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बिहार में कार्यकर्ताओँ के हाथ में बाजी

संदीप त्रिपाठी :
बिहार के विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होंगे, ऐसे संकेत हैं। अभी कोई ऐलान नहीं हुआ है लेकिन चुनाव आयोग की तैयारियाँ ऐसी ही हैं। सियासी दल तो कब से इसी संकेत के इंतजार में बैठे थे। मुख्य चुनाव आयुक्त तो अगस्त के पहले हफ्ते में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने बिहार का दौरा करेंगे लेकिन सियासी दल इससे पहले ही चुनाव प्रचार में जुट गये हैं।
भारत-पाक रिश्तेः कब पिघलेगी बर्फ

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
नरेन्द्र मोदी की पाकिस्तानी प्रधान मन्त्री से मुलाकात और उनका पाकिस्तान जाने का फैसला साधारण नहीं है। आखिर एक पड़ोसी से आप कब तक मुँह फेरे रह सकते हैं? बार-बार छले जाने के बावजूद भारत के पास विकल्प सीमित हैं, इसलिए प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी की इस साहसिक पहल की आलोचना बेमतलब है।
सवालों में सरकार

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
नरेन्द्र मोदी की सरकार के लिए सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे सिंधिया, स्मृति ईरानी और पंकजा मुंडे के मामलों ने नया संकट खड़ा कर दिया है। विपक्ष को बैठे बिठाए एक मुद्दा हाथ लग गया है, तो लंदन में बैठे ललित मोदी रोज एक नया ट्विट करके मीडिया और विरोधियों को मसाला उपलब्ध करा ही देते हैं।
तोते वही बोलें, जो संघ बुलवाये!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:
लोकतन्त्र सुरक्षित है! आडवाणी जी की बातों में बिलकुल न आइए! उन्हें वहम है! इमर्जेन्सी जैसी चीज अब नहीं आ सकती! क्योंकि नरेन्द्र भाई ने देश को ट्वीट कर बताया है कि जीवन्त और उदार लोकतन्त्र को मजबूत बनाना कितना जरूरी है! इसीलिए 'उदार लोकतंत्र' में आडवाणी जैसों की कोई जगह नहीं, जिन्हें लगता हो कि लोकतन्त्र को कुचलने वाली ताकतें आज पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं!
मोदी मुहिम से पड़ोसियों के दिलों में उतरता भारत

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की सफल बंगलादेश यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि अगर नेतृत्व आत्मविश्वास से भरा हो तो अपार सफलताएँ हासिल की जा सकती हैं। बंगलादेश से लेकर नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका तक अब नरेन्द्र मोदी की यशकथा कही और सुनी जा रही है।
ललितगेट : कैसी लकीर खीचेंगे नमो?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:
सुना है लमो के बखेड़े से नमो बहुत परेशान हैं! सुनते हैं, अपने कुछ मंत्रियों से उन्होंने कहा कि लोग जो देखते हैं, उसी पर तो यकीन करते हैं! और यहाँ तो लोगों ने सिर्फ देखा ही नहीं, बल्कि लमो यानी ललित मोदी को सुना भी। यकीन न करते तो क्या करते? सच तो सामने है, बिना किसी खंडन-मंडन के!
भाजपा की मजबूती से डर कर एकजुट हुए लालू नीतीश : शाहनवाज

राजीव रंजन झा :
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किये जाने के बाद भाजपा की ओर से अब तक स्थिति साफ नहीं है कि वह बिहार के चुनाव में नेतृत्व का चेहरा घोषित करेगी या नहीं।
टूटे भरोसे को जोड़ने और आम नागरिकों के आत्मविश्वास की है मोदी सरकार

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
नरेन्द्र मोदी सरकार के एक साल पूरे होने पर मीडिया में विमर्श, संवाद और विवाद निरन्तर है।
खेती के जरिये ही साकार होगा अच्छे दिन का सपना

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार
26 मई 2016 नरेन्द्र मोदी सरकार और देश के 50 करोड़ माध्यम वर्ग के लिए खास होगा। मोदी के लिए इसलिए क्योंकि इसी दिन एक साल पहले वो सत्ता पर काबिज हुए थे और माध्यम वर्ग के लिए भी खास इसलिए कि उसने मोदी से अपने लिए अच्छे दिन लाने की उम्मीद से उन्हें सत्ता सौंपी थी।
मोदी जी ने विदेशी मोर्चे पर देश को निर्विवाद महिमा मंडित किया

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
दो दिन पहले मैं एक चैनल पर कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफजल को सुन रहा था..कह रहे थे, ' भारतीय प्रधान मन्त्री विदेश दौरे को इवेंट क्यों बना देते हैं। इतनी हाइप हो जाती है कि दौरे का उद्देश्य ही उसमें गुम होकर रह जाता है।' अफजल साहब खुद राजनयिक रहे हैं।