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बीमारी को पहचान लेना ही आधा इलाज है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक
उफक एक लड़की का नाम है। वो पढ़ना चाहती थी। तरक्की करना चाहती थी। पर उसकी शादी हो गयी। शादी के बाद पति भी उसे पढ़ाना चाहता था, पर सास ऐसा नहीं चाहती थी। सास ने षडयंत्र करना शुरू किया। बेटे के कान भरने लगी कि तुम्हारी बीवी पागल है। उसे इलाज की जरूरत है। घर में ऐसी परिस्थितियाँ पैदा करने लगी, जिससे धीरे-धीरे उफक और उसके शौहर के बीच कटुता पैदा होने लगी। और आखिर में उसके शौहर को लगने लगा कि उफक सचमुच पागल है। उसने उफक को छोड़ दिया, दूसरी लड़की से शादी कर ली।
तरक्की की राह
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पता नहीं किसने, लेकिन संजय सिन्हा फेसबुक परिवार के ग्रुप में किसी ने इस कहानी को साझा किया था। कहानी किसने लिखी है, पता नहीं। पर मुझे बहुत जरूरत थी इस कहानी की।
मैंने अपने एक परिजन की बीमारी के बीच लगातार अस्पतालों के चक्कर काटते हुए तीन दिनों से प्राइवेट अस्पताल और डॉक्टरों के भ्रष्टाचार की कहानी आपको सुना रहा हूँ।
नैतिक पतन
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरे एक परिचित ने पासपोर्ट बनने के लिए आवेदन किया। यह तो आप जानते ही होंगे कि पासपोर्ट बनने के क्रम में पुलिस वाले आपके घर आकर यह जाँचते हैं कि पासपोर्ट में दी गयी जानकारी सही है या नहीं। तो मेरे परिचित के घर भी पुलिस यह जाँच करने पहुँची कि उनका पता सही है या नहीं।