हर ‘आम’ में है कुछ खास

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

आम फलों का राजा है। आम सिर्फ स्वाद में ही बेहतर नहीं है बल्कि यह अनेक गुणों का खजाना है।

महाराष्ट्र में रत्नागिरी जिले का हापुस यानी अलफांसो को देश का सबसे बेहतरीन आम माना जाता है। हालाँकि देश के दूसरे राज्यों को लोग इससे सहमत नहीं हो सकते। गुजराती केशर को सबसे सुस्वादु आम मानते हैं। बनारसी लंगड़ा के आगे किसी को नहीं रखते। लखनऊ के लोग मलिहाबाद की दशहरी को देश का राजा मानते हैं। बिहार पहुँचे तो सफेद मालदह का जवाब नहीं।

बात हापुस की करें तो, हाफूस (अंग्रेजी में ALPHANSO  अलफांसो), मराठी में हापुस, गुजराती में हाफुस और कन्नड़ में आपूस कहा जाता है। यह आम की एक किस्म है जिसे मिठास, सुगन्ध और स्वाद के मामले में अक्सर आमों की सबसे अच्छी किस्मों में से एक माना जाता है। यूरोपीय भाषाओं में इसका नाम अलफांसो, अफोंसो दि अल्बूकर्क (पुर्तगाली: Afonso De Albuquerque) के सम्मान में रखा गया है। वैसे हापुस कर्नाटक मेंभी होता है पर कोंकड़ क्षेत्र के हापुस का जवाब नहीं।

मार्च के महीने में रत्नागिरी के राजा हापुस आम की आवक शुरू हो जाती है। मुम्बई और आसपास के बाजारों में शुरुआत में इसके दाम 500-600 रुपये दर्जन रहते हैं। यानी एक आम 50 रुपये का। इस बार महँगाई के कारण हापुस आम, आमजन के लिए नहीं। हापुस के स्वाद के दीवाने बड़े-बड़े लोग हैं। लम्बे समय तक विदेश में रहने वाली बॉलीवुड में वापसी करने वाली अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को आम बेहद पसन्द हैं और उन्होंने विदेश में रहने के दौरान स्थानीय आम हापुस की कमी महसूस की। माधुरी ने अपने ट्विटर अकाउन्ट पर लिखा, मुम्बई में आम का मौसम चल रहा है। भूल गई थी कि हापुस आम कितना अच्छा है।

लंगड़ा आम मूल रूप से वाराणसी के नजदीकी इलाके में ही होता है। आम की इस किस्म, जैसा कि इससे संबद्ध कहानी कहती है, का नाम एक लंगड़े साधु के नाम पर रखा गया, जिसने पहली बार इस आम की खेती की। अब बनारस के आसपास लंगडा आम के बाग बगीचे कम हो गये हैं इसलिए उत्पादन भी कम हो रहा है। अबकी वर्ष तो लंगड़ा ही नहीं बल्कि देशी आम की पैदावार भी कम हुई है। दिल्ली के आसपास सहारनपुर का चौसा आम पहुँचता है। यूपी के सहारनपुर के आसपास चौसा आम के बड़े-बड़े बाग हैं।

भारतीय आम की विदेशों में खूब माँग है। साल 2010 में मलिहाबाद के दशहरी आम को पेटेंट का दर्जा मिला। उसके बाद इसकी माँग भी विदेशों में बढ़ गयी। दशहरी, चौसा और लंगड़ा के बल पर उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है।

बिहार के भागलपुर के सफेद मालदह आम की जबरदस्त माँग रहती है। मालदह आम कोलकाता सहित देश के अन्य स्थानों के बाजारों में बिकने जाता है। वहीं पटना के पास दीघा का दूधिया मालदह आम अपने स्वाद के लिए जाना जाता है। अमेरिका, इजिप्ट, अरब, इंडोनेषिया, जापान सहित करीब सभी पड़ोसी देशों में सफेद मालदह आम की माँग रहती थी। पतला छिलका, काफी पतली गुठली और बिना रेशे वाले गुदे के कारण यह हर किसी के दिलों पर राज करता है। पर अब दीघा क्षेत्र में आम के बगीचे कम हो गये हैं।

हर आम की अपनी मिठास है। पर उत्तर बिहार में एक आम होता है सिपिया उसका स्वाद बाकी सबसे अलग होता है। वैशाली जिले में एक कहावत है – मकई के रोटी, सिपिया आम…बुढिया मर गयी जय सीताराम। 

पाकिस्तान का सिन्दड़ी

पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में पैदा होने वाले सिन्दड़ी आम भी लोकप्रिय है। सिन्ध के कस्बे सेवण शरीफ में होने वाले सिन्दड़ी आम का स्वाद काफी कुछ दशहरी जैसा होता है। बस इसका रंग थोड़ी सी ललाई लिये हुए होता है। दमादम मस्त कलंदर वाले गीत में सिन्दड़ी दा सेवण दा का नाम आता है। हालाँकि वह नाम सूफी सन्तों के लिए है। पर वहाँ का आम भी हमेशा से लोकप्रिय है। पाकिस्तान का यह आम भी अन्तरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बनाता है। खास तौर पर खाड़ी देशों में सिन्दड़ी आम की माँग रहती है।

अमरोहा का आम

यूपी के सहारनपुर अमरोहा के आसपास चौसा आम के बाग हैं। चौसा आम का निर्यात दुबई और सउदी अरब देशों को होता है। अमरोहा शहर का नाम ही आम के नाम पर पड़ा है। संस्कृत में आम्र वनम का जिक्र आता है। यहाँ आज भी आम के बड़े-बड़े बाग हैं। देश-दुनिया में अमरोहा आम के नाम से पहचाना जाता है। 

बागपत का ‘रटौल’ आम

रटौल के आम की बदौलत बागपत की पहचान देश के साथ विदेशों में भी है। रटौल से हर साल लाखों टन आम का निर्यात देश-विदेशों में किया जाता है। खेकड़ा तहसील का रटौल गाँव आम के लिए विश्व विख्यात है। यहाँ मुम्बई, दशहरी, जुलाई वाला, चौसा, लंगड़ा, तोता परी, कच्चा मीठा, रामकेला, आदि आम की लगभग साढ़े पाँच सौ प्रजातियाँ होती थी। जो अब सिमट कर मात्र आधे से भी कम रह गई हैं। यहाँ का रटौल प्रजाति का आम तो अपने लजीज स्वाद व सुगन्ध के लिए विश्व विख्यात है।

कहाँ कौन सा आम

अलफांसो या हापुस – महाराष्ट्र

केशर – गुजरात

चौसा – यूपी

दशहरी – यूपी

लंगडा – यूपी

सफेद मालदह – बिहार

(देश मंथन, 15 मई 2015)

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