संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पत्रकारिता में होने का कोई फायदा हो न हो, लेकिन एक फायदा जरूर है कि ऐसे कई लोगों से मिलने का मौका मिल जाता है, जिनसे आम तौर पर मुलाकात संभव नहीं।
नेता, खिलाड़ी, कलाकार, लेखक, ज्योतिष, ठग, डाकू, अपराधी हर तरह के लोगों से पाला पड़ सकता है इस विधा में।
जैसे पत्रकारिता में होने की वजह से ही मैं असली गब्बर सिंह से मिल पाया हूँ, जबकि आप लोगों का वास्ता सिर्फ शोले वाले गब्बर सिंह से पड़ा होगा।
पत्रकारिता में होने की वजह से ही मैं लता मंगेशकर, सचिन तेंदुलकर, अमजद अली खाँ और यासर अली अराफात से मिल पाया हूँ। ये चार नाम मैंने इसलिए लिखे क्योंकि जब मैं पत्रकारिता में आया ही था, तब मेरा बहुत मन था कि कभी इन चारों से आमने-सामने मेरी मुलाकात हो।
खैर, कोई भी पत्रकार इस तरह अपनी यादों की पोटली खंगालने में लग जाये, तो वो सब मिल कर नानी की कहानी बन जायेंगी, और नानी की कहानी का मतलब तो आप जानते ही हैं, “वो छोटी सी रातें, लंबी कहानी।”
इन दिनों मेरी मुलाकात कई ज्योतिषियों से होती है। कई ज्योतिषियों से मतलब, कई तरह के ज्योतिषियों से।
ज्योतिष भी अजीब विद्या है। इस संसार में सभी इस विद्या पर भरोसा करते हैं, और कोई भी इस विद्या पर भरोसा नहीं करता। पर एक बात तय है कि ज्योतिष विद्या इस संसार की सबसे पुरानी और सबसे आधुनिक विद्या है। अगर किसी को बता दिया जाये कि फलाँ ज्योतिष आपकी हथेली, माथा, कुंडली देख कर सबकुछ सच-सच बता सकते हैं, तो घनघोर से घनघोर नास्तिक आदमी भी इस बात में उत्सुकता जाहिर कर बैठता है कि उसका भविष्य आखिर है क्या?
पर मुझे हमेशा लगता है कि अपने ही भविष्य को जानने की तमन्ना का होना, कुछ इस तरह की बात है, जैसे कोई सिनेमा हॉल में बैठ कर सिनेमा देखते हुए उसकी कहानी पहले से जानना चाहता है। अरे फिल्म का मजा ही उसकी कहानी के सस्पेंस के बने रहने में है। जीवन में भी अगर सस्पेंस बना रहे तो क्या बुराई है। अच्छा-बुरा, हानि-लाभ ये सब तो मन की गति भर हैं। मन को मना लीजिए कि जो हो रहा है वो एक स्क्रिप्ट का हिस्सा है, तो फिर जो होगा, उसे ही आप आनन्द से जीने लगेंगे।
मैं हर तरह के ज्योतिषियों से मिलता हूँ। कोई सवाल शास्त्री होता है, कोई कुंडली शास्त्री। किसी को हथेली की लकीरों की गहरी समझ होती है, तो कोई कोई मन की ही बात जान लेता है। पर पिछले दिनों मुझे एक ज्योतिष मिले जिन्हें प्रेम के बारे में पता है। वो कुंडली से प्रेम निकालते हैं, और ये बता पाते हंश कि किस कुंडली वाले को किस कुंडली वाले से विवाह करना चाहिए, ताकि उनमें प्रेम बना रहे।
