Friday, March 29, 2024
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बीसीसीआई के धतकरमों पर रोक, लोढ़ा की संस्तुति मान्य

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला देते हुए बीसीसीआई में अपनी स्थापना की शुरुआत से ही की जा रही मनमानी और धतकरमों पर पूरी तरह से रोक लगाते हुए लोढ़ा समिति की संस्तुतियों को लगभग मान लिया।

अरुणाचल प्रकरण : अपने खोदे गड्ढे में खुद गिरी भाजपा

संदीप त्रिपाठी :

अरुणाचल प्रदेश प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय जनता पार्टी की किरकिरी हुई है। भाजपा इस किरकिरी के ही लायक है। वैसे तो इस किरकिरी के लायक कांग्रेस समेत अन्य सभी राजनीतिक दल हैं लेकिन चूँकि कांग्रेस इस फैसले की लाभार्थी है, इसलिए वह अभी मस्त है।

सट्टेबाजों की बहार, चढ़ा आईपीएल का बुखार

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

टी-20 विश्वकप की गहमागहमी अभी बनी हुई ही थी कि आ गया सट्टेबाजों का सालाना त्यौहार यानी दुनिया के सबसे बड़े खेल ब्रांडों में एक आईपीएल -9 जो नौ अप्रैल से प्रारंभ होने जा रहा है और जिसमें सट्टेबाजी-फिक्सिंग के आरोपों के चलते निलंबित चेन्नई सुपर किंग और राजस्थान रायल्स के स्थान पर धोनी की अगुवाई में राइजिंग पुणे और सुरेश रैना के नेतृत्व वाली गुजरात लायंस राजकोट को बतौर नयी फ्रेंचाइजी लीग में शामिल किया गया है।

सोनिया जी, यह न 1975 है, न 1986, इसलिए कोर्ट का सम्मान करें

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

सोनिया गाँधी सही कह रही हैं कि वह इंदिरा गाँधी की बहू हैं। वह इंदिरा गाँधी की बहू हैं, इसीलिए कोर्ट का भी आदर नहीं कर रही हैं। इंदिरा गाँधी ने भी 1975 में अपने निर्वाचन को अवैध करार देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को नहीं माना था और देश में इमरजेंसी लगा दी थी। उस वक्त उन्होंने विपक्ष के साथ जो किया था, राजनीतिक दुर्भावना और दुश्मनी उसे कहते हैं, न कि भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट समन कर दे तो उसे कहते हैं।

ताज मेरा है

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

सुप्री- कोर्ट ने यूपी सरकार को हड़काया है कि बरसों पहले ताजमहल बनाया जा सकता है तो आज सड़कें क्यों नहीं बनायी जा सकतीं। 

आरक्षण@पटेल

सुशांत झा, पत्रकार :

पटेलों को आरक्षण मिलने से सबसे ज्यादा दिक्कत किसे होनी चाहिए? जाहिर है, वर्तमान पिछड़ों को। और जाटों को आरक्षण मिलने से? उसमें भी वर्तमान पिछड़ों को दिक्कत होनी चाहिए कि कोई मजबूत जाति उसके हिस्से में सेंधमारी करने आ रही है। लेकिन पिछड़ों का कोई मजबूत प्रतिरोध सामने नहीं है। सिवाय एकाध फेसबुकिया विचारकों के पिछड़ों को अपने हितों की कोई चिन्ता नहीं है!

पीएम, प्रेसिडेंट की जगह महापुरुषों तस्वीर क्यों नहीं?

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी पैसे से मन्त्रियों और नेताओं की मार्केटिंग पर रोक लगा दी है।

देश में काला धन : हवाला की जड़ में क्रिकेट सट्टा

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा समय आ गया है अब कि देश में काला धन और हवाला पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को क्रिकेट सट्टेबाजी को अन्य देशों की तरह वैध कर देना चाहिए। जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गयी है उसमें साफ कहा गया है कि क्रिकेट सट्टेबाजी का पैसा हवाला के माध्यम से इधर से उधर पहुँचाया जाता है।

एक अनुमान के मुताबिक देश में क्रिकेट पर एक साल में सगभग तीन लाख करोड़ दाँव पर लगते हैं और यह समानांतर अर्थ व्यवस्था दिनों-दिन विकराल होती जा रही है।

न्यायाधीशों के खिलाफ भी अब कर सकेंगे शिकायत!

देश मंथन डेस्क :

प्रायः हम सभी न्याय पाने की जुगत में न्यायालय की शरण में खड़े होते हैं और कई दफा हम न्याय के मंदिर में बैठे न्यायमूर्ति की न्याय से असंतुष्ट भी होते हैं, लेकिन न्यायमूर्ति के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हमारे पास अधिकार सीमित हैं, लेकिन अब आगे ऐसा नहीं होगा।

गले पड़ गया 100 दिनों का वादा

राजीव रंजन झा : 

एनडीए सरकार के लिए 100 दिनों में विदेशों से काला धन वापस लाने का वादा उसी तरह गले पड़ गया है, जैसे यूपीए सरकार के लिए 100 दिनों में महँगाई घटाने का वादा गले पड़ गया था। अब 100 दिनों के बदले 150 से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं और लोग पूछ रहे हैं कि सरकार बतायें, विदेशों से वापस लाया हुआ काला धन कहाँ है? 

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