त्याग करती हैं महिलाएँ

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संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

भोपाल के हमीदिया कॉलेज में इतिहास वाले प्रोफेसर इंग्लैंड का इतिहास पढ़ाते हुए जब कभी महारानी एलिजाबेथ प्रथम के विषय में हमें बताते तो, उनकी दिलचस्पी ये बात बार-बार बताने में रहती कि एलिजाबेथ ने दुनिया के तमाम राजाओं को इस बात का झाँसा दे रखा था कि वो उन्हीं से विवाह करेंगी, पर महारानी ने कभी किसी से विवाह नहीं किया। यानी वो आजीवन अविवाहित रहीं। 

वो हमें बताते कि एलिजाबेथ प्रथम ने जब इंग्लैंड की गद्दी संभाली, तो उनके मन में यह डर बहुत भीतर तक बैठा था कि अगर उन्होंने विवाह किया तो गद्दी उनके हाथ से निकल जाएगी। उनके मन में यह डर भी था कि कहीं दूसरे देश के राजा इंग्लैंड पर हमला न कर दें। ऐसे में हर राजा को उन्होंने ‘उल्लू बनाया’ कि वो उन्हीं से प्यार करती हैं और वो उनसे ही शादी करेंगी। इस तरह उन्होंने कई देशों के राजाओं को एक तरह से विवाह का झाँसा देते हुए इंग्लैंड के वरचस्व और अपनी सत्ता को बचाया और बढ़ाया।

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मैं अपनी माँ को हर सुबह नींद खुलते ही रसोईघर में पाता था। रसोईघर तक गैस पहुँचने से पहले हमारे घर में कोयले वाला चूल्हा हुआ करता था। माँ सुबह-सुबह चूल्हा जला देती थी और पिताजी के जागने से पहले दूध उबल चुका होता था, चाय बन चुकी होती थी। 

कोयले का धुआँ पिताजी तक न पहुँचे इसलिए वो सुबह-सुबह उनके जागने से पहले खुद खाँसती हुई इस काम को अंजाम दे चुकी होती थीं।

माँ का बहुत सा समय रसोई घर में बीतता था। 

माँ का प्यार पिताजी तक रसोईघर से होता हुआ गुजरता था। पिताजी ने कई बार चाहा कि माँ किसी दिन एक सब्जी कम बना दे, सुबह की बची दाल ही खिला दें, लेकिन माँ ने एक बार भी ऐसा नहीं किया। वो खुद तो सुबह की बची दाल खा लेती थीं, शाम की बची सब्जी भी सुबह खा लेती थीं, लेकिन पिताजी को उन्होंने कभी सुबह को शाम वाला और शाम को सुबह वाला खाना नहीं दिया।

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कल मेरा मन राजमा-चावल खाने को था। 

मैंने एक दिन यूँ ही घर में बोल दिया था कि बहुत दिन हो गये राजमा-चावल नहीं खाये। कल राजमा-चावल बने। मैं खा रहा था, पत्नी नहीं खा रही थी। 

मैंने पूछा कि तुम क्यों नहीं खा रही, तो उसने कहा कि थोड़ा रुक कर खाएगी। मैंने कुछ कहा नहीं। पर थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि वो फ्रिज से रात की बची सब्जी निकाल कर अपने लिए गर्म कर रही है। 

मैंने उसे टोका कि तुम ताजा बना राजमा क्यों नहीं खा रही? 

उसने मेरी ओर देखा और चुप रही। मैंने ज्यादा कुरेदा, तो उसने बताया कि उसे राजमा सूट नहीं करता। 

खास कर जब से गॉलब्लाडर का ऑपरेशन हुआ है, तब से तो बिल्कुल नहीं। 

“पर गॉलब्लाडर का ऑपरेशन हुए पच्चीस साल बीत गये। तो क्या पच्चीस साल से तुमने राजमा नहीं खाया?”

“हाँ, नहीं खाती। एक दो बार कोशिश की थी पर पेट में दर्द होता है।”

“ओह! तुमने ये बात मुझे कभी बतायी ही नहीं।”

“अरे इसमें बताने वाली क्या बात थी? ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं, जो किसी को सूट नहीं करतीं।”

“होती हैं, पर पता तो होना चाहिए। ऐसी बहुत सी चीजें हैं मुझे खाने में पसंद नहीं, पर तुम तो जानती हो कि मुझे नहीं पसंद इसलिए वो चीजें बनती ही नहीं। फिर मुझे क्यों नहीं पता कि तुम्हें राजमा सूट नहीं करता?”

“क्या फर्क पड़ता है? तुम्हें पसंद है, इसलिए बनता रहता है।”

***

माँ खुद बासी खा लेती थी। पिताजी के आगे उसने कभी नहीं किया। 

मेरी पत्नी फ्रिज से निकाल कर सब्जी खा रही थी, पर मेरे सामने कभी नहीं रखी। 

इंग्लैंड की महारानी ने सभी राजाओँ से झूठ बोला कि वो उन्हीं से विवाह करेंगी, पर वो आजन्म कुंवारी रहीं। 

महिलाएँ ऐसी होती हैं। 

वो देश के लिए इतना त्याग कर सकती हैं। वो घर लिए खुशी के लिए भी इतना त्याग कर सकती हैं।   

(देश मंथन, 14 दिसंबर 2015)

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