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मोदी सरकार : साल भर चले अढ़ाई कोस

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
भारतीय जनता पार्टी को पहली बार केन्द्र में बहुमत दिलाकर सत्ता में आई नरेन्द्र मोदी की सरकार के एक साल पूर्ण होने पर जो स्वाभाविक उत्साह और जोशीला वातावरण दिखना चाहिए वह सिरे से गायब है।
इस ‘ड्रमेटिक्स’ से आगे देखिए!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
देश में बहुत कुछ हो रहा है। मोदी सरकार के एक साल पूरे होने वाले हैं। बड़ी तीखी बहस हो रही है इस पर।
कौन हैं जो मोदी को विफल करना चाहते हैं?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
क्या सच में नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का जादू टूट रहा है? अगर टूट रहा है तो वो कौन है, जिसका जादू सिर चढ़कर बोल रहा है? वे कौन लोग हैं जो पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई देश की पहली राष्ट्रवादी सरकार को मार्ग से भटकाना चाहते हैं? जाहिर तौर पर सवाल कई हैं पर उनके उत्तर नदारद हैं।
कश्मीरी पंडितों की वापसी से कौन डरता है?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने को लेकर अलगाववादी संगठनों की जैसी प्रतिक्रियायें हुयी हैं, वे बहुत स्वाभाविक हैं। यह बात साबित करती है कि कश्मीर घाटी में जो कुछ हुआ, उसमें इन अलगाववादियों की भूमिका और समर्थन रहा है।
भाजपा : वाणी को कर्म में बदलने की चुनौती

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
भारतीय जनता पार्टी की बेंगलूरू कार्यकारिणी के संदेश आखिर क्या हैं? क्या पार्टी नई चुनौतियों से जूझने के लिए तैयार है? बदलते देश की बड़ी उम्मीदों पर सवार भाजपा सरकार के लिए वास्तव में कुछ कर दिखाने का समय है।
‘नौलखा’ सूट : सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया

राजीव रंजन झा :
वैसे तो नरेंद्र मोदी बड़े शानदार संचारक हैं, खूब जानते-समझते हैं कि किस मौके पर क्या कहना है, कैसे कहना और क्या नहीं कहना है, लेकिन ओबामा की भारत यात्रा के दौरान वे एक भारी चूक कर गये। एक सूट पहन लिया, जिसके बारे में कहा गया कि वह नौलखा सूट है।
मोदी मंत्रिमंडल और संघ के लिए भारी केजरीवाल!

राजेश रपरिया :
दिल्ली विधानसभा के चुनावी सर्वेक्षणों में खारिज अरविंद केजरीवाल ‘विजेता’ बन कर उभरे हैं। इन सर्वेक्षणों में केजरीवाल के पक्ष में मतदाताओं का रुझान बढ़ रहा है।
उम्मीदों के बोझ से दबे हैं मोदी और ओबामा

राजेश रपरिया :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा उम्मीदों के भारी बोझ से दबे हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली पहुँच चुके हैं। नाभिकीय, ट्रांसफर प्राइसिंग, रक्षा वैदेशिक व्यापार संबध, जलवायु परिवर्तन आदि मुद्दों पर सार्थक पहल की उम्मीद दोनों देशों को है।
वही राग- वही रंग, फिर कैसे बदलेगा नीति आयोग?

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आज तक :
प्रधानमंत्री मोदी का नीति आयोग और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के योजना आयोग में अंतर क्या है। मोदी के नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानागढ़िया और मनमोहन के योजना आयोग के मोंटक सिंह अहलूवालिया में अंतर क्या है। दोनों विश्व बैंक की नीतियों तले बने अर्थशास्त्री हैं।
वर्ष 2015 और देश की लकीरें!

क़मर वाहिद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो आपका समय शुरू होता है अब! और ‘हॉट सीट’ पर हैं, नरेन्द्र मोदी, राहुल गाँधी, नीतीश कुमार और अरविन्द केजरीवाल! 2015 कोई मामूली साल नहीं है, जो हर साल की तरह बस आयेगा और चला जायेगा! यह लकीरों के बनने-बनाने और मिटने-मिटाने का साल है! इस साल को तय करना है कि देश किन लकीरों पर चलेगा?