गलत गलत होता है, न वहाँ देर है, न अन्धेर

0
222

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूँ जो खूब सिगरेट पीते हैं, शराब पीते हैं, जो दिल में आता है खाते हैं और स्वस्थ रहते हैं।

मैं ऐसे लोगों को भी जानता हूँ जो सिगरेट नहीं पीते, शराब भी नहीं पीते, अपने खाने-पीने का खूब ध्यान भी रखते रहे और दिल का दौरा पड़ने से या कैंसर जैसी बीमारियों से मर गये, लेकिन अगर हम इस बात को आधार बना लें कि सिगरेट और शराब स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह नहीं तो वो गलत उदाहरण होगा। और कई बार हम गलत उदाहरण को जीवन में सच मान कर चल पड़ते हैं, और वो गलती कर बैठते हैं, जिनसे बच सकते थे। 

मेरा छोटा भाई बहुत सिगरेट पीता था। मेरे एक रिश्तेदार ने मुझसे एक बार कहा था कि मैं अपने भाई को सिगरेट पीने से क्यों नहीं रोकता, तो मैंने हँसते हुए कहा था, “सिगरेट से कुछ नहीं होता। शाहरुख खान, अजय देवगन को देखिए, रोज कम से कम सौ सिगरेट पीते हैं, उन्हें क्या हुआ?”

मेरे रिश्तेदार के पास मेरे तर्क का कोई जवाब नहीं था, लेकिन उस दिन वो इतना जरूर बुदबुदाये थे कि अगर शाहरुख खान या अजय देवगन को कुछ हो गया तो आपके लिए वो सिर्फ एक खबर भर होंगे, लेकिन आपके भाई को कुछ हो गया तो आप जीवन भर खुद को माफ नहीं कर पायेंगे, क्योंकि आप एक गलत उदाहरण के सहारे जी रहे हैं। मैं हँस कर रह गया था।

एक सुबह मेरा भाई मर गया। उसकी मौत की हजार वजहों में एक वजह यकीनन उसके सिगरेट पीने की आदत भी थी। 

खैर, आज मैं मौत पर नहीं लिख रहा। आज मैं कल कही अपनी बात को आगे बढ़ा रहा हूँ। 

कल मैंने लिखा था कि जैसे गन्दा खाना खाने से आदमी की तबीयत खराब हो जाती है, वैसे ही गलत पैसे से संतान बिगड़ जाती है। कई लोगों ने मान लिया कि मैं सही कह रहा हूँ, कई लोगों ने कहा कि ये सिर्फ कहने की बातें हैं, उनके पास तमाम उदाहरण हैं, जब गलत पैसों से भी किसी का कुछ नहीं बिगड़ा।

मैं चाहूँ तो सिर्फ अच्छे पैसे और बुरे पैसे पर पूरी किताब लिख सकता हूँ। जो आपको दिखता है, उससे परे आपको उस संसार की सैर करा सकता हूँ, जहाँ एक भी उदाहरण नहीं है, जिसमें बुरी तरह से कमाया गया पैसा किसी को फला हो। आपको जो दिखता है, वो कई बार सच नहीं होता। मैं एक-एक उदाहरण सामने रख सकता हूँ, जब मैंने बुरे और अच्छे पैसों के फर्क को देखा और महसूस किया है। 

बहुत पहले मैंने यहीं फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा था कि कैसे जो स्कूल टीचर अपने काम को ईमानदारी से अन्जाम नहीं देते, उनकी संतान अनपढ़ रह जाती है। मैंने कुछ उदाहरण भी पेश किए थे। कल मैंने लिखा था कि मेरे एक परिचित, जो जैसे-तैसे पैसे कमाने को बिजनेस मानते हैं, उनका बेटा पिछले चार सालों से दिल्ली में इन्जीनियरिंग की पढ़ाई के नाम पर पिता के पैसे बर्बाद करता रहा, और गलत राह पर निकल चला। तब मैंने अपने परिचित से कहा था कि बुरे पैसे से संतान का भविष्य नहीं बन सकता, इस सच को जितनी जल्दी आप समझ जाएँ उतना बेहतर होगा। 

कर्ण धनुर्धर था, लेकिन धनुष विद्या पाने में की गई एक बेइमानी ने उसे धनुष का ही शिकार बना दिया। द्रोणाचार्य भी धनुर्धर ही थे, लेकिन अपने शिष्य एकलव्य से छल से दक्षिणा में अंगूठा लेने का ही नतीजा ही था कि वो अपने ही सबसे प्रिय शिष्य के हाथों मारे गये। छोड़िए, ये तो पौराणिक कहानियाँ हैं। मेरे एक परिचित जो दिल्ली में बहुत बड़े अस्पताल समूह के मालिक हैं, इस साल नए वर्ष के आगमन के समय सपरिवार विदेश गये थे। विदेश में ही उनकी गाड़ी की दुर्घटना हुई और उस हादसे में उनके पिता, उनकी पत्नी, एक बच्चे की मौत हो गई। बचने वालों में उनकी माँ और एक बेटी हैं, जो अपने ही अस्पताल के किसी बिस्तर पर पड़ी हैं। बताने के लिए बता रहा हूँ कि मेरे मित्र कहा करते थे कि अस्पताल में जितनी कमाई है, उतनी कहीं नहीं। 

और सुनिए, दिल्ली में रेड लाइन बसों को चलवाने वाले परिवहन मन्त्री राजेश पायलट की मौत एक सड़क हादसे में ही हुई थी। बताने की जरूरत नहीं कि दिल्ली में रेड लाइन बसों से एक-दो नहीं, हजारों जानें गईं थीं। उन बसों को यमदूत कहा जाने लगा था। 

ज्यादा विस्तार में क्या जाऊँ, प्रमोद महाजन, अजित जोगी, सबके उदाहरण आपके सामने ही हैं। अब आपको लग सकता है कि फलाँ ने ऐसी गड़बड़ी की, वैसी गड़बड़ी की, लेकिन उनका कुछ नहीं हुआ। मुमकिन है आपके सामने ऐसा उदाहरण भी हो। लेकिन ये उदाहरण भी शाहरुख खान और अजय देवगन जैसे उदाहरण हैं। इन उदाहरणों को बतौर मिसाल मत लीजिए। 

सच इतना ही है कि गलत गलत होता है। हमारा – आपका कम्यूटर फेल हो सकता है, उसका नहीं। न वहाँ देर है, न अन्धेर। 

खराब खाने का नतीजा कई बार तुरन्त पेट खराब होने से नहीं होता। कई दफा उसका कुप्रभाव बहुत दिनों बाद दिखता है, लेकिन जब दिखता है, तब देर हो चुकी होती है।

(देश मंथन, 04 मई 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें