Sunday, September 14, 2025
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‘आप’ का क्या होगा जनाब-ए-आली?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

 ‘आप’ बड़े ताप में है! पारा गरम है। पार्टी तप रही है। तलवारें फिर तनी हैं।

शुक्रिया सीसा, दुनिया को आइना दिखाने के लिए!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

कहानी बिलकुल फिल्मी लगती है, लेकिन फिल्मी है नहीं। कहानी बिलकुल असली है।

फुटबाल, फतवा और ममता!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :

फुटबाल और फतवे का भला क्या रिश्ता? और कहीं हो न हो, लेकिन शासन अगर ममता बनर्जी का हो तो फुटबाल से फतवे का भी रिश्ता निकल आता है!

इस रास्ते हम कहाँ जाना चाहते हैं?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :

देश में यह हो क्या रहा है? नगालैंड के बाद अब आगरा से वैसी ही दिल दहला देनेवाली एक खबर आयी है। शहर के बीचोबीच एक बस्ती में इसी हफ्ते मुहल्लेवालों ने पीट-पीट कर एक नौजवान की हत्या कर दी। उस पर आरोप था कि नशे में उसने अश्लील हरकत की।

न ड्रीम, न क्रीम बजट, बस बिजनेस थीम बजट!

कमर वहीद नकवी  :

न ड्रीम बजट, न क्रीम बजट, यह ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ का थीम बजट है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कम से कम दस बार ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ की बात कही और बजट भाषण के ठीक बाद अपने इंटरव्यू में जेटली ने कहा कि जब हम उद्योगों से कमाई करेंगे, तभी तो गरीब की मदद हो पायेगी।

भाषण बस भाषण के लिए!

कमर वहीद नकवी :

बहुत देर में बोले, लेकिन आखिर नमो बोले! धर्म के नाम पर किसी को घृणा नहीं फैलाने दी जायेगी। कहते हैं, देर आयद, दुरुस्त आयद! मोदी बोले, बड़े लम्बे इन्तजार के बाद बोले, लेकिन बिलकुल दुरुस्त बोले! देश ने बड़ी राहत की साँस ली! उम्मीद की जा रही है कि परिवार अब शायद कुछ दिन चुप बैठे!

केजरीवाल अगर ऐसे सरकार चलायें, तो….?

क़मर वहीद नक़वी : 

आम आदमी गजब चीज है! किसी को भनक तक नहीं लगने देता कि वह क्या करने जा रहा है। वरना किसे अंदाज था कि सिर्फ नौ महीनों में ही दिल्ली घर घर मोदी से घर घर मफलर में बदल जायेगी!

सेकुलर घुट्टी क्यों पिला गये ओबामा?

क़मर वहीद नक़वी : 

आधुनिक सेकुलरिज्म और लोकतंत्र एक दूसरे के पूरक विचार हैं। सारी दुनिया में लोगों को अब दो बातें समझ में आती जा रही हैं। एक यह कि आर्थिक विकास के लिए स्वस्थ लोकतंत्र बड़ा जरूरी है। एक शोध के मुताबिक लोकताँत्रिक शासन व्यवस्था अपनाने से देशों की जीडीपी में अमूमन एक प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गयी! और जो देश लोकतंत्र से विमुख हुए, वहाँ इसका असर उलटा हुआ और आर्थिक विकास की गति धीमी हो गयी।

क्यों बढ़ती है मुस्लिम आबादी?

क़मर वहीद नक़वी : 

मुसलमानों की आबादी बाकी देश के मुकाबले तेजी से क्यों बढ़ रही है? क्या मुसलमान जानबूझ कर तेजी से अपनी आबादी बढ़ाने में जुटे हैं? क्या मुसलमान चार-चार शादियाँ कर अनगिनत बच्चे पैदा कर रहे हैं? क्या मुसलमान परिवार नियोजन को इसलाम-विरोधी मानते हैं? क्या हैं मिथ और क्या है सच्चाई? 

क्या होगा, जब आयेगी इंटरनेट की सुनामी?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार:

इंटरनेटजीवियों के बारे में यह खबर बिल्कुल भी अच्छी नहीं है! इंटरनेट कंपनियाँ जरूर इससे खुश हो लें, लेकिन मुझे तो इसने थोड़ा डरा दिया है। वैसे, यह बात तो सभी जानते हैं कि इंटरनेट के बिना अब न दुनिया चल सकती है और न लोगों की जिंदगी!

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