Wednesday, August 20, 2025
टैग्स Modi

Tag: Modi

सौ दिन, एक साल, दो सरकारें!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

दिल्ली दिलचस्प संयोग देख रही है। एक सरकार के सौ दिन, दूसरी के एक साल! दिलचस्प यह कि दोनों ही सरकारें अलग-अलग राजनीतिक सुनामियाँ लेकर आयीं। बदलाव की सुनामी! जनता ने दो बिलकुल अनोखे प्रयोग किये, दो बिलकुल अलग-अलग दाँव खेले।

भूमि अधिग्रहण बिल पर तथ्यहीन विरोध

राजीव रंजन झा :

राहुल गाँधी को भारतीय राजनीति में पुनर्स्थापित करने के प्रयास के तहत कांग्रेस ने बीते रविवार को दिल्ली में किसानों की रैली की और उसमें राहुल खूब गरजे-बरसे।

ऊधमी छोकरा, षोडशी सुंदरी और गैंडा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

लंबे समय से व्यंग्य लिखते हुए एक अनुभव आया कि फेसबुक, ट्विटर पर छपे व्यंग्य पर हासिल प्रतिक्रियाएँ त्वरित और कई बार असंतुलित होती हैं।

प्रशासनिक सुधार से न्यायिक सुधार होगा

सुशांत झा, पत्रकार :

गोविंदाचार्य जब कहते हैं कि सरकार जजों की संख्या बढ़ाने और त्वरित न्याय दिलाने के लिए 7000 करोड़ तक आवंटित करने को तैयार नहीं है, जबकि एयर इंडिया के लिए पिछली सरकार 30,000 करोड़ देने को तैयार थी तो उसमें कुछ और बातें जोड़नी आवश्यक है।

काँग्रेस को चाहिए एक टच स्क्रीन!

कमर वहीद नकवी  :

काँग्रेस बाट जोह रही है! एक नये कायाकल्प का इन्तजार है! एक फैसला रुका हुआ है! उस रुके हुए फैसले पर क्या फैसला होता है, इसका इन्तजार है!

भाषण बस भाषण के लिए!

कमर वहीद नकवी :

बहुत देर में बोले, लेकिन आखिर नमो बोले! धर्म के नाम पर किसी को घृणा नहीं फैलाने दी जायेगी। कहते हैं, देर आयद, दुरुस्त आयद! मोदी बोले, बड़े लम्बे इन्तजार के बाद बोले, लेकिन बिलकुल दुरुस्त बोले! देश ने बड़ी राहत की साँस ली! उम्मीद की जा रही है कि परिवार अब शायद कुछ दिन चुप बैठे!

एक को जिताया दूसरे को जगाया

दीपक शर्मा :

जो अडवाणी नहीं कह पाये, जो जोशी नहीं कह पाये, जो सुषमा, गडकरी और राजनाथ नहीं कह पाये .....वो दिल्ली की जनता ने कह दिया। 

ये पहला मौका है, जब किसी जनादेश ने एक तीर से दो शिकार किये हैं। एक फैसले से दो मकाम हासिल किये हैं। एक बटन से उम्मीद के दो बल्ब जलाये हैं। 

दिल्ली चुनाव : आमचा विश्वास पानीपतात गेला

राजेश रपरिया : 

दिल्ली में आये केजरी भूकंप से मौजूदा सत्ताधारी दलों और विपक्षी दलों का भरोसा हिल गया है। मोदी और अमित शाह के बूथ स्तर के माइक्रो मैनेजमेंट का इतना हौव्वा था कि वोटों की गिनती से पहले भाजपा हार मानने को तैयार नहीं थी, जबकि भाजपा की हार इतनी साफ दिखायी दे रही थी कि अंधा भी दीवार पर पढ़ सकता था। लेकिन मोदी ने 2002 के बाद से कोई भी बड़ा चुनाव नहीं हारा है।

लोक लुभावन योजनाएँ हों या कठोर निर्णय?

बृजेश श्रीवास्तव :

कल दो बड़ी खबरें आयीं, एक नयी दिल्ली से और दूसरी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से। नयी दिल्ली की खबर रेल मंत्री जी द्वारा रेल यात्री किराये और माल भाड़े में बढ़ोतरी की थी।

शपथः कुछ दूसरे पहलू

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का यह ऐतिहासिक दिन है, जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके मंत्रिमंडल ने भी। इस मंत्रिमंडल में उनके संसदीय दल का लगभग सही प्रतिनिधित्व हुआ है लेकिन फिर भी मोटी-मोटी कुछ कमियाँ भी दिखायी पड़ती हैं।

- Advertisment -

Most Read

तलवों में हो रहे दर्द से हैं परेशान? इस धातु से मालिश करने से मिलेगा आराम

अगर शरीर में कमजोरी हो या फिर ज्यादा शारीरिक मेहनत की हो, तो पैरों में तेज दर्द सामान्य बात है। ऐसे में तलवों में...

नारियल तेल में मिला कर लगायें दो चीजें, थम जायेगा बालों का गिरना

बालों के झड़ने की समस्या से अधिकांश लोग परेशान रहते हैं। कई लोगों के बाल कम उम्र में ही गिरने शुरू हो जाते हैं,...

कहीं आप तो गलत तरीके से नहीं खाते हैं भींगे बादाम?

बादाम का सेवन सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। लगभग हर घर में बादाम का सेवन करने वाले मिल जायेंगे। यह मांसपेशियाँ (Muscles)...

इन गलतियों की वजह से बढ़ सकता है यूरिक एसिड (Uric Acid), रखें इन बातों का ध्यान

आजकल किसी भी आयु वर्ग के लोगों का यूरिक एसिड बढ़ सकता है। इसकी वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता है। साथ ही...