पंडौल – यहाँ पांडवों ने किया था अज्ञातवास

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

पंडौल यानी पांडवों का आवास। मधुबनी जिले के पंडौल के  बारे में कहा जाता है कि पांडवों ने यहाँ अज्ञातवास में कुछ वक्त गुजारा था। मैं भवानीपुर गाँव से कोई वाहन नहीं मिलने पर पैदल ही पंडौल के लिए चल पड़ता हूँ। रास्ते में एक बाइक वाले लिफ्ट माँगता हूँ। वह बोले ब्रह्मोतरा तक छोड़ दूंगा। मैं उनके बाइक पर पीछे बैठ जाता हूँ। चार किलोमीटर बाद ब्रह्मोतरा गाँव आ जाता है। यह गाँव सकरी पंडौल मुख्य मार्ग पर स्थित है। यहाँ से पंडौल दो किलोमीटर आगे है।

मुझे सड़क के किनारे एक खूबसूरत मन्दिर दिखायी देता है जो वीरान पड़ा है। मैं उसकी कुछ तस्वीरें क्लिक करता हूँ। मुझे सड़क के किनारे बैठे कुछ लोग बुलाते हैं और मेरा परिचय पूछते हैं। परिचय जानकर खुश होते हैं और मुझे वह मन्दिर दिखाने चल पड़ते हैं। इस मन्दिर को गाँव के एक पुराने रईस ने बनवाया था। इस मन्दिर का निर्माण गाँव के मुख्तार अनूपलाल ठाकुर ने करवाया था। 

इस सीताराम मन्दिर में सुन्दर नक्काशी का काम कराया गया था। पर इस मन्दिर के उत्तराधिकार को लेकर विवाद होने के कारण इसमें कोई पूजा पाठ नहीं होती है। कई साल पहले मन्दिर के गर्भ गृह से बेशकीमती मूर्तियाँ भी चोरी हो चुकी हैं। मन्दिर के पास अच्छी खासी जमीन भी है। पर मन्दिर का रखरखाव विवादों में है। मन्दिर के बगल में सुन्दर सा सरोवर है। पर उसके पानी के सालों से सफाई नहीं हुई है, इसलिए सरोवर का पानी निहायत गन्दा हो चुका है। अब इस सरोवर में उतरा भी नहीं जा सकता। गाँव के लोग बताते हैं किसी जमाने में ये मन्दिर गुलजार होता था। मन्दिर के प्रांगण में संगीत की महफिल जमती थी। पर ये सबस बातें अब अतीत की हो गई हैं। गाँव के लोग चाहते हैं कि मन्दिर को नवजीवन प्रदान किया जाए पर स्वामीत्वव विवाद के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। सुनने में आता है कि महावीर मन्दिर न्यास के किशोर कुणाल ने अब इस मन्दिर को नवजीवन प्रदान करने के लिए पहल की है।

पंडौल में किसी जमाने में एक स्पिनिंग मिल हुआ करता था। पर मिल बन्द हो जाने के बाद इस इलाके में कोई उद्योग नहीं है। ज्यादातर लोगों को पास खेती की जमीन कम हो गयी है। इस मिल में कभी नौकरी करने वाले गाँव के कमलकांत झा मिल बन्द होने के अपना दर्द बयाँ करते हैं। पंडौल बाजार में सुन्दर माँ दुर्गा का मन्दिर है। मैं इसी मन्दिर के पास से दरभंगा की बस लेता हूँ। सकरी के पास बस नेशनल हाईवे 57 पर आ जाती है। थोड़ी देर में मैं दरभंगा पहुँच जाता हूँ।

दुनिया भर में मधुबनी पेंटिंग के लिए विख्यात मधुबनी जिला देश के अत्यन्त पिछड़े जिलों की सूची में शुमार है। आखिर ऐसा क्यों है। मधुबनी वह जिला है जहाँ से सबसे बड़ी संख्या में आईएएस और अलग-अलग क्षेत्रों के सूरमा पैदा हुए हैं। भवानीपुर गाँव के जनकदास जो प्रखंड जदयू किसान सेल के अध्यक्ष हैं। वह बताते हैं कि क्षेत्र में पानी का स्तर काफी नीचे है। कहीं 160 तो कहीं 350 फीट नीचे है पानी। नहर से सिंचाई के बेहतर इंतजाम नहीं हैं। इसलिए खेती किसानी मुश्किल है। वहीं ललित नारायण मिश्रा के बाद किसी भी नेता ने मधुबनी के विकास के लिए ईमानदार प्रयास नहीं किए। इसलिए 1972 में दरभंगा से अलग होकर जिला बना 35 लाख से ज्यादा आबादी वाला मधुबनी विकास की दौड़ में देश के बाकी हिस्सों से पिछड़ गया है।

(देश मंथन, 16  जुलाई 2015)

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