विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पटना से बेतिया का सफर। पटना के मीठापुर बस स्टैंड से बेतिया के लिए रात्रि सेवा में कई बसें चलती हैं। इनमें एसी और स्लीपर बसें भी हैं। हमारे दोस्त इर्शादुल हक ने बताया था कि पटना से बेतिया के लिए सबसे अच्छी बसें चलती हैं।
रात 9.55 बजे खुलने वाली जय माता दी की बस में एक खिड़की वाली सीट बुक कराता हूँ। बाद में सहयात्री ने बताया कि जयमाता दी के नाम से चलने वाली सभी बसें लालगन्ज के विधायक मुन्ना शुक्ला के कंपनी की हैं। पूरे उत्तर बिहार में अधिकांश शहरों के लिए इस कंपनी की बसें चलती हैं। बसें अच्छी हैं और पूरे अनुशासन में चलती हैं। हालाँकि इनकी ऑनलाइन बुकिंग नहीं होती।
बिहार में गौरव लग्जरी कंपनी की बसें आप ऑनलाइन भी बुक करा सकते हैं। गौरव लग्जरी हैदराबाद के संघी समूह द्वारा संचालित है। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बसें कभी लाल हुआ करती थीं। अब नीली और सफेद दिखाई देती हैं। पर ये बसें कम ही चलती हैं। पूरे बिहार में निजी बस आपरेटरों का बोलबाला है। उत्तर बिहार की दूसरी बड़ी बस कंपनी शाही तिरूपति है जो वैशाली जिले की एक राजनेता वीणा शाही की कंपनी की हैं। वहीं एक पुराने नेता रघुनाथ पांडे की बसें पांड ट्रेवेल्स के नाम से चलती हैं। बिहार में ज्यादातर बसें पुराने राजनेताओं की हैं। पंजाब के राजनेता आमतौर पर उद्योग-धन्धे शुरू करते हैं, पर बिहार के राजनेता ट्रांसपोर्टर बनना पसन्द करते हैं।
हमारी बस महात्मा गाँधी सेतु आराम से पार कर जाती है। हाल में ट्रैफिक पुलिस ने ओवर टेकिंग पर कड़ाई कर दी है इसलिए जाम लगना बन्द हो गया है। पर पौने छह किलोमीटर लंबे इस पुल पर स्ट्रीट लाइटें नहीं जलतीं। दुनिया के सबसे लंबे नदी पुल पर रात में अन्धेरा छाया रहता है। माना कि पुल खराब हो चुका है पर इस पर रोशनी का इंतजाम तो सरकार कर ही सकती है, जबकि हाईवे पर टोल टैक्स वसूली की जाती है। ये उपभोक्ता के अधिकारों के हनन का भी मामला है। रात में मेरा पुराना शहर हाजीपुर गुजर जाता है। सराय से गुजरते हुए बोर्ड नजर आता है — मशहूर ललन सिंह का ढाबा… आगे एक बोर्ड मिलता है पुराना ललन सिंह का ढाबा, फिर बोर्ड मिलता है असली ललन सिंह का ढाबा…शायद हाजीपुर मुजफ्फरपुर हाईवे पर ललन सिंह ब्रांड बन गये हैं।
भगवानपुर पार करते ही पता चलता है आगे जाम है। बस ड्राइवर बस को पटना साहिब पोलिटेक्निक के पास से ग्रामीण सड़क पर मोड़ लेता है। आज लगन तेज है। हर गाँव में शादी हो रही है। शादी में भोजपुरी गाने बज रहे हैं। हालाँकि वैशाली जिले की भाषा वज्जिका है। सठिऔता गाँव में एक शादी हो रही है। लोगों ने तिलंगियों से सड़क पाट रखा बस फंस जाती है। बड़ी मुश्किल से ग्रामीण लोग बस को निकलवाने में मदद करते हैं। माइक पर गाना बज रहा है, मनोज तिवारी की आवाज में – फटाफट तिलक चढ़ाओ….क्या क्या लाए खोल कर दिखाओ…बस आगे बढ़ती है, पकौली चौक के पास फिर से हाईवे पर आ जाती है। हाजीपुर-मुजफ्फरपुर हाईवे अब नेशनल हाईवे बन गया है।
पर मुजफ्फरपुर शहर में कई किलोमीटर सड़क खराब हैं। बस मोतिहारी की ओर फोर लेन हाईवे पर सरपट भाग रही है। रात को दो बजे चकिया में एक आवासीय होटल ( होटल गगन ) के बाहर खाने पीने के लिए रुकती है। हम सुबह 4.30 बजे बेतिया शहर में पहुँच चुके थे। बस रामनगर तक जाने वाली है। मैं इसमें लौरिया तक जा रहा हूँ। सुबह का उजाला हो चुका है। शनिचरी गाँव आता है। लोग खेतों में काम कर रहे हैं। पश्चिम चंपारण जिले में चारों तरफ हरियाली दिखायी दे रही है। चंपारण मतलब चंपा अरण्य। कभी चंपारण में सघन वन थे जिसका नाम चंपा अरण्य था। लौरिया उतरता हूँ। सुबह मनोरम है। आदत के मुताबिक एक कप चाय पीता हूँ। पाँच रुपये की है। हर जगह से सस्ती और अच्छी चाय। उस धरती को नमन जहाँ से बापू ने ब्रितानिया राज के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत की।
(देश मंथन 26 जून 2015)