आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
प्रेम भाई उर्फ सलमान खान फिर हाजिर हैं, राजश्री की फिल्म- ‘प्रेम रतन धन पायो में।’
राजश्री प्रोडक्शन की फिल्में मोटे तौर पर शादियों का शापिंग-माल होती हैं।
ऐसी शादी, वैसी शादी, कैसी-कैसी शादी, शादी, फिर शादी, फिर-फिर शादी, फिर से नयी शादी याद कीजिये राजश्री की कुछ फिल्में- एक विवाह ऐसा भी (2008), विवाह (2006), हम साथ-साथ हैं (1999), हम आपके हैं कौन (1994), मैंने प्यार किया(1989), नदिया के पार (1982)।
शादी के बाद शादी, शादी के पहले शादी, शादी के बहुत पहले भी शादी ही, और शादी के बहुत बाद भी शादी ही, गाँव में शादी, कस्बे में शादी, नगर में शादी, महानगर में शादी। विदेश से लौट कर शादी, विदेश जाने से पहले भी शादी। किसी दुर्घटना से पहले शादी और दुर्घटना के बाद भी शादी ही।
इत्ती शादियों वाले प्रोडक्शन हाउस राजश्री प्रोडक्शन की कितनी ही शादीबाज फिल्मों में काम करने के बाद भी सलमान खान की शादी ना हो पायी।
तो मानना पड़ेगा कि नसीब भी कोई चीज होती है।
(देश मंथन, 12 नवंबर 2015)