पनिया के जहाज से पलटनिया बनी अइह सैंया..

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

पानी के जहाज पर पहला सफर भला कौन भूल सकता है। भोजपुरी में शारदा सिन्हा का लोकप्रिय गीत है…पनिया के जहाज से पलटनिया बनी अइह सैंया… तो पहले उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच पानी का जहाज ही चलता था।

पटना हाजीपुर के बीच गंगा नदी पर 1984 में महात्मा गाँधीसेतु पुल बनने से पहले राजधानी पटना से उत्तर बिहार जाने का एक मात्र साधन स्टीमर थे। तब छपरा, सोनपुर, हाजीपुर के लोगों को राजधानी पटना पहुँचने में स्टीमर या नाव से लंबा वक्त लग जाया करता था। पटना के दीघा घाट से पहलेजा घाटके बीच निर्माणाधीन रेल सह सड़क पुल के आरंभ हो जाने के बाद एक नए युग की शुरुआत होगी।

तीन जगह से स्टीमर सेवा

1984  से पहले पटना केगंगा घाट पर तीन अलग-अलग जगह से स्टीमर चलते थे।पटना के बीएन कालेज के पास महेंद्रू घाट से रेलवे की ओर सेसंचालित स्टीमर चलता था जो सोनपुर के पास पहलेजा घाटको जोड़ता था। दूसरा स्टीमर निजी कंपनी का बांसघाट से चलता था। तीसरा स्टीमर सेवा कुर्जी के पास मैनपुरा से चलता था, जिसका नामगंगा एलसीटी सर्विसेज था। एलसीटी मतलब लैंडिग क्राफ्ट टैंक। यानी ऐसे स्टीमर जिनसे वाहनों ढुलाई की जाती हो। 

नदी जल परिवहन और स्टीमर

बात रेलवे और स्टीमर की। रेलवे की यात्रियों के लिए स्टीमर सेवा महेंद्रू घाट से चलती थी। और अतीत में चलें तो दीघा घाट स्टीमर सेवा का बड़ा केंद्र हुआ करता था। दीघा से माल ढुलाई के लिए और यात्री सेवा वाले स्टीमर चला करते थे। इंडियन नेविगेशन कंपनी द्वारा स्टीमर दीघा घाट से चलाये जाते थे। पटना जंक्शन जिसका नाम पहले बांकीपुर रेलवे स्टेशन था, वहाँ से दीघा घाट तक एक ब्रांच रेलवे लाइन बिछायी गयी थी। पटना जंक्शन से जो यात्री महेंद्रू घाट जाकर स्टीमर पकड़ना चाहते हों उनके लिए रेलवे स्टेशन से ताँगा या आटो रिक्शा का विकल्प था। चूँकि स्टीमर सेवा रेलवे की थी इसलिए आप इसके टिकट रेलवे स्टेशन से भी खरीद सकते थे।

कभी पटना नदी से परिवहन का बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था। यहाँ गंगा नदी पर 100 घाट थे जहाँ से नावें चलती थीं। वहीं पटना से हावड़ा के बीच नदी से जल से सामान ढोया जाता था। 1862 में रेल मार्ग आरंभ होने से पहले गंगा नदी परिवहन का बड़ा माध्यम थी।( इंट्रा अर्बन मार्केट ज्योग्राफी – ए केस स्टडी ऑफ पटना, अबदुस सामी)

बिहार एंड ओडिशा डिस्ट्रिक्ट गजट के अनुसार गंगा नदी पर हरदी छपरा, दीघा, मारूफगंज, मोकामा, फतुहा, बैकुंठपुर, बाढ़ पटना जिले में स्टीमर के महत्वपूर्ण स्टेशन थे। दीघा से बक्सर के बीच परिवहन के लिए स्टीमर चलते थे। रेलवे कंपनी बंगाल एंड नार्थ वेस्टर्न रेलवे और इंडियन नेविगेशन मिलकर नदी में स्टीमर का संचालन करते थे। (दीघा घाट से बंगाल ( अब बांग्लादेश) के ढाका पास राजाबाड़ी जिले के गोआलुंदो घाट के लिए नियमित स्टीमर सेवा संचालित हुआ करती थी। गोआलुंदो पद्मा नदी (गंगा) और ब्रह्मपुत्र के संगम के पास है।)

रेलवे के विकास के साथ इन स्टीमर सेवाओं की जरूरत खत्म होने लगी और दीघा घाट रेलवे स्टेशन तक रेलगाड़ियों की आवाजाही भी बंद कर दी गयी। हालाँकि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री बनने पर दीघा घाट और पटना घाट के बीच पैसेंजर सेवा का संचालन आरंभ कराया पर यह रेलवे के लिए लाभकारी सौदा नहीं साबित हुआ। 

(देश मंथन, 29 दिसंबर 2015)

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