तिरुवनमलै के शिव – अरुणाचलेश्वर महादेव

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

तमिलनाडु के जिले तिरुवनमलै में शिव का अनूठा मंदिर है। अनामलाई पर्वत की चोटी की तराई में इस मंदिर को अनामलार या अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर कहा जाता है। शिव के इस मंदिर में हर माह की पूर्णिमा को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। खासतौर कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है। श्रद्धालु यहाँ अनामलाई पर्वत की 14 किलोमीटर लंबी परिक्रमा करके शिव से कल्याण की मन्नत माँगते हैं। माना जाता है कि शिव का विश्व में सबसे बड़ा मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण थेवरम और थिरुवासगम ने करवाया था।

मंदिर की कथा

एक बार ब्रह्मा ने हंस के रूप धारण किया और शिव का ताज को देखने के लिए उड़ान भरी। ताज को देखने में असमर्थ रहने पर ब्रह्मा ने एक थाजुंबू (केवड़ा, white lotus) के पुष्प को जो शिव का मुकुट नीचे गिर रहा था ताज के बारे में पूछा। फूल ने कहा है कि वह तो चालीस हजार साल के लिए गिर गया था। ब्रह्मा को लगा कि वे ताज तक नहीं पहुँच पाएँगे तब उन्होंने फूल को एक झूठे गवाह के रूप में कार्य करने को राजी किया। फूल ने ऐलान किया कि ब्रह्मा ने शिव का ताज देखा था। शिव इस धोखे पर गुस्सा हो गये और ब्रह्मा को शाप दिया कि आपका कोई मंदिर धरती पर नहीं बनेगा। वहीं केवडा के फूल को शाप दिया कि उसका शिव की पूजा में इस्तेमाल नहीं होगा। भले ही केवड़ा में भीनी-भीनी खूशबु होती है, इससे इत्र और अगरबत्तियाँ बनती हैं पर पूजा में इस्तेमाल नहीं होता। उस जगह पर जहाँ शिव ने ब्रह्मा को शाप दिया वह स्थल तिरुवनमलै है, जहाँ पर अरुणाचलेश्वर का मंदिर बना है।

पर्वत है मंदिर का प्रतीक

आम तौर पर देवताओं के मंदिर पहाड़ों पर होते हैं। पर यहाँ मंदिर पहाड की तराई में है। वास्तव में यहाँ अनामलाई पर्वत ही शिव का प्रतीक है। पर्वत की ऊँचाई 2,668 फीट है। यह पर्वत अग्नि का प्रतीक है। तिरुवनमलै शहर में कुल आठ दिशाओं में आठ शिवलिंग स्थापित हैं। इंद्र, अग्नि, यम, निरूथी, वरुण, वायु, कुबेर, इशान लिंगम नामक कुल आठ लिंगम हैं। हर लिंगम के दर्शन के अलग-अलग लाभ हैं।

कार्तिक दीपम

कार्तिक पूर्णिमा पर इस मंदिर की शानदार उत्सव होता है। इसे कार्तिक दीपम कहते हैं। पूरे पर्वत पर तब रौनक रहती है। इस मौके पर विशाल दीपदान किया जाता है। हर पूर्णिमा को परिक्रमा करने का विधान है, जिसे गिरिवलम कहा जाता है। इस मंदिर में तमिल फिल्मों के सुपर स्टार रजनीकांत की बड़ी आस्था है। उन्होंने 14 किलोमीटर के परिक्रमा पथ पर अपने खर्च से सोडियम लाइटें लगवायी हैं।

खुलने का समय

मंदिर सुबह 5.30 बजे खुलता है और रात्रि 9 बजे तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहता है। मंदिर की व्यवस्था तमिलनाडु राज्य प्रशासन देखता है। सभी पूजा के लिए दरें तय है। मंदिर में नियमित अन्नदानम भी चलता है। साल 2002 से चलने वाले अन्नदानम में रोज सैकड़ों लोग भोजन पाते हैं। मंदिर की ओर से श्रद्धालुओं के रहने का भी इंतजाम किया गया है। यहाँ गेस्ट हाउस में 100 से लेकर 400 रुपये में कमरे उपलब्ध हैं। (http://www.arunachaleswarartemple.tnhrce.in/) वैसे तिरुवनमलै शहर में रहने के लिए और भी होटल उपलब्ध हैं।

कैसे पहुँचे

चेन्नई से तिरुवनमलाई की दूरी 200 किलोमीटर है। यहाँ बस से भी पहुँचा जा सकता है। ट्रेन से जाने के लिए चेन्नई से वेल्लोर होकर या फिर चेन्नई से विलूपुरम होकर जाया जा सकता है। आप विलुपुरम या वेल्लोर में रूक कर भी तिरुवनमलै जाकर मंदिर दर्शन करके लौट सकते हैं।

हमारी यात्रा

पुडुचेरी से हमारा आगे का सफर शुरू हुआ बस से। बस ने एक घंटे में विलुपुरम पहुँचा दिया। पुडुचेरी से विलुपुरम की दूरी 37 किलोमीटर है। वैसे पुडुचेरी से विलुपुरम की ट्रेन सेवा भी है। पर ट्रेनें कम हैं। बस हमेशा चलती रहती है। विलुपुरम से हमारी ट्रेन 11.40 बजे थी खड़गपुर एक्सप्रेस। थोड़ी शंका थी कि ट्रेन में जनरल डिब्बे में जगह मिलेगी या नहीं। पर ये क्या जनरल डिब्बे में हमारे पूरे डिब्बे में महज पाँच-सात लोग ही थे। ट्रेन ठीक 11.40 में चल पड़ी। यहाँ से 68 किलोमीटर के सफर के बार आया तिरुवनमलै रेलवे स्टेशन, जहाँ पर अरुणाचलेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है। ट्रेन में हमारे साथ चल रहे, एम सरवनन मिले, जिन्होंने इस शिव मंदिर के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उनका धन्यवाद।

(देश मंथन, 26 दिसंबर 2015)

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