Tag: Ravish Kumar
ऐ राजा बनारस!
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
रोज देखा जाने वाला, कहा जाने वाला, सुना जाने वाला लिखा जाने वाला और इन सबसे ऊपर जीया जाने वाला शहर है। इसकी इतनी परिभाषाएँ और व्यंजनाएँ हैं कि यह शहर हर लफ्ज के साथ कुछ और हो जाता है।
मोदी विरोध का विकल्प मोदी
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
सोलह मई को मतगणना होने वाली है। अभी से सरकार को लेकर क़यास लगा रहे होंगे। यह एक सामान्य और स्वाभाविक लोकतांत्रिक उत्सुकता है।
हम सब एक हैं बस टीवी में नहीं हैं
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
मीडिया में जो चुनाव दिखता है वो चुनाव की हक़ीकत के बहुत करीब नहीं होता। हम तक जो पहुँचता है या परोसा जाता है वो मीडिया के पीछे होने वाली गतिविधियों का दशांश भी नहीं होता। जो सवाल होते हैं वो हवाई होते हैं और जो जवाब होते हैं वो करिश्माई।
बनारस क्लब
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
बनारस क्लब गया था। डाक्टर नमित, शिप्रा और बालक शुभम के साथ। शानदार शाम रही। 1848 का यह क्लब है।
मोदी और अनुप्रिया पटेल
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
पूरे वाराणसी में भाजपा की दो ही प्रकार की होर्डिंग लगी है। एक में भाजपा बनारस और गंगा को लेकर नारे लिखे हैं और दूसरे में इन्हीं बातों को लेकर नरेंद्र मोदी की तस्वीरें हैं। सिर्फ मोदी की तस्वीरें। लेकिन पटेलों के इलाक़े में बीजेपी का प्रचार कवर मुझे ये पर्चा दिखा।
आपका क्या होगा जनाबे आली
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
"मैं बिहार से आया हूँ। आप का प्रचार करने। सर किराये पर कमरा लेने गया तो पूछा किस लिए चाहिए। मैंने सही बता दिया कि अरविंद केजरीवाल का प्रचार करने आया हूँ।
बनारस की एक शाम
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
जिसने भी बनारस के चुनाव को अपनी आँखों से नहीं देखा उसने इस चुनाव को देखा ही नहीं। शाम को गंगा के स्पर्श से हवायें मचलने लगी थी।
बिस्मिल्लाह का बनारस
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
आदरणीय खां साहब,
सोचा आपको एक खत लिखूँ। मैं आपकी मजार पर गया था। सहयोगी अजय सिंह की वजह से। अजय ने कहा कि वो मुझे कुछ याद दिलाना चाहते हैं। थोड़ी देर के लिए बिस्मिल्लाह खान की मजार पर ले चलते हैं।
क्या सही में लालू की वापसी हो रही है
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
"लालू जिंदा हो गया है। सब बोलते थे कि लालू खत्म हो गया। देखो कहाँ ख़त्म हो गया है।" लालू यादव को जैसे ही मैंने कहा कि लोग बता रहे हैं कि आप बिहार में नंबर दो पर आ गये हैं।
सिर्फ घाट नहीं है बनारस
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
इस शहर को देखने के लिए लगता है एक ही चश्मा बना है। इस चश्मे से बनारस के घाट दिखते हैं, प्रदूषित और मरनासन्न गंगा जी दिखती है।