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राजनीतिक चंदा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आज की कहानी मुझे मेरे दफ्तर में कोई सुना रहा था। बता रहा था कि उसने शायद ऐसा कभी बहुत पहले अखबार में पढ़ा था, या फिर किसी वरिष्ठ पत्रकार ने उससे साझा किया था।
पुणे स्टेशन के बाहर खड़ा 724 एफ स्टीम लोकोमोटिव : शकुंतला
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय चाणक्यापुरी दिल्ली के अलावा देश में कई जगह आपको रेलवे का इतिहास बताने वाले पुराने लोकोमोटिव खड़े दिखायी दे जाएँगे। पुणे रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक से बाहर निकलते ही बाईं तरफ नजर डालने पर एक नन्हा लोकोमोटिव आराम फरमाता नजर आता है।
मोहाली में ‘बल्लेबाजी देवता’ का ‘विराट’ करिश्मा
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
दो राय नहीं कि यह भारतीय गेंदबाजी थी कि जिसने पहले चार ओवरों में पिटने के बाद ऐसा जबरदस्त पलटवार किया कि कंगारू अंतिम 16 ओवरों में कुल जमा 107 रन ही जोड़ सके। टास हार कर पहले गेंदबाजी पर बाध्य भारतीयों के सम्मुख फिर भी ऐसे विकेट पर 161 का ऐसा लक्ष्य मिला था जो लगातार धीमी होती असमतल उछाल वाली पिच पर निस्संदेह चुनौतीपूर्ण स्कोर था और इसको पाने के लिए किसी एक स्पेशलिस्ट बल्लेबाज को डेथ ओवरों तक क्रीज में जमे रहना था।
अहंकार मिटाता है
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कल मेरे दफ्तर में अनिल कपूर और जॉन अब्राहम आये थे। दोनों अलग-अलग गाड़ियों में थे। जॉन गाड़ी से पहले उतर गए, अनिल किसी से फोन पर बात कर रहे थे। मैं जॉन को लेकर गेस्ट रूम में चला गया और वहाँ उन्हें बिठा दिया। मैं उनसे चाय-कॉफी पूछ ही रहा था कि अपनी बात खत्म कर अनिल कपूर भी कमरे में चले आये।
बौद्धिक विमर्शों से नाता तोड़ चुके हैं हिन्दी के अखबार
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्याल
हिन्दी पत्रकारिता को यह गौरव प्राप्त है कि वह न सिर्फ इस देश की आजादी की लड़ाई का मूल स्वर रही, बल्कि हिन्दी को एक भाषा के रूप में रचने, बनाने और अनुशासनों में बांधने का काम भी उसने किया है। हिन्दी भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी भाषा बनी, जिसकी पत्रकारिता और साहित्य के बीच अंतसंर्वाद बहुत गहरा था।