गलती चाहे जिससे हो, सजा मिलती ही है

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संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

“हे राम! मैं प्रचेता का दसवाँ पुत्र रत्नाकर, जिसने ‘मरा-मरा’ जपने में खुद को भुला दिया और जिसके शरीर को चीटिंयों ने बांबी समझ कर अपना परिवार बसा लिया, जिसे उन बांबियों की बदौलत वाल्मिकी नाम मिला है, वो आपके सामने हाथ जोड़े खड़ा है।

हे राम! मेरे पिता वशिष्ठ, नारद और भृगु के भाई हैं।

मैंने नारद से पूछा था कि मुझे उस मनुष्य का पता बताओ, जिसमें इन्सान के सारे गुण मौजूद हों। मेरे मन में उस पुरुष से मिलने की तीव्र इच्छा है, जो सभी मर्यादायों का पालन करने वाला हो। 

प्रभु नारद ने मुझे आपका पता दिया और अब मैं आपके दो पुत्रों, कुश और लव, के साथ आपके सामने खड़ा हूँ।”

माँ अपने किए वादे को पूरा कर रही थी। वो मुझे मरा-मरा कहने वाले उस महान व्यक्ति की कहानी सुना रही थी, जिसने अपनी तपस्या में खुद को भुला दिया था। माँ मुझे स्कूल में फिजिक्स के नियमों से हटा कर ये समझाने में लगातार लगी थी कि गलत-गलत होता है, सही सही होता है। माँ कह रही थी, जो गलत होता है भगवान उसकी सजा जरूर देते हैं। वो मेरे मन में भगवान नामक एक अदृश्य शक्ति का डर इसलिए पैदा कर रही थी, ताकि मैं गलत और सही में फर्क समझ सकूँ। वो मुझे प्रचेता के दसवें पुत्र रत्नाकर के वाल्मिकी बनने की कहानी से लेकर ऋषि गौतम और उनकी पत्नी अहिल्या की कहानी सुनाने जा रही थी। मुझे पूरा यकीन था कि माँ अहिल्या के बाद मुझे सीता की कहानी भी सुनायेगी और फिर रावण की कहानी भी। माँ जब कभी रावण की कहानी सुनाती तो उसका ध्यान इस बात पर होता कि रावण के दस सिरों के बारे में मेरे मन में ये बात बैठ जाये कि गन्दे काम करने वाले बदसूरत होते हैं। माँ कहती थी कि मन का भाव चेहरे पर नजर आ ही जाता है।

उस दिन भी मैं माँ की बातें बहुत ध्यान से सुन रहा था। माँ कह रही थी कि भविष्य में चाहे कोई तुम्हें कितना भी प्रलोभन दे, कोई कितने भी उदाहरण दे, तुम ये बात मन में आज ही बिठा लो कि हर गलती की एक सजा होती है। मैं पूछता, “लेकिन माँ, भविष्य में मेरे फेसबुक वाले कई परिजनों के पास उनका अपना अनुभव होगा कि गलत काम, गलत पैसा कुछ नहीं होता, फिर मैं उनसे क्या कहूँगा, क्या जवाब दूँगा?

माँ कहती, “तुम उन्हें समझाना कि अहिल्या ने चाहे छिप कर ही सही, लेकिन जब इन्द्र के साथ मिल कर अपने पति को धोखा दिया था, तब उसे पत्थर बनना ही पड़ा था। वो तो फिर राम जी आये और उन्होंने उसे वापस उसका रूप लौटा दिया।”

“माँ राम जी ने अहिल्या को पत्थर से लड़की क्यों बना दिया?”

