विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
माथेरन देश में एक ऐसा शहर है जहाँ हर सैलानी को प्रवेश शुल्क देना पड़ता है । आजकल हर बाहरी वयस्क के लिए 50 रुपये और बच्चों के लिए 25 रुपये ।
ये कर माथेरन गिरिस्थान नगर परिषद वसूलती है । इसके काउंटर रेलवे स्टेशन और अमन लाज के पास टैक्सी स्टैंड में बने हुये हैं । टैक्स देने के बाद आप अगले कुछ दिन यहाँ निवास कर सकते हैं । इस कर की राशि को शहर के रख-रखाव में खर्च किया जाता है ।
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित माथेरन 800 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर है । शहर की आबादी महज 7000 है। इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम हैं । कई पारसियों की कोठियाँ भी माथेरन में है जो विरान पड़ी रहती हैं। कभी माथेरन मुंबई के अमीर पारसी लोगों का पसंदीदा हिल स्टेशन होता था । आजकल हर मुंबई वासी यहाँ सुकुन के कुछ दिन बीताने के लिए आना चाहता है । कभी माथेरन में प्रवेश का कर दो रुपये था जो बढ़ते हुए 50 रुपये हो गया । वैसे महाराष्ट्र के एक और हिल स्टेशन महाबलेश्वर में भी 20 रुपये का प्रवेश कर लगता है।
हमारा ठिकाना हुंजर हाउस
माथेरन में हमारा ठिकाना पहले से ही तय था । स्टेजिला डाट काम से ऑनलाइन बुकिंग करा रखी थी। रेलवे स्टेशन के बदल में हुंजर हाउस। रंगोली के ठीक सामने। इस होटल के कमरे से खिलौना ट्रेन आती-जाती दिखाई देती है । होटल के लान में दो झूले लगे हैं।
शाम को खाने के लिए हम लोग रामकृष्ण भोजनालय पहुँचे। गुजराती प्रोपराइटर के इस भोजनालय का खाना सुस्वादु है । हमारा पसंदीदा पनीर बटर मसाला और चपाती । सबको पसँद आया । सुबह के नाश्ते के लिए हमने केतकर को चुना । यहाँ का मालपुआ बेटे के इतना पसंद आया कि हर रोज खाते रहे । चलते समय पैक करा कर भी ले चले । माथेरन में घूमने लिये कई प्वाइंट हैं । घूमने के तरीके तीन हैं । घोडे से, हाथ रिक्शा से या फिर पैदल । माथेरन में 450 घोड़े हैं और 94 हाथ रिक्शा । कोलकाता के बाद माथेरन वह दूसरा शहर है जहाँ आदमी रिक्शा लेकर दौड़ता है । पर हमने पैदल ट्रैक करना तय किया।
माथेरन बाजार में राम मंदिर और माधवजी पार्क है। माधव जी प्वाइंट पर फोटोग्राफर मुकीम शेख मिले जिन्होने अपने निकॉन कैमरे से हमारी तस्वीरें उतारी। मुकीम लखनऊ के हैं पर माथेरन को अपना ठिकाना बना लिया है। इस पार्क में ढेर से झूले हैं सो अनादि तो यहीं जमे रहना चाहते थे । पर हमलोग आगे चले। खंडाला प्वाइंट ।
एलेक्जेंडर होटल के पास एलेक्जेंडर प्वाइंट । जंगलों के बीच से पद यात्रा करते हुए हम लोग पहुँच गये प्राचीन पिसरनाथ मंदिर । शिव का सुंदर सा मंदिर है झील के किनारे । रास्ते में बंदर बहुत हैं सो उनसे बचने के लिए हमने डंडे रख लिये थे। मंदिर के बगल में शॉरलेट लेक है । बारिश में ये झील और सुंदर हो जाती है । इसके बगल में हैं लार्ड प्वाइंट । झील से थोड़ा आगे चलने पर आ जाता है इको प्वाइंट। यहाँ पर क्रास द वैली के लिए रोपवे लगा है। किराया 300 रुपये प्रति फेरी । हम आगे बढ़ चले । भूख लगी थी सो जंगल में कच्ची कैरी और बड़ा पाव खाया। इसके बाद आइसक्रीम । दोपहर में होटल वापस ।
शाम को सनसेट प्वाइंट जाने का कार्यक्रम बना । तीन किलोमीटर जंगलों से पैदल रास्ता । रेलवे स्टेशन के बदल में दिवादकर होटल से रास्ता जाता है । रास्ते में स्टेट बैंक होलीडे होम और अशोक होटल आते हैं । यहाँ भी खूब बंदर दिखाई देते हैं । पास में मंकी प्वाइंट भी है । पर सनसेट प्वाइंट पर शाम को सैकड़ो सैलानी जुटते हैं । डूबते हुए सूर्य के सौंदर्य को निहारने और ये बन जाती है माथेरन की यादगार शाम । लौटते हुए रात हो जाती है पर जंगलों में रोशन का इंतजाम है । 50 रुपये टैक्स का सदुपयोग हो रहा है।
तीसरे दिन दोपहर में हमारी माथेरन से वापसी थी । पर टॉय ट्रेन की टिकट के लिए लंबी लाइन लगी थी । एक रेलवे कर्मचारी की मदद से हमें टिकट मिल सका । ट्रेन धीरे-धीरे नेरल की ओर उतर रही थी और हमारे जेहन मे ढेर सारी मीठी यादें थीं ।
(देश मंथन, 14 अप्रैल 2015)