बानयान प्रोडक्शंस की निर्माणाधीन फिल्म की शूटिंग के दौरान हाल ही में अभिनेता संजय सिंह और अभिनेत्री अनु से देश मंथन की बातचीत हुई।
बानयान के सुमित ऑजमंड शॉ ने इस फिल्म के जरिये निर्देशन की दुनिया में कदम रखा है। इससे पहले वे डॉक्यूमेंट्री और विज्ञापन फिल्मों वगैरह का निर्देशन कर चुके हैं। संजय सिंह गैंग्स ऑफ वासेपुर -2 और रॉक स्टार जैसी फिल्मों से अपनी पहचान बना चुके हैं। अनु कई म्युजिक वीडियो में मुख्य भूमिकाएँ निभा चुकी हैं और मॉडलिंग भी करती रही हैं। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के कुछ खास अंश।
संजय सिंह : इस जहाज के कप्तान हैं सुमित। जहाँ तक मेरी बात है तो बहुत सालों से हम कुछ छोटे-छोटे प्रोजेक्ट पर साथ काम करते आ रहे हैं। इस प्रोजेक्ट पर काफी समय से योजना बन रही थी। अब जाकर ये हो पायी है, क्योंकि एक फिल्म को शूट करने के लिए बहुत सारी चीजें मायने रखती हैं। इन्होंने मुझसे कहा था कि यह किरदार है और इसे तुम्हें ही निभाना है। साथ काम करने में जुनून तो है ही। आप एक-दूसरे के साथ परिचित भी हो जाते हैं। सुमित के साथ काम करने में सबसे अच्छी बात है इनके काम करने का तरीका। ये निर्देशक होने के नाते अभिनेता को इतनी जगह देते हैं कि वह खुल कर अच्छी तरह से काम कर सके। एक अभिनेता को यही चाहिए। इसलिए मुझे इनके साथ काम करने में बार-बार मजा आता है। ये इनकी पहली फिल्म है। बहुत मजा आ रहा है। हमें उतनी छूट मिल पा रही है, जो एक कलाकार को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए मिलनी चाहिए।
फिल्म में दो समुदायों को दिखाया गया है। एक वो बिहारी लड़के जो बाहर से दिल्ली पढ़ने आते हैं और दूसरा जाट समुदाय जो दिल्ली में बहुत ताकतवर है। इस तरह दो अलग-अलग छात्रों के समूह हैं। दोनों में खींचतान, झगड़े और समस्याएँ चलती रहती हैं। फिल्म में प्रशांत नारायणन बहुत ही सशक्त किरदार निभा रहे हैं। उनके साथ काम करके काफी मजा आया। बाकी तो फिल्म देखने पर ही पता चलेगा।
अनु : यह मेरी पहली फिल्म है, जिससे मैं बहुत उत्साहित हूँ और साथ में थोड़ी घबराहट भी है। यहाँ सभी लोग बहुत मदद कर रहे हैं। स्क्रिप्ट देखी है, कहानी बहुत अच्छी है। इस तरह की कहानी पहली बार देख रही हूँ। सबसे हट कर कहानी है। स्क्रिप्ट पढ़ कर लगा कि कुछ विवाद हो सकता है, लेकिन इतना ज्यादा भी नहीं होगा।
सबसे अहम यह है कि हम जो बनाना चाह रहे हैं, उसे हम बनायें। उसमें कहीं भी कोई समझौता नहीं करना चाहिए कि इस दृश्य से विवाद खड़ा होगा, इसे हटा दो। उस तरह से अंत में क्या होगा कि हम जो बनाना चाह रहे हैं, उसे नहीं बना पाये।
संजय सिंह : इस फिल्म में थोड़े प्रयोग किये गये हैं और मुझे ऐसी फिल्मों को करने में मजा आता है। इसमें व्यावसायिक पक्ष भी जरूर है। इसमें वो सारी चीजें हैं, जो इसे व्यावसायिक सफलता की तरफ लेकर जायेंगी। हिट करने लायक इसमें सब कुछ है। प्रेम कहानी, ऐक्शन, ड्रामा, रोमांस सब कुछ है। इसके साथ ही इसमें जिंदगी को पकड़ने की कोशिश की गयी है। कहीं भी यह आपको हवा में तैरती हुई नहीं लगेगी।
अनु : हम वह दिखा रहे हैं जो वास्तव में दिल्ली में चलता है और मैंने भी देखा है, आपने भी देखा होगा। बहुत चलता है। ओए बिहारी, कहाँ से आ जाते हो। वहाँ जाओ ना जहाँ से आये हो, क्यों भीड़ बढ़ा रहे हो दिल्ली में। ऐसी बहुत-सी बातें जो दिल को लगती हैं, बुरा लगता है।
संजय सिंह : और इसमें एक पक्ष नहीं है। दोनों के अपने-अपने पक्ष हैं। यह बिल्कुल नहीं दिखाया गया कि बिहारी है तो बहुत अच्छा है। कोई फैसला बिल्कुल नहीं दिया गया है कि यह अच्छा है और यह बुरा। हकीकत दिखायी जा रही है। आप देखिये, बस।
(देश मंथन, 16 सितंबर 2014)