“बेटा हर गुनाह की एक सजा होती है। उसकी सजा पूरी हो गई थी न! वो तो हजार सालों तक यूँ ही पड़ी रही।”

“तो माँ, ऐसा भी हो सकता है कि अभी भी हमारे घर के बाहर सड़क पर जो पत्थर पड़े रहते हैं, उनमें से कोई अहिल्या होगी।”

“हाँ बेटा, बिल्कुल। जब-जब जो गलती करेगा उसे पत्थर बनना पड़ेगा।”

“ओह माँ! क्या सलमान खान को भी उसके किए की सजा मिलेगी? उसे भी पत्थर बनना पड़ेगा। “

“हाँ, बेटा। उसे भी उसकी गलती की सजा मिलेगी। तुम बस देखते रहना। हर सजा का समय होता है, पहले उसे शराब पी कर गाड़ी चलाने और किसी पर चढ़ा देने की सजा मिलेगी, फिर उसे झूठ बोलने की भी सजा मिलेगी। बहुत दिन लग सकते हैं, लेकिन तुम न्याय पर भरोसा रखना। तुम बस देखना। ये समझना कि गलती चाहे जिससे हो, उसे सजा मिलती ही है।

लेकिन माँ फेसबुक वाले मेरे जो परिजन अपने अनुभव साझा करते हैं, कहते हैं कि बड़े लोगों को सजा नहीं मिलती। वो कहते हैं कि सलमान खान को भी जमानत पर छोड़ दिया जायेगा, वो भी तब जब बहुत से बेगुनाह लोग बिना किसी जुर्म के जेल में बन्द कर दिये जाते हैं। इसे तुम क्या कहोगी, माँ?”

मैं इसे चाहूँ तो पूर्व जन्म का गुनाह भी तो कह ही सकती हूँ, बेटा। अब अहिल्या को ही देखो, कितनी पीढ़ियाँ गुजर गईं, वो बेचारी तो पत्थर ही बनी रही न! तो, सलमान खान, जो तुम्हारा दोस्त है, उसे भी सजा मिलेगी। तुम मेरा यकीन करो। उसे जो समय मिल रहा है, वो समय नहीं है, वो भी उसकी सजा है। सजा हर पल सजा मिलने के भय से गुजरने की।”

“वाह माँ। तुमने तो मेरी सारी शंका ही दूर कर दी। तुमने मुझे ये भी समझाया था कि गलत तरीके से किया गया कोई काम फलता नहीं। तभी तो तुम मुझे आगे सुनाने वाली हो न माँ, कि रावण ने सीता का अपरहरण किया था, इसीलिए उसके दस सिर होने के बाद भी राम जी ने उसे मार गिराया था।” 

“बिल्कुल सही, बेटा। रावण को भी लगने लगा था कि वो सलमान खान की तरह बहुत बड़ा सितारा है। उसका कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता। पर बेटा, उसके कानून में अन्याय नहीं है।”

“तो क्या मैं ये भी मान लूँ, माँ, कि ऐसी गलतियाँ भी भगवान ही कराता है?”

“हाँ बेटा, ये भी मान लो। लेकिन ध्यान रखना कि सिर्फ मानव मन के पास ये ताकत है कि वो उसके चाहने के बाद भी, उकसाने के बाद भी खुद को गलती करने से रोक सकता है। उस पाप का हिस्सा बनने से खुद को न सिर्फ बचा सकता है, बल्कि सके बदले मिलने वाली सजा से बच सकता है।”

“मैं खुद को रोकूँगा माँ। लेकिन तुम कहानी आगे तो बढ़ाओ। मैंने तो बीच में सलमान की कहानी जोड़ दी, तुम मुझे सुग्रीव, बाली, हनुमान सबकी कहानी सुनाओ, माँ।”

आज अहिल्या की कहानी सुनाई है, कल कोई और सुनाऊँगी। ये सारी कहानियाँ चाहे सच न हों बेटा, लेकिन तुम्हारे लिए ही लिखी गई हैं। ये लिखी ही गई हैं, ताकि भरत मास्टर से तुम फिजिक्स और गणित पढ़ो, और इन कहानियों से जिन्दगी का पाठ।”

“बहुत बढ़िया माँ, मैं इनसे ही पढ़ूँगा जिन्दगी का पाठ। मुझे बड़ा होकर गुड मैन बनना है माँ, एकदम गुड मैन।”

“वेरी गुड बेटा। जो गुड मैन बनते हैं, वही आदमी होते हैं। बाकी सब आदमी के शरीर में रावण।” 

(देश मंथन, 07 मई 2015)

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