विद्युत प्रकाश :
मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र में चलती है देश की सबसे कम चौड़ाई वाली पटरी की स्पेशल गेज ट्रेन। इसकी दूसरी खास बात ये है कि ये देश की सबसे लंबी दूरी की लाइट रेलवे है जो अभी संचालन में हैं।
ये ट्रेन चंबल की उन्हीं वादियों के बीच से गुजरती है जहाँ कभी डाकूओं का आतंक हुआ करता था। ऐतिहासिक शहर ग्वालियर से श्योपुर के बीच चलती है छोटी लाइन की ट्रेन। इसे स्पेशल गेज का नाम दिया गया है क्योंकि ये नैरो गेज से भी छोटी है। ये ट्रेन ग्वालियर शहर को मध्य प्रदेश के दूसरे जिले श्योपुर से जोड़ती है। कई इलाकों में सड़के बन जाने के बावजूद ये ट्रेन आज भी चंबल के लोगों की जीवन रेखा है। ये चंबलवासियों की महबूब ट्रेन है।
ग्वालियर श्योपुर तक चलने वाली इस ट्रेन का सफर 1912 शुरू हुआ था। ट्रेन का मार्ग अच्छा खासा लंबा है। 198 किलोमीटर का चंबल के बीहड़ों से होकर सफर। बीच में हैं कुल 28 रेलवे स्टेशन। आखिरी रेलवे स्टेशन श्योपुर कभी मुरैना जिले की तहसील हुआ करती थी अब जिला बन चुका है। ये ट्रेन मीटर गेज नहीं, नैरो गेज नहीं बल्कि स्पेशल गेज की है। पटरियों के बीच चौड़ाई महज दो फीट (61 सेंटीमीटर) है। यानी कालका शिमला से भी छोटे हैं इसके डिब्बे। ग्वालियर से श्योपुर कलां तक का रेल मार्ग 198 किलोमीटर लंबा है। अपने स्पेशल गेज में ये दुनिया की सबसे लंबी और सबसे पुरानी रेल सेवा है जो चालू है।
ग्वालियर-श्योपुर रेल का इतिहास
प्रिंसले एस्टेट ग्वालियर के महाराजा माधव राव सिंधिया ( दो) ने इस रेल परियोजना पर काम 1879 में शुरू कराया था। प्रारंभिक विचार विमर्श के बाद रेलवे लाइन बिछाने पर सहमति बनी। तकरीबन 20 साल में तैयार हुए 1904 में इस रेल सेवा को ग्वालियर लाइट रेलवे के नाम से शुरू कराया था। ग्वालियर से जौरा तक का 51 किलोमीटर का लंबा मार्ग 1904 में चालू हो गया था। 1904 दिसंबर में जौरा से सबलगढ़ का मार्ग चालू हो गया। साल 1908 के नवंबर माह में बीरपुर तक परिचालन शुरू कर दिया गया। इसका श्योपुर कलां तक पूरा सफर 1909 में आरंभ हो सका। इस तरह 2009 में इस रेल सेवा ने अपना शताब्दी वर्ष मनाया।
यानी अब सौ साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी है ये सरपट दौड़ती रेल। अब इस ट्रेन का संचालन उत्तर मध्य रेलवे के जिम्मे है। ग्वालियर के महाराजा ने दो लाइट रेलवे का निर्माण अपने राज्य क्षेत्र में कराया था। एक मार्ग तो ग्वालियर श्योपुर के बीच का था। जबकि दूसरा मार्ग ग्वालियर से भिंड तक का था। ग्वालियर से भिंड का 84 किलोमीटर का मार्ग साल 2001 में ब्राडगेज में परिवर्तित हो चुका है। ये दोनो मार्ग ग्वालियर से आरंभ होते थे। घोसीपुरा रेलवे स्टेशन पर भिंड का मार्ग अलग हो जाता था। ग्वालियर से सुबह छह बजक 30 मिनट पर खुलने वाली पहली ट्रेन शाम चार बजे के बाद श्योपुर पहुँचाती है।
(देश मंथन, 11 अगस्त 2014)