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पनिया के जहाज से पलटनिया बनी अइह सैंया..

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पानी के जहाज पर पहला सफर भला कौन भूल सकता है। भोजपुरी में शारदा सिन्हा का लोकप्रिय गीत है...पनिया के जहाज से पलटनिया बनी अइह सैंया... तो पहले उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच पानी का जहाज ही चलता था।
हकीकत बना पटना दीघा रेल सह सड़क पुल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
देश का सबसे लंबा सड़क सह रेल पुल ( RAIL CUM ROAD BRIDGE) अब हकीकत बन चुका है। इसके साथ ही बिहार निवासियों के सपनों को पंख लग गये हैं। अब उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच करोड़ों लोगों का संपर्क सुलभ हो सकेगा। यह बिहार में गंगा पर बना दूसरा रेल पुल है। इससे पहले मोकामा में राजेंद्र पुल 1959 में शुरू हुआ था। दीघा सोनपुर रेल सह सड़क पुल का निर्माण इरकॉन इंटरनेशनल ने किया है। पाटलिपुत्र जंक्शन से सोनपुर रेलवे स्टेशन की दूरी 14.33 किलोमीटर है, जबकि गंगा ब्रिज की लंबाई 4.56 किलोमीटर है।
आरा जिला घर बा..कौन बात के डर बा…

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
आरा यानी वीर कुअँर सिंह का शहर। आरा मतलब पुराने शाहाबाद का मुख्यालय। कहावत मशहूर है... आरा जिला घर बा...कौन बात के डर बा...आकाश में धोती सुखेला...हालाँकि आरा नाम का जिला कभी नहीं रहा। जिले का नाम तो शाहाबाद था। जब यह बिहार के पुराने 17 जिलों में एक था। अब जिले के चार टुकड़े हो गये हैं। अब भोजपुर जिला है जिसका मुख्यालय आरा है। इस भोजपुर के नाम पर भोजपुरी भाषा बनी है जिसे 20 करोड़ लोग ओढते बिछाते हैं।
पटना का श्री लक्ष्मीनारायण बिरला मन्दिर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर यानी बिरला मन्दिर पटना के बाकरगंज में स्थित है। यह देश भर में बिरला परिवार द्वारा बनवाए गये मन्दिरों में से एक है। पटना में बिरला मन्दिर शहर के प्रमुख मन्दिरों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मन्दिर अशोक राजपथ पर सब्जीबाग के पास स्थित है। मन्दिर के पास ही खेतान मार्केट नामक प्रमुख बाजार है।
पटना से बेतिया का सफर – चंपारण की धरती को नमन

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पटना से बेतिया का सफर। पटना के मीठापुर बस स्टैंड से बेतिया के लिए रात्रि सेवा में कई बसें चलती हैं। इनमें एसी और स्लीपर बसें भी हैं। हमारे दोस्त इर्शादुल हक ने बताया था कि पटना से बेतिया के लिए सबसे अच्छी बसें चलती हैं।
यही है जिन्दगी, यही है रिश्ता

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
करीब 30 साल पहले मैं अपनी जन्मभूमि से दूर जा रहा था तब मेरी खुली आँखों में हजारों यादें सिमटी थीं।
संयोगों का एक विघटन है जिन्दगी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कभी रुक कर सोचिएगा कि जिन्दगी क्या है। जिन्दगी चन्द यादों के सिवा कुछ नहीं। यादें बचपन की, यादें जवानी की, यादें दादी-नानी की कहानियों की और यादें माँ की लोरियों की। यादें अपने जन्म की।
रावण पटना कैसे चला आया?

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पटना के गांधी मैदान में रावण दहन के बाद भगदड़ मचने से 33 लोगों के मारे जाने की दर्दनाक खबर है। इस खबर से उमड़ी संजय सिन्हा की भावनाएँ...