मनमोहक महाबलीपुरम की ओर

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

दिन भर गोल्डेन बीच पर मस्ती करके हम थक चुके थे। बाहर निकल कर क्लाक रूम से अपना सामान रीलिज कराया और बस स्टाप पर आकर बैठ गये। ईस्ट कोस्ट रोड पर गोल्डेन बीच के प्रवेश द्वार के पास ही बस स्टैंड है। हमारे साथ कुछ विदेशी सैलानी भी महाबलीपुरम के लिए बस का इंतजार कर रहे थे।

लोगों ने बताया कि 599 नंबर की बस आएगी वह महाबलीपुरम तक जाएगी। थोड़े इंतजार के बाद इस नंबर की बस आ गयी। हमें बस में जगह भी मिल गयी। कोई 35 किलोमीटर यानी एक घंटे का रास्ता था। शाम गहराने लगी थी। बस ईस्ट कोस्ट रोड पर कुलांचे भर रही थी। हमें पता चला कि चेन्नई के हर इलाके से सिटी बसें महाबलीपुरम तक जाती हैं। अंधेरा होने के कारण ईस्ट कोस्ट रोड का सौंदर्य ज्यादा दिखायी नहीं दे पा रहा था।

रास्ते में क्विलोन शहर आया। छोटे से इस शहर में बस मुख्य सड़क से अंदर बस स्टैंड तक गयी। फिर बाहर आयी और ईस्ट कोस्ट रोड पर दौड़ने लगी। थोड़ी देर में बस महाबलीपुरम शहर में प्रवेश कर गयी। ईस्ट कोस्ट रोड के बाईपास से तकरीबन तीन किलोमीटर चलने के बाद बस स्टैंड पहुँच गयी। बस से उतरने के बाद हमने अपने होटल का रास्ता पूछा। विनोधरा गेस्ट हाउस के लिए हमें वापस उसी रास्ते पर पैदल लौटना पड़ा जिधर से बस आयी थी। बाजार में चहल-पहल थी। महाबलीपुरम में सालों भर विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में दिखायी दे जाते हैं।

राजस्थान के पुष्कर की तरह दक्षिण का ये शहर विदेशी सैलानियों की खास पसंद है। चेन्नई की तुलना में यहाँ का वातावरण खुशनुमा रहता है। इसलिए महाबलीपुरम के होटल सालों भर भरे रहते हैं। यहाँ तमाम रेस्टोरेंट ऐसे हैं जो विदेशी सैलानियों की पसंद के मुताबिक खाना परोसते हैं। शहर की चहल-पहल देखते हुए हम अपने होटल के सामने थे। चेक इन की औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद अपने कमरे में पहुँच गये। अब पेट पूजा करने की इच्छा हुई। बाहर निकले। हमारे होटल में भी रेस्टोरेंट था पर वह विदेशी सैलानियों से गुलजार था। हमें वहाँ का मीनू कुछ खास पसंद नहीं आया। सो हम आगे निकल पड़े। पास में एक तमिल मंदिर था। मंदिर खूब सजा हुआ था। वहाँ पूजा पाठ जारी थी। आसपास के सैकड़ों लोग सपरिवार जुटे थे। मंदिर में मत्था टेक कर हम आगे बढ़ गये।

रात घिर आने के महाबलीपुरम का कोई स्थल भ्रमण नहीं किया जा सकता था। इसके लिए सुबह का समय ही मुफीद है। लेकिन शहर की दुकानें रात को 10 बजे तक खुली रहती हैं। कभी इस शहर को मामल्लापुरम कहा जाता था। इसका एक अन्य प्राचीन नाम बाणपुर भी है। तमिलनाडु का यह प्राचीन शहर अपने भव्य मंदिरों, स्थापत्य और सागर-तटों के लिए जाना जाता है। चेन्नई से 60 किलोमीटर दूर महाबलीपुरम शहर कांचीपुरम जिले का हिस्सा है। कहा जाता है कि महाबलीपुरम पर चीन, फारस और रोम के प्राचीन सिक्कों मिले थे, जिससे ये पता चलता है कि यहाँ पर पहले बंदरगाह रहा होगा। महाबलीपुरम दो वर्ग मील के घेरे में फैला हुआ है।

(देश मंथन, 19 दिसंबर 2015)

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