Tag: Padmapati Sharma
प्रचंड जनादेश का ईवीएम की ओट में अपमान मत कीजिए
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
ईवीएम मशीन पर छेड़छाड़ का आरोप यूपी, उत्तराखंड के जनादेश का क्या अपमान नहीं ? विरोध करने वाले वही हैं जो देश में वर्षों से लूटखसोट में लिप्त रहे हैं। अपना भाड़ सा मुँह खोल कर हर दिन कांग्रेस की टीआरपी गिराने वाले दिग्गी
बीसीसीआई के धतकरमों पर रोक, लोढ़ा की संस्तुति मान्य
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला देते हुए बीसीसीआई में अपनी स्थापना की शुरुआत से ही की जा रही मनमानी और धतकरमों पर पूरी तरह से रोक लगाते हुए लोढ़ा समिति की संस्तुतियों को लगभग मान लिया।
श्री लगाने भर से कोई श्रीमान नहीं हो जाता सुव्रत राय
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
विद्यार्थी जीवन में जब मैं हरिश्चंद्र इंटर कालेज में कक्षा छह का विद्यार्थी था तब अंग्रेजी के अध्यापक महाशय ने बताया था प्रापर नाउन और कामन नाउन के बारे में। पता नहीं क्यों उन्होंने एक बात कही थी- " कामन नाउन से प्रापर नाउन बनाया जा सकता है"। हमने यह सुन कर सीखा।
खेल के आकलन का सही समय आ चुका है धोनी
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी निस्संदेह इतिहास पुरुष हैं। आंकड़े स्वयं ही इसकी गवाही देते हैं कि वह दुनिया के ऐसे पहले कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी के तीनो टूर्नामेंट देश के लिए अपनी कप्तानी में जीते ही नहीं, टेस्ट में भी टीम को नंबर एक पर पहुँचाया।
काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा खतरे में, सरकार नींद से कब जागेगी?
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
मैं काशी विश्वनाथ मंदिर से बमुश्किल पचास मीटर की दूरी पर रहता हूँ, लाहौरी टोला मोहल्ले में। मेरे पैतृक आवास के बाँयीं ओर पचास मीटर की दूरी पर स्थित है ललिता घाट उसके बाएँ है महा श्मशान मणिकर्णिका और दाएँ है मीर घाट और ये तीनों ही गंगा घाट विश्वनाथ मंदिर से जुड़े हुए हैं, जिनमें ललिता घाट से तो सीधा और निकटतम रास्ता है बाबा के स्वर्ण मंदिर तक पहुँचने का।
सोशल मीडिया के माध्यम से जनता देगी नया आयाम
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
तीस मई को बीत गया पत्रकारिता दिवस। सुबह अखबारों में देख रहा था वरिष्ठ पत्रकार भाई पुण्य प्रसून वाजपेयी का बीएचयू में सिद्धांत झाड़ने वाला व्याख्यान तो वाराणसी पत्रकार संघ और काशी विद्यापीठ में आयोजित संगोष्ठियों के समाचारों में एक समानता यह नजर आयी कि वक्ताओं नें लंबी चौड़ी बातें की और जताने की कोशिश की कि पत्रकारिता परवान चढ़ी है। परंतु किसी ने भी यह जमीनी सच कहने की हिम्मत नहीं की कि मुख्य धारा की पत्रकारिता राह से भटक चुकी है।
हाँ, दिल्ली को एटम बम के धमाके से हिरोशिमा में बदलने की साजिश थी
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
परमाणु तकनीक की तस्करी और चोरी के बल पर पाकिस्तान के लिए एटम बम के, जिसे "इस्लामिक बम" भी करार दिया जाता है, निर्माता पाकिस्तानी वैज्ञानिक डाक्टर अब्दुल कादिर खाँ ने जो रहस्योदघाटन शनिवार को इस्लामाबाद में देश के परमाणु ताकत बनने के मौके पर आयोजित "यौम-ए-तकबीर" रैली में किया कि 1984 में हम कहूटा से दिल्ली को पाँच मिनट के भीतर टारगेट करने जा रहे थे पर ऐन समय में पाकिस्तान के सैन्य शासक तानाशाह जियाउल हक ने इजाजत नहीं दी, कहीं से गलत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उसी साल हम न्यूक्लीयर टेस्ट करना चाहते थे मगर जिया साहब ने यह कहते हुए रोक दिया कि टेस्ट करने से अमेरिका सहित सभी देश हमारी आर्थिक मदद रोक देंगे।
कपिल को गावस्कर ने बाहर किया था, सेलेक्टर्स ने नहीं
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
टाइम्स आफ इंडिया में प्रकाशित समाचार में सुनील गावस्कर के हवाले से जो यह कहा गया कि 1984 की क्रिकेट सिरीज के दौरान कोलकाता टेस्ट के लिए कपिल को टीम से बाहर करने का फैसला चयनकर्ताओं का था जिन्होंने आफ स्पिनर पैंट पोकाक की गेंद पर घटिया स्ट्रोक खेलने के आरोप में उसको दंडित किया था। सनी इस मामले में सच नहीं बोल रहे हैं। सच तो यह है कि कपिल को निजी खुन्नस में बाहर किया गया था और इसी के साथ बिना किसी चोट के लगातार सौ टेस्ट खेलने का इस हरफनमौला का अद्भुत रेकार्ड 66 पर ही अटक कर रह गया।
दागियों पर बनी फिल्म फ्लाप हो जाए
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
13 मई को रिलीज होने जा रही फिल्म अजहर के प्रमोशन के दौरान एक टीवी चैनल से पूर्व भारतीय कप्तान और कांग्रेसी सांसद रह चुके 'दागी' अजहर का वाक आउट कोई चौंकाने वाली घटना नहीं थी बल्कि यह तो होना ही था।
कांग्रेस में घबराहट
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
चापलूसी की इंतहा है। संसद में गला फाड़ने से कुछ नहीं होगा। देश अब जान चुका है कि हर घोटाले और भ्रष्टाचार के पीछे कौन सा राजनीतिक दल और उसका आला कमान है। इसलिए तर्क मत गढ़िए। एजेंसियों को अपना काम करने दीजिए।