जब मेरी शादी नहीं हुई थी, तब मैंने लिंडा गुडमैन की ऐसी ही प्रेम संबंधित भविष्य बताने वाली एक किताब पढ़ी थी। उसमें बहुत स्पष्ट लिखा है कि किस राशि वाले की किस राशि वाले से कैसी निभेगी। हालाँकि जैसे युद्ध में जिस तरह कर्ण अपनी संपूर्ण विद्या भूल गया था, वैसे ही शादी के वक्त मैं भी लिंडा जी की किताब के उन पन्नों को भूल गया, जिसमें लिखा था कि कौन सी राशि की लड़की मेरी राशि वाली को सूट करेगी। लेकिन शादी के बाद जब अपनी पत्नी के साथ बैठ कर मैंने उन राशियों के हिसाब से अपने संबंधों को मिलाना शुरू किया तो लगा कि लिंडा मैडम ने वाकई काफी मेहनत की है, इस निष्कर्ष को निकालने में कि किसकी किसके साथ कैसी निभेगी।
पुराने जमाने में शादी से पहले 36 गुण मिलाने के लिए कुंडली का इस्तेमाल किया जाता था, और जिनके 34 गुण मिल जाते थे, ज्योतिष कहते थे कि ये जोड़ी बहुत ठीक रहेगी। गणीतिय गणना के अनुसार ये प्रथम श्रेणी का रिश्ता हुआ।
लेकिन 34 गुण मिला कर शादी कराने वाले तमाम पंडितों की भविष्यवाणी को मैंने झूठ साबित होते देखा है। मैंने देखा है कि जो दो गुण नहीं मिले, वो 34 फीसदी पर भारी पड़ गये। यानी खाना खा कर पेट तो भरा, मन नहीं।
मैं इस सिद्धान्त को शिद्दत से मानता हूँ कि आदमी का मन भरना चाहिए। अगर मन संतुष्ट नहीं हुआ, तो चाहे रिश्ता जो हो उसमें अधूरापन रह जाता है। यहीं फेसबुक पर किसी ने पूछा था कि कि मृत्यु और मोक्ष में क्या अन्तर है, तो किसी ने जवाब में लिखा कि मृत्यु यानी शरीर की मौत। मोक्ष यानी आत्मा की तृप्ति।
तो, मुझे जो ज्योतिष इन दिनों मिले हैं, उनका कहना है कि किसी बहुत खास रिश्तों में जुड़ने से पहले आदमी अगर ये पता कर ले कि प्रेम का ग्राफ कैसा रहेगा, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
यानी मन तृप्त तो सब तृप्त।
ये बात मुझे बहुत अपील कर गई कि सचमुच किसी भी रिश्ते की बुनियाद मन के उन तारों से जुड़े होते हैं, जिन पर हम आम तौर पर गौर नहीं करते।
दौलत, सेहत, सुन्दरता ये सारी चीजें 36 में से 34 गुणों को मिला सकती हैं, लेकिन बाकी के बचे दो गुणों में जरूरी है एक दूसरे की दिल की धड़कन की आवाज को सुन पाना, समझ पाना।
अगर आप अपने रिश्तों में सामने वाले के दिल की धड़कन को सुन पाते हैं और समझ पाते हैं तो मेरा यकीन कीजिए ये दो गुण बाकी के 34 गुणों पर भारी पड़ जाते हैं। किसी भी रिश्ते के निभ पाने की बड़ी शर्त दौलत, करियर, खूबसूरती और अच्छे स्वास्थ का होना नहीं, बड़ी शर्त है सामने वाले के धड़कनों को समझ पाने की। जो इस विद्या को समझ जाते हैं, उन्हें अपने प्रेम ग्राफ को जानने के लिए किसी ज्योतिष की जरूरत नहीं पड़ती। वो बिना ज्योतिष के भी अपने रिश्तों को निभा लेते हैं, खुशी-खुशी।
जो ऐसा नहीं कर पाते, उनका पेट भरता है, मन नहीं। और जिनका मन नहीं भरता, उन्हें मोक्ष भी नहीं मिलता।
(देश मंथन, 08 जून 2015)