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अचानक ट्रेन हुई रद्द : कैसे पहुँचे दिल्ली
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
आप मुंबई जैसे शहर में हों, और अचानक आपको आपकी ट्रेन रद्द होने की जानकारी मिले तो क्या गुजरेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मुंबई से परिवार समेत वापसी का टिकट एक महीने पहले करवाया था। अमृतसर एक्सप्रेस जैसी ट्रेन जिसे डुप्लिकेट पंजाब कहा जाता है एसी 3 में वेटिंग मिला था जो खिसकते हुए आरएसी में आ गया था। पर वह 20 फरवरी की शाम थी, दिन भर बोरिवली नेशनल पार्क में घूमने के बाद शाम को हमलोग मुंबई के फैशन स्ट्रीट पर घूम रहे थे। थोड़ी शापिंग कर डाली थी, कुछ और करने के लिए मोलभाव में लगे थे। तभी मोबाइल पर एक आईआरसीटीसी का मैसेज आता है। पहले मुझे लगा कि आरएसी के कनफर्म होने का संदेश होगा। मैंने बेतकल्लुफी से लिया। पर सोचा एक बार संदेश पढ़ लेता हूँ।
कविगुरु एक्सप्रेस से महामना एक्सप्रेस तक
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के नाम पर 22 जनवरी 2016 से वाराणसी और दिल्ली के बीच नई ट्रेन महामना एक्सप्रेस चलायी गयी है। संयोग है कि इस ट्रेन का संचालन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने के मौके पर किया जा रहा है। विश्वविद्यालय की स्थापना 4 फरवरी 1916 को हुई थी।
पूर्वोत्तर जाने वाली ट्रेनों की सुध लें रेलमंत्री जी..
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
रेलवे में यात्री सुविधाओं में सुधार और स्टेशनों को चमकाने की खूब बात की जाती है। पर इसका असर देश की राजधानी दिल्ली से पूर्वोत्तर की ओर जाने वाली ट्रेनों में बिल्कुल नहीं दिखायी देता। लालगढ़ से ढिब्रूगढ़ तक जाने वाली अवध आसाम एक्सप्रेस, आनंद विहार से गुवाहाटी जाने वाली नार्थ इस्ट एक्स, दिल्ली से ढिब्रूगढ़ जाने वाली ब्रह्मपुत्र मेल, न्यू अलीपुर दुआर तक जाने वाली महानंदा एक्सप्रेस ये सभी दैनिक ट्रेनें उपेक्षा का शिकार हैं। किसी में एलएचबी कोच नहीं लगे। मोबाइल चार्जर दिखायी नहीं देते। ब्रह्मपुत्र मेल के टायलेट में तो जाले लगे दिखायी दिए। मानो कोच की सफाई महीनों से नहीं हुई हो। हालाँकि ये सारी ट्रेनें भारतीय रेल को राजस्व तो खूब देती हैं पर इनसे सौतेला व्यवहार क्यों। यह सवाल इन ट्रेनों में सफर करने वाले बार-बार पूछते हैं।
तेलंगाना के जंगलों से होकर दूरंतो से दिल्ली…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हैदराबाद से दिल्ली का सफर न जाने कितनी बार किया है। पर खास तौर पर हैदराबाद शहर से ट्रेन के बाहर निकलने के बाद महाराष्ट्र में प्रवेश करने तक के कुछ घंटे निहायत सुहाने लगते हैं। क्योंकि इस दौरान ट्रेन तेलंगाना राज्य के कई जिलों से होकर गुजरती है। आबादी कम नजर आती हैं। मस्ती में बातें करते जंगल ज्यादा नजर आते हैं।
आगे बढ़ते हम, पीछे छूटते अपने
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे पड़ोस वाली रेखा दीदी की शादी मेरी जानकारी में सबसे पहले चाँद के पास वाले ग्रह के एक प्राणी से हुई थी।
मौके का दाँव लगा तो टैलेंट दिखा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पहली बार जब मैं ट्रेन में सफर कर रहा था तब पिताजी के साथ सबसे ऊपर वाली बर्थ पर बैठा था।
एक और सुस्त ट्रेन – कौसंबा-उमरपाडा नैरोगेज
विद्युत प्रकाश मौर्य :
गुजरात के सूरत जिले में एक और सुस्त नैरोगेज ट्रेन सौ साले से अधिक समय से चल रही है। ये गुजरात में तीसरा नैरोगेज नेटवर्क जो संचालन में है वह है कोसंबा उमरपाडा के बीच। कोसांबा सूरत जिले का एक छोटा व्यापारिक शहर है। वहीं उमरपाडा सूरत जिले का ही एक तालुका है।
चंबल की जीवनधारा है श्योपुर पैसेंजर ट्रेन
विद्युत प्रकाश :
ग्वालियर से श्योपुर के बीच चलने वाली ये छोटी लाइन की ट्रेन इलाके लोगों की जीवन धारा है। ग्वालियर से चल कर 28 स्टेशनों से होकर गुजरने वाली ये ट्रेन इलाके 250 से ज्यादा गाँवों के लिए लाइफ लाइन है।