Tag: Ravish Kumar
बर्थडे पर खास : सर्वहारा हनुमान
सुशांत झा, पत्रकार :
आज बजरंग बली का बर्थ डे है। सभी भक्तों को बधाई और कॉमरेडों से सहानुभूति। वैसे देखा जाए तो हनुमान जी रामजी के सेवक थे, तो ऐसे में वे सर्वहारा हुए। कम्युनिस्टों को अभी तक क्लेम कर देना चाहिए था। कम से कम हनुमान भक्तों के एक विशाल तबके को वो अपनी तरफ खींच सकते थे।
रवीश कुमार की पीड़ा
दीदारगंज की यक्षी
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
मेरे लिए वो किसी जादू की तरह थी। हमने जब भी इस मूर्ति को देखा जादू सा लगा।
चैनलों में रेल की दुनिया
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
पिछले दो तीन दिनों में टीवी के सामने बैठा दर्शक भारतीय रेल को लेकर पर्याप्त रूप से शर्मिंदा हो चुका होगा। तमाम लेडी ऐंड लेडाज रिपोर्टर एंकर भारतीय रेल के जर्रे जर्रे का माखौल उड़ाते दिखे जैसे ये रेल न हो कबाड़ हो।
चुने हुए सांसद का बेहतर उपयोग कैसे करें
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
गौंडा से फोन आया था। वहाँ कोई जगह है जहाँ बड़ी संख्या में स्कूल कालेज है। जनाब की शिकायत थी कि आस पास प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों की वजह से बच्चों को सांसों की तकलीफ होती है।
मीडिया समाज में नागरिकता
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
मैं चाहता हूँ कि आप जहाँ रहते हैं, देखिये यहाँ कितनी गंदगी है, ट्रैफिक बेहाल है, सड़क के किनारे रेहड़ी पटरी वालों ने कब्जा कर लिया है, बिजली नहीं आती है, उसकी हालत टीवी पर क्यों नहीं दिखाते हैं।
लोटा से लौटकर
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
लोटा। हमारे यहाँ कहावत तो है लोटा लेकर मैदान की तरफ़ भागने का मगर आज हम मैदान छोड़कर लोटा की तरफ़ भागे। सात बजे सुबह तैयार होकर ऐसे निकला जैसे दफ्तर जाना हो।
नेता विपक्ष- परंपरा, धारा और भावना का इम्तहान
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
किसी भी लोकतंत्र की प्रतिनिधि संस्था में विपक्ष और उसके नेता की भूमिका भी साफ साफ होनी चाहिए। मौजूदा लोकसभा के संदर्भ में नेता विपक्ष को लेकर जो विवाद हो रहा है और उस पर जो लेख लिखे जा रहे हैं उन सभी को पढ़ते हुए यही लग रहा है कि नेता विपक्ष को लेकर स्पष्ट व्याख्या नहीं है।
संघ सिस्टम बनाम नो सिस्टम
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
आखिर कौन नहीं चाहता था कि कांग्रेस हारे। सीएजी रिपोर्ट और लोकपाल आंदोलन के वक्त दो साल तक कांग्रेस ने जिस अहंकार का प्रदर्शन किया क्या उसकी सजा मिलने पर जश्न नहीं होना चाहिए।
सोलह मई
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
नतीजा आ गया। वैसा ही आया जैसा आने की बात बीजेपी कह रही थी। इस नतीजे का विश्लेषण नाना प्रकार से होगा, लेकिन जनता ने तो एक ही प्रकार से फ़ैसला सुना दिया है। उसने गुजरात का मॉडल भले न देखा हो मगर उस मॉडल के बहाने इतना तो पता है कि चौबीस घंटे बिजली मिलने में किसे एतराज है।