विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
गोलगप्पा, पानी पुरी, फोकचा, घुपचुप। अगल-अलग देश के हिस्सों में अलग नाम से जाना जाता है। वैसे तो गोलगप्पा बचपन से ही आप फुटपाथ पर गोलगप्पे वाले स्टाल पर खाते आये होंगे।
हर गोलगप्पे वाले के बनाने के तरीके पर उसका स्वाद निर्भर करता है। बिहार में हम इसका नाम बचपन में घुपचुप सुनते थे। पर बंगाल में इस फोकचा कहते हैं। तो बिहार के कुछ हिस्सों में भी लोग फोकचा ही कहते हैं। दिल्ली के आसपास गोलगप्पा नाम से मशहूर है। पर मुंबई की तरफ बढ़े तो पानी पुरी कहलाने लगता है।
पानी पुरी अब शापिंग माल्स और बड़े स्टोर तक पहुँच गया है। काबुलीवाला से लेकर हल्दीराम तक पहुँच गया है। कहीं बेहतर साफ सफाई तो कहीं मिनरल वाटर से गोलगप्पे पेश करने का दावा।
आमतौर पर गोलगप्पे दो तरह के होते हैं। एक आटे का बना हुआ तो दूसरा सूजी का बना हुआ। ज्यादातर लोग आटे वाला पसंद करते हैं। पर दिल्ली में और वह भी पुरानी दिल्ली में सदर बाजार के इलाके में घूमते हुए हमारी नजर एक बोर्ड पर मूंग दाल के गोलगप्पे। यह बोर्ड देख कर हम रूक गये। 20 रुपये में 5 गोलगप्पे मूंग दाल के। हमने आर्डर दिया। नंदू जी की दुकान पर खाया मूंग दाल वाले गोलगप्पे। वाकई स्वाद अलग है। कुरकुरा भी है।
सदर बाजार से कुतुब रोड पर जब तीस हजारी की ओर पैदल लौटते हैं तो तेलीवाड़ा की तरफ मुख्य सड़क पर नंदू जी की गोलगप्पे वाली दुकान है। वैसे तो वह आटे वाला सूजी वाला गोलगप्पा और दही बड़े भी बनाते हैं। पर मूंग दाल वाले गोलगप्पे उनकी विशेषता है। कभी उधर से गुजरिए तो जरूर स्वाद लिजिए।
नंदू जी कई साल से मूंग दाल के गोलगप्पे बनाते हैं। ये गोलगप्पे ये खुद ही तैयार करते हैं। आते-जाते काफी लोग इनके मूंग दाल वाले गोलगप्पे के कद्रदान हैं। नंदू जी चाट वाले के यहाँ आपको दही भल्ला पापड़ी, भल्ला कचौड़ी, कचौड़ी का पत्ता, भरवाँ बताशे और मेवे की गुजिया भी मिलती है।
(देश मंथन 15 जून 2016)