूम से अपना सामान रीलिज कराया और बस स्टाप पर आकर बैठ गये। ईस्ट कोस्ट रोड पर गोल्डेन बीच के प्रवेश द्वार के पास ही बस स्टैंड है। हमारे साथ कुछ विदेशी सैलानी भी महाबलीपुरम के लिए बस का इंतजार कर रहे थे।
यहाँ शिव और पार्वती करते हैं नृत्य – कैलाशनाथ मंदिर, कांचीपुरम
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
कांचीपुरम भ्रमण में हमारा आखिरी पड़ाव था कैलाशनाथ मंदिर। हमारे ऑटो वाले भाई ने कह दिया था कि यहाँ के बाद आपको बस स्टैंड छोड़ दूँगा। फिर मेरी सेवा समाप्त। सो हम कैलाश नाथ मंदिर को अच्छी तरह निहार लेना चाहते थे।
अति सुंदर नेत्रों वाली माँ – कांचीपुरम का कामाक्षी मंदिर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
तमिलनाडु के मदुरै मे मीनाक्षी मंदिर है तो कांचीपुरम में कामाक्षी मंदिर। देवी कामाक्षी का मंदिर कांचीपुरम शहर के बीचों बीच स्थित है। हालाँकि ये मंदिर कांचीपुरम के बाकी मंदिरों की तरह विशाल परिसर वाला नहीं है। पर यह श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है। यहाँ सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। डेढ़ एकड़ में फैला ये मंदिर देवी शक्ति के तीन सबसे पवित्र स्थानों में एक है। मदुरै और वाराणसी अन्य दो पवित्र स्थल हैं।
दक्षिण की काशी कांचीपुरम – मंदिरों का शहर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
कांची और काशी में कोई समानता है। है ना। तो कांचीपुरम यानी दक्षिण की काशी। जैसे काशी में ढेर सारे मंदिर हैं ठीक उसी तरह कांचीपुरम में भी मंदिर ही मंदिर हैं। चेन्नई सेंट्रल से कांचीपुरम की दूरी 80 किलोमीटर है। यहाँ से ट्रेन या बस से जाया जा सकता है। पर सुगम तरीका लोकल ट्रेन है। सस्ती भी अरामदेह भी। चूँकि हम चेन्नई के तांब्रम इलाके में ठहरे थे तो वहाँ से कांचीपुरम 67 किलोमीटर ही था। तांब्रम रेलवे स्टेशन भी वैसे कांचीपुरम जिले में ही आता है। मानो आधा चेन्नई शहर कांचीपुरम जिले में है।
तमिलनाडु की ओर – वणक्कम चेन्नई
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
अगर आपको देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से की लंबी यात्रा करनी हो तो रेल से बेहतर कुछ नहीं। एक के बाद दूसरे राज्य में प्रवेश करती रेल बदलता खानपान और बोली। यह रेल में ही दिखायी दे सकता है। पर दिल्ली से चेन्नई और हैदराबाद का सफर मैं कई बार रेल से कर चुका था। सो इस बार तीस घंटे रेल में गुजारने के बजाए तीन घंटे फ्लाइट में गुजारने का तय किया। इससे हमारे दो दिन की बचत भी होने वाली थी।