चंबा का शॉल, रुमाल और जूतियाँ

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

चंबा अपने शॉल, रुमाल और जूतियों के लिए जाना जाता है। अगर आप चंबा से कुछ खरीद कर ले जाना चाहते हैं तो इनमें से कुछ चुन सकते हैं। सबसे पहले बात चंबा के रुमाल की। चंबा का रुमाल वास्तव में कोई जेब में रखने वाला रुमाल नहीं होता। वास्तव में यह शानदार कढ़ाई की हुई वाल पेटिंग होती है।

चंबा के रुमाल को स्थानीय कलाकार कई दिनों तक मेहनत करके तैयार करते हैं। इसे तैयार करने में 10 से दिन से दो महीने तक भी लग सकते हैं। यह रुमाल के आकार और उसकी डिजाइन पर निर्भर करता है। जाहिर है इतना श्रम साध्य कार्य है और कला का उत्कृष्ट नमूना है तो इसकी कीमत भी ज्यादा हो गयी। पर सैकड़ों साल से चंबा का रुमाल बुनने का काम क्षेत्र में चला आ रहा है। वास्तव में हिमाचल के बहुत से इलाकों के रोजी रोजगार का साधन लघु और कुटीर उद्योगों पर आधारित रहा है। इसलिए चंबा के ग्रामीण क्षेत्र में कलाकार रुमाल को अदभुत तरीके से बनाते हैं। इन रूमालों पर कृष्ण की पूरी रासलीला का अंकन देखा जा सकता है। कई रूमालों में विवाह संबंधी दृश्य का अंकन देखा जा सकता है। 

किसी जमाने में इन रुमालों का लेन देन शादी के दिनों में अधिक रहा है। इसलिए इन पर विवाह के दृश्यों का अंकन किया जाता है। इसके अलावा चंबा रुमाल में समुद्र मंथन, राधाकृष्ण, दशावतार के चित्र देखे जा सकते हैं।

अठारहवीं सदी में चंबा रुमाल का काम शबाब पर था। राजा उमेद सिंह ( 1748- 1764) ने चंबा रुमाल बनाने वाले कलाकारों को संरक्षण दिया। 

साल 1911 में हुए दिल्ली दरबार में चंबा के राजा भूरी सिंह ने ब्रिटेन के राजा को चंबा के रुमाल की कलाकृतियाँ तोहफे में दी थीं। 1965 में पहली बार चंबा रुमाल बनाने वाली कलाकार माहेश्वरी देवी को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।  हालाँकि नई पीढी में लड़कियाँ चंबा का रुमाल बनाने की कला में कम रुचि दिखा रही हैं।

हिमाचल में कुल्लू का शॉल तो प्रसिद्ध है ही पर चंबा के शॉल भी कुल्लू के शॉल की तरह की सुंदर होते हैं। ऊनी धागे से बनने वाले ये शॉल काफी गर्म होते हैं। खादी ग्रामोद्योग भंडार की दुकानों में चंबा के शॉल 400 रुपये और उसके अधिक कीमत पर खरीदे जा सकते हैं। हमने चंबा के बाजार में कलाकारों को खड्डी पर शॉल बनाते हुए देखा।

चंबा के चप्पल और जूतियाँ

चंबा शहर में घूमते हुए आप चंबा की बनी हुई जूतियाँ खरीद सकते हैं। ये जूतियाँ महिलाओं के लिए खासतौर पर बनाई जाती हैं। अपनी सुंदरता और आरामदेह बनावट के लिए मशहूर इन जूतियों की कीमत 250 रुपये से शुरू होती है।

चंबा शहर के मुख्य बाजार में जूतियों की कुछ दुकानें हैं। आप इन दुकानों में खरीदारी करते समय थोड़ा बहुत मोल भाव भी कर सकते हैं। पर अगर चंबा आए हैं तो एक दो जोड़ी जूतियाँ लेकर जरूर जाएँ।

(देश मंथन 28 जुलाई 2016)

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