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नेपाल का दिल विजय

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली यात्रा में ही नेपाल का दिल विजय कर लिया। दिग्विजय नहीं, दिल्विजय! नेपालियों का दिल जीतने के लिए मोदी ने क्या-क्या नहीं कहा और क्या-क्या नहीं किया? उन्होंने नेपाल की सबसे ज्यादा दुखती रग पर हाथ धर दिया।
यूपीएससी की सीसैट परीक्षा असंवैधानिक : गोविंदाचार्य

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महासचिव और राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक के. एन. गोविंदाचार्य ने यूपीएससी की सीसैट परीक्षा प्रणाली के विरोध में चल रहे छात्र आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है।
कश्मीर पर मेरे कहे को पहले समझें तो सही!

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
पहले हाफिज सईद से मेरी मुलाकात पर संसद में हंगामा हुआ और फिर कश्मीर पर मेरे विचारों को लेकर। मुझे दुख है कि हमारे नेताओं ने इन दोनों मुद्दों पर ठंडे दिमाग से क्यों नहीं सोचा?
ट्रैक टू डिप्लोमेसी पर हाफिज का दाग

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
प्रधानमंत्री मोदी के साथ बाबा रामदेव। और बाब रामदेव के साथ प्रताप वैदिक। यह दो तस्वीरे मोदी सरकार से वेद प्रताप वैदिक की कितनी निकटता दिखलाती है। सवाल उठ सकते हैं।
अमेरिकी चकाचौंध का न्यौता क्या गुल खिलायेगा भारत में?

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
बजट में ऐसा क्या है कि दुनिया मोदी की मुरीद हो रही है। और बजट के अगले ही दिन दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश के राष्ट्रपति का न्यौता दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के पीएम को मिल गया।
चुने हुए सांसद का बेहतर उपयोग कैसे करें

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
गौंडा से फोन आया था। वहाँ कोई जगह है जहाँ बड़ी संख्या में स्कूल कालेज है। जनाब की शिकायत थी कि आस पास प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों की वजह से बच्चों को सांसों की तकलीफ होती है।
उच्च शिक्षा को धंधे में बदलकर कौन सा पाठ पढ़ाये सरकार?

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
विश्व बाजार में भारत की उच्च शिक्षा है कमाई का जरिया
भारत की उच्च शिक्षा को दुनिया के खुले बाजार में लाने का पहला बड़ा प्रयास वाजपेयी की अगुवायी वाली एनडीए सरकार ने किया था।
काबुल पर कब्जा कैसे करेंगे?

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
पिछले दस-बारह दिनों में पाकिस्तान में काफी हंगामा होता रहा, लेकिन उसके साथ-साथ मेरी बातचीत कई केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, पार्टी-नेताओं, राजदूतों और फौजी जनरलों से होती रही। पत्रकारों से तो लगातार संवाद बना ही रहता है।
राजनीति की मौकापरस्ती बनाम रेलवे का कायाकल्प

राजीव रंजन झा :
लोकसभा चुनाव के नतीजों की गहमागहमी के बीच 16 मई को एक खबर कब आयी और किधर खो गयी, किसी को पता भी नहीं चला था। खबर यह थी कि आम चुनाव समाप्त होते ही रेलवे ने यात्री किरायों में 14.2 प्रतिशत और माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा कर दी और यह वृद्धि 20 मई से लागू होगी।
नेहरु के समाजवाद के छौंक की भी जरूरत नहीं मोदी मॉडल को

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
बात गरीबी की हो लेकिन नीतियाँ रईसों को उड़ान देने वाली हों। बात गाँव की हो लेकिन नीतियाँ शहरों को बनाने की हो। तो फिर रास्ता भटकाव वाला नहीं झूठ वाला ही लगता है। ठीक वैसे, जैसे नेहरु ने रोटी कपड़ा मकान की बात की।