विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
बापू की स्मृतियाँ जहाँ-जहाँ हम वहाँ-वहाँ। विजयवाड़ा के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है गाँधी हिल्स। ये पहाड़ी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 10 के सामने है। सड़क के बगल में प्रवेश द्वार है। यहाँ आपको 10 रुपये का टिकट लेकर प्रवेश करना पड़ता है। प्रवेश का समय शाम 4.30 बजे से रात्रि 8 बजे तक का है। शहर की एक पहाड़ी पर माँ कनक दुर्गा बसती हैं तो दूसरी पहाड़ी पर गाँधी जी। देश के आजाद होने के बाद बापू की याद में यह कोई पहला स्मारक है जो किसी पहाड़ी पर बना है।
स्मारक तक पहुँचने के दो रास्ते हैं। एक वाहन द्वारा जो थोड़ा लंबा है। अगर आप पैदल हैं सीढ़ियाँ चढ़ कर तेजी से पहुँच सकते हैं। पार्किंग के बगल में एक छोटा सा सुंदर उद्यान है। इसके बाद कुछ सीढ़ियाँ और उपर चढ़ने पर एक विशाल स्तंभ बना है जो बापू का स्मारक है। इसे स्थानीय लोग स्तूप भी कहते हैं। इसके चारों दीवारों पर चार-चार सुंदर कलाकृतियाँ लगाई गयी हैं। एक शिलापट्ट पर विजयवाड़ा और बापू की याद में संक्षिप्त इतिहास अंकित है।
विजयवाड़ा में 1921 में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था। 30 मार्च 1921 को बापू यहाँ आये थे। यह अधिवेशन कई मायनों में खास था। इसी अधिवेशन में कांग्रेस की सदस्य निधि एक करोड़ पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया। इसके साथ ही देश के झंडे के नये स्वरूप पर चर्चा हुई। झंडे में चरखे का अधिष्ठान किया गया। इसके साथ ही देश भर में स्वदेशी के प्रसार के लिए घर-घर में 20 लाख चरखे पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया।
देश आजाद पर होने पर बापू के विजयवाड़ा आगमन और कांग्रेस के अधिवेशन की याद में एक पहाड़ी गाँधी के नाम पर समर्पित किया गया और यहाँ बापू का स्तूप निर्मित कराया गया। 9 नवंबर 1964 को इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किया। तो 6 अक्तूबर 1968 को गाँधी स्मृति का उदघाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर जाकिर हुसैन ने किया। स्तूप के बगल में दूरदर्शन का टावर है। यहाँ एनटी रमाराव और इंदिरा गाँधी भी पधार चुके हैं।
अनूठी खिलौना ट्रेन
गाँधी हिल्स पर अनूठी खिलौना ट्रेन चलती है। यह ट्रेन 1969 में आरंभ की गई। देश की आजादी का रजत जयंती के मौके पर। यह ट्रेन पहाड़ पर गाँधी स्तूप का एक चक्कर लगाती है। 14 जून 1969 को इसका उदघाटन तत्कालीन रेल मंत्री राम सुभग सिंह ने किया था। तबसे ये ट्रेन लगातार चल रही है। आजकल इसमें एपीआई का तिपहिया वाहन वाला लोकोमोटिव लगा है। इस खिलौना ट्रेन से चक्कर लगाते समय पूरे विजयवाड़ा शहर का सुंदर नजारा दिखाई देता है। ट्रेन का किराया 10 रुपये है। पर कम से कम 4 सवारी होने पर ही संचालित होती है। मैंने टिकट लिया तो मैं पहली सवारी था। पर संयोग से और कुछ लोग आ गये और ट्रेन चल पड़ी। आजकल गाँधी हिल विजयवाड़ा के प्रेमी युगलों का एकांत मिलन स्थल भी बन गया है।
(देश मंथन 31 मई 2